Sunday, April 24, 2011

.द होल थिंग इज़ दैट के भैया.....

वो क्या है भाई साब,आज सुबह से ही  बड़े "मूड" में हूँ,सोचता हूँ की "अपनी" भी एक "सी.डी".बनवा लूँ ! क्या  पता, कब  जारी  करनी पड़ जाये !ऊप्प्स.......इस से पहले की "आप" भी "एकता कपूर" की तरह "सी.डी." पर "फिल्म" बनाने का "एलान" कर दो, मै "क्लिअर" कर दूँ अपना इरादा "बात-चीत"वाली "सी.डी"का है...एनी वे,अब आप पूछोगे एक ही क्यों?कसम "फोरेंसिक लैब"की इस "मुल्क" में "एक" का "पांच" बनते देर नहीं लगेगी...! आपको तो पता ही है "अमरवाणी"और मौसम की "गर्मी" का कोई "अंत" नहीं है ! माथा चकरा जाता है! सुना नहीं,इधर "खबर" आई की अपने "प्रदेश" में "पुलिस जी"अब "जनता" से "सभ्यता" से पेश आयेंगे,उधर  फ़ौरन "आत्मा" ने "डाईव" मारी और तड से "हलफनामा" दे दिया "गुस्सा" उतारने की "छूट" देने को कहा था ! इसे कहते है "डांस इंडिया डांस" की "भाषा" में "पॉपिंग & लाकिंग"! पुरानी कहावत है "गड्ढे"  में गिरा हर बच्चा "प्रिंस"नहीं होता है कुछ "टी.वी.शो" में जाकर अपने ही "गुरु" को "आँख" दिखाते है! अब आप कहा करो "गाँधी"साहित्य रखने से कोई "गाँधीवादी"नहीं हो जाता है मगर "ड्राफ्टिंग कमेटी" में एक "दलित" भी होना चाहिए!  भाई साब "अन्ना" पर "ताना" मारना "लेटेस्ट फैशन" है! देखा नहीं "कटे पैर"में भले "संक्रमण" फैलता जाये मगर "राजनीति" "बरेली"से "लखनऊ"और फिर "लखनऊ" से "एम्स" अपना "ऐम" साधने के चक्कर में "ट्रांसफर" कराती रहेगी! अच्छा अब "आप" ही बताइए "मुल्क" बड़ा या "आई.पी.एल."? कसम से इसका "जवाब" आपको  किसी भी "मस्तिष्क"के "डिजिटल" नक़्शे में नहीं मिलेगा ! आप "मलिंगा" को वापस बुलाओगे,अगला "टेस्ट क्रिकेट"से "संन्यास"का एलान कर देगा...! सबक ले लो आप भी "वेस्टइंडीज" के दौरे पर "आराम" दे ही दो,बेवजह इस "पचड़े" में मत पड़ो की "मुल्क" बड़ा या "आई.पी.एल."! हाँ, अगर आपको "शांति" या "संतोष"की तलाश है तो "हे-गड़े"मुर्दे उखाड़ने वालो, अगले महीने "योग गुरु"के "अनशन" का "एलान" है ! आप उधर "ध्यान" दो "एक-आध" "उधर" भी मिल जायेंगे ! ये वो "मुल्क" है जहाँ "मुनाफ" भी "बैटिंग" करने बाकायदा "सन-स्क्रीन" क्रीम लगा कर जाता है....! बकौल मरहूम "महमूद साब"...द होल थिंग इज़ भैया......! आप "आम जनता" हो ! सब "समझ" गए ना,कि क्यों "मोर" "नाचते" हुए भी "रोता" है और "हंस"मरते हुए भी "गाता"है ! यही "जिंदगी" का "फंडा" है भाई साब! "दुखों' वाली "रात" "नींद" नहीं आती, और"ख़ुशी" वाली "रात" कौन "सोता" है.....!! ये अपना अपना "सोचने" का "नजरिया" है वर्ना यहाँ कौन "पाता" है और कौन "खोता" है  !!! जो नहीं मिला उसे "भूल" जाओ, जो "मिल" गया उसे "एन्जॉय" करो....अभी चलते है ,फिर मिलते है "फुर्सत" से,तब तक मेरे साथ-साथ "आप" भी गुनगुनाइए...... द होल थिंग इज़ दैट के  भैया..... !!!!!!!!!!        

2 comments:

  1. लंगोट बांधने से हर कोई गाँधी नहीं बन जाता.हर लंबी टांग वाला अमिताभ बच्चन नहीं होता.यह सच है की साहित्यकारों की कल्पना की सृजन में कोई सीमा नहीं होती और उस पर भी व्ययांग्कार की ? ये वो "मुल्क" है जहाँ "मुनाफ" भी "बैटिंग" करने बाकायदा "सन-स्क्रीन" क्रीम लगा कर जाता है....!अद्भुत!जवाब नहीं है आपका.यह चुभन बनाए रखिये.इस से ही तो छद्म नैतिकता के गुब्बारे फूटेंगे. साधुवाद.

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  2. मै बोलूँगा,ज़रूर बोलूँगा,बार बार बोलूँगा ! मै जानता हूँ,मेरे बोलने से कुछ नहीं बदलेगा! मगर....मै ये भी जानता हूँ,कि मेरे बोलने से मेरे भीतर का "कायर" ज़रूर बदलेगा !.....आपकी बातों से बल मिला राघवेन्द्र भाई ! धन्यवाद!!!

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