it is well said ki"khalli dimag shaitan ka ghar"but sometime yahi shitani kuch aaise khurafato ko janm de deti hai jinka koi jawab nahi hota...fursat k unhi lamho me kuch khurafato ka pratiphal hai "fursatnama"...
Sunday, October 28, 2012
Sunday, October 14, 2012
इस "सड़क" पर इस "कदर" "कीचड" बिछी है,"यहाँ" हर "किसी" का "पाँव" "घुटनों" तक "सना" है !!!!!
अच्छा भाई साब,कुछ लोगों कि "आदत" ही होती है "स्यापा" करने की, "दबंग" मंत्री की तरह बेवजह "पंडिताई" दिखाते ही रहते है ! सुना नहीं "महानायक" के "जन्मदिन" पर पूरी "दो" "दिन" तक "खबर" चलाई,वही "लोकनायक" पर एक "लाइन" तक नहीं, लो कर लो बात,एक ने "सम्पूर्ण क्रांति" का "बिगुल" भर ही तो "फूंका" था,अब ये "अलग" बात है की "लोग-बाग" "आज" तक "उन्ही" के "नाम" की "पुंगी" फूंक रहे है एनी वे मगर "अगला" तो हर "घर" के "ड्राइंगरूम" में जाकर "करोड़ों" जीतने का "मौका" दे रहा है ! मगर नहीं "आरोप" "लगाना" है तो "लगाना" है ,कौन सा "अपने" को "सबूत" देना है,सिर्फ "इशारा" ही तो करना है "ऐसा हुआ है तो ऐसा भी हुआ होगा,सरकार जांच करा ले " बस रोज "चार" "कागज" लहराते हुए आ जाओ,बाकी "मीडिया" तो है ही 'कवरेज" करने को तैयार....अब "बेचारा" "अगला" अपनी "बेगुनाही" का "सबूत" ढूंढता फिरे ! वैसे भी ये "जनता" की "अदालत" है,यहाँ "लोकतंत्र" और "संविधान" थोड़े माना जाता है,वो तो सब "फेल" हो चुके है ! क्योंकि "कानून" तो कहता है कि जब तक 'आरोप" "साबित" ना हो जाये "आप" "निर्दोष" हो ,मगर यहाँ जब तक "खुद" को "बेगुनाह" न साबित कर दो "आप" दोषी" हो ! और हाँ,तब-तक "उत्साही" "जनता" का "फैसला" भी "फेसबुक" पर "फब्तियों" और "ट्विटर" पर "टान्ट" कि "शक्ल" में आता ही रहता है !ये है "असली" "धृतराष्ट्र",जिन्हें पता नहीं कि "हजारे" से "सींची" गयी "राजनीति" में ये "खाद" कि तरह "इस्तेमाल" हो रहे है ! "फिक्स" "अम्पायर" जिन्हें "चैम्पियन ट्राफी" के नाम पर "एक-दूसरे" के खिलाफ "मैदान" पर "उतार" रहे है ! पुरानी कहावत है कि जब "चेला" खुद "गुरु" हो जाये तो असली "गुरु" का "गायब" होना "लाज़मी" है ! जाने दीजिए भाई साब,"पितृपक्ष" में "कव्वो" को नहीं "कोसा" जाता है ! "आम आदमी" तो वो "टोपी" है जिसे "पहन" कर "आप" "किसी" कि भी "टोपी" "उछाल" सकते हो ! हमारा "मुल्क" "सच्चाइयों" का "देश" है ! यहाँ "मुखौटों" को "उतरने" में 'देर" नहीं लगती है ! "नवरात्र"आरम्भ हो रहे है ! "भूत रिटर्न्स " के दिन गए ! हमारी "अइया" (दादी) कहा करती थी जब "वक्त" पर "दिल" में "कुछ-कुछ नहीं होता है" तो कोई "बात" नहीं जब "जागो",तब "सवेरा" ....यही "बात" "आज" कि भी "अइया" कह रही है वो भी "आज" के "अंदाज़" में बस "ज़रूरत" है "समझने" कि......"ड्रीममम वेक्क्पम".....शेर याद आता है.....मत कहो 'आकाश" में "कुहरा" "घना" है,ये "किसी' कि "व्यक्तिगत" "आलोचना" है ! इस "सड़क" पर इस "कदर" "कीचड" बिछी है,"यहाँ" हर "किसी" का "पाँव" "घुटनों" तक "सना" है !!!!!
Saturday, October 6, 2012
मेरे निशाँ..है कहाँ, मेरे निशाँ .....
अब ये "कमबख्त" "उम्र" का "तकाज़ा" है या "माहौल" का "खुलापन" पता नही,लेकिन एक "अंतराल" के "बाद" "मनवा" फिर से "फुर्सतनामा" की ओर "लपक" रहा है ! "आइटम" की "भाषा" में इस "मोड" को कहते है "लाइफ" की "नॉटी" कहानी "हलकट जवानी"...एनी वे "हम" तो "अन्ना" में "उम्मीद" और "केजरीवाल" में "कमी" तलाशने वाली "पीढ़ी" के है, लिहाजा "वजह" "तलाश" ली है .....अपने "फेसबुकिया" "ठिकाने" की "आबादी" ने एक "अरब" का "आंकड़ा" छू लिया है ! अब "आप" कहोगे की ये कोई "वजह" हुयी...क्यों भाई, क्यों नहीं हुयी वजह...जब बिना "ब्याज" के "दामादजी" को "लोन" देना "जांच" का "विषय" हो सकता है! "दबंग" "अमेरिका" बाज़ार में "गली-गली" "काबुलीवाला" बनने को "तैयार" है फिर तो "कुछ" भी हो सकता है मगर "आप" तो "ठहरे" "बौद्धिक" लोग सो "केएलपीडी" को भी "किस्मत-लव-पैसा-दिल्ली" समझते हो और "हम" ठहरे 'खालिस" "खांटी" "यू.पी."के तो अपनी "पहलवानी" बुद्धि को "हमेशा" "तीसरा मोर्चा" ही "दीखता" रहता और "मन" हमेशा "विधायकी" और "तन" "छात्रसंघ" चुनाव लड़ने को "मचलता" रहता है ! "बस" यही "डिफरेंस" है "हमारे" बीच में, हां "मंजिल" "दोनों" की "एक" है..."ओए" तेरी की ये तो "आंदोलन" बनाम "राजनीतिक पार्टी" वाला "डायलाग" हो गया ! खैर पुरानी "कहावत" है, जब "वक्त" "खराब" चल रहा हो तो अपनी "बीबी" पर किया "मजाक" भी "भारी" पड़ जाता है फिर "आप" "सफाई" देते हुए "राग बिलावल" में "सुर्ख" हुयी "हिना" की तरह "रब्बा-नी" मै तो "मर" गया रे "गाते" रहो मगर आपका "बिजली" "कनेक्शन"कोई नहीं "जोड़ने" वाला.....जाने दीजिए भाई साब, "इतने" दिनों के बाद "मुलाकात" हो रही है सो "बेवजह" "सेंटी" हो रहा हूँ,क्या करें "हम" तो "आम हिन्दुस्तानी" है,जो "सचिन" के "सन्यास" की "खबर" पर "दुखी" हो जाते है और "श्रीदेवी" की "इंग्लिश-विन्ग्लिश" पर "खुश" ! हमें "बिग बॉस" का नया "सीज़न" "लुभाता" है और "सातवें" "सिलेंडर" का "दाम" "डराता" है ! "हम" तो "रोज" "सुबह" "जीते" है और "हर" "शाम" "ढलते" है ! बहुत "छोटी-छोटी" "खुशियाँ" है और "हम" "उनमे" ही "जिंदगी" "तलाश" लेते है...."पितृपक्ष" चल रहा है,"कहते" है जो "चले" जाते है वो "ऊपर" से "हमें" हमेशा "भगवानजी" के "साथ" देखा करते है मगर जाने क्यों "आज" के "दौर" में "पितरों" को "तर्पण" करते करते "जब" भी "नज़रें" उठा कर बड़ी "हसरत" से "ऊपर" की ओर "देखता' हूँ तो "आँखे" ना "जाने" क्या "सोचकर" "भर" आती है..."अम्मा" की "रोटी" का "स्वाद","बाबूजी" की "याद" या "कुछ" और...."पता" नहीं.....कही "दूर" "गाना" "बज" रहा है.......मिलता नहीं इंसानों में,बिकता हूँ मै दुकानों में ! दुनिया बनायीं मैंने हाथों से,मिटटी से नहीं जज्बातों से......मेरे निशाँ ..है कहाँ, मेरे निशाँ .....
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