वो क्या है भाई साब,हम तो ठहरे "खाने-खिलाने"वाले आम आदमी ,सारी उम्र इसी कोशिश में लगे रहे कि "उपवास" न करना पड़े,कभी "नीबूं पानी" पिया भी तो "टेस्ट" बदलने के लिए...मगर "जंतर मंतर" पर इस बार तो ऐसा "नीबूं पानी"पिया कि वाकई सारा "टेस्ट" ही बदलता दीख रहा है!मामला "सिंगल" से "हजारे" और फिर "हजारे"से "करोडो"हो गया है और कमाल कि बात ये है कि ये वही "करोडो" है जिन्होंने खुद "वोट"देकर "भ्रष्टाचारियो" को ही भेजा है और आज "खुद" "भ्रष्टाचार" के खिलाफ खड़े हो गए है ! वाह रे मुल्क,समझ में नहीं आता कि "मुहं" पर "दुपट्टा" "धूप" से बचने के लिए लपेटा है या "बाइक" की "पिछली सीट" पर "बैठने" के लिए.....आपकी कसम,"वानखेड़े" में जीते गए "कप" और "जंतर मंतर" पर लहराते "गठन के आदेश"को देख कर फ़ौरन "सरकारी अफसर" का "बयान" याद आ गया...असली "ट्राफी" तो हमारे पास है...बोले तो,अब मामला "सड़क"से उठकर " "फाईलो" और "बाबुओं" तक पहुँच गया है ! आओ अब उतारो "गद्दाफी"को "गद्दी" से! 90और 92 में भी ऐसा ही माहौल था !आज कोई "चर्चा" भी नहीं करता है!आप भी हर बार "उपवास" नहीं रख सकते,पता है ना अब तो "नवरात्री"में "कुट्टू" का आता भी "सुरक्षित" नहीं है!याद आती है पंक्तियाँ ,जो "पाप" कहता है (शायद भारत भूषण जी की है ) जन्म लेता ना मै धरा पर,तो ये धरा बनी मसान होती! ना मंदिरों में मृदंग बजते, ना मस्जिदों में अजान होती!!"गांधी" ने अंग्रेजो" को भगाया,"जय प्रकाश" की वजह से "आपातकाल" लगा अब "अन्ना" ने "जन लोकपाल विधेयक" के लिए ललकारा है
यानि आई .पी. एल की ज़बान में कहें तो हर "ट्वेंटी" दशक के बाद "भ्रष्टाचार"के खिलाफ हमें "स्ट्रेटजिक टाइम आउट "लेना पड़ रहा है वो भी हर बार एक नए "कोच" के साथ और "भ्रष्टाचार" है की "चौके-छक्के" लगाये जा रहा है और हम "भ्रस्टाचार" को देख कर गा रहे है "रज़िया फंस गयी गुंडों" में उधर "भ्रष्टाचार" "रज़िया"की तरह "आईटम गर्ल"बनकर "जीवन" की "आपधापी" से "पीड़ित" जनमानस को "एंटरटेन" कर रहा है...जनता हूँ भाई साब,आँखें बंद कर लेने से सिर्फ "अँधेरा" होता है!"सूरज" नहीं "डूब" जाता है !जो "रौशनी" चमकी है उससे देखने का "वक़्त" आ गया है!अब हमें "आँखे" खोलनी ही होगी !"राम नवमी" आ गयी है!"भ्रष्टाचार" के विरुद्ध "जन जागरण " और "अयोध्या"में "प्रभु" का "अवतरण" अकारण नहीं है...ये "शुभ" संकेत है...गोस्वामी जी ने कहा भी है "जब जब होए धरम की हानी,बाढें असुर अधम अभिमानी!तब तब धरी प्रभु मनुज सरीरा ,हरहि भव सज्जन पीरा !!".आमीन !!!!!!!!!!!!!!!!
Bahut badhia! aap sahi khane peene wale ho tabhi to aapke vichaaron kee biryani mein har masale ka rang, swad aur khushboo rehti hai, kabhi kabhi meat na sahi meat masala hee daal diya karein, non veg ka tadka dene ke liye, for a change, varna sabki bakhia udher kar aise hee chhor dene ka faayda nahi. Gaddafi gaddi se chipka rahega, Razia ki destiny nahi badlegi, laaden jo filhaal barsati mendhak kee tarah hibernation mein hai, firse aa khada hoga. Kuchh aisa tehlka machana hoga ki Yatra , Tatra , Sarvatra, ek hi mantra goonje, jo aaj her bhartiya ki juban par hai. jantar(Yantra) ki jarurat hi na pade aur gadi dobara reverse gear mein na jaaye.
ReplyDeletethanx bhai sab...sahi kaha aapne ...bs aap sb k comment se lagta hai ki likhne ka koi matlab hai varna yaha kise padi hai padhne likhne ki.....short cut....
ReplyDeleteहमेशा की तरह .अदभुत!
ReplyDeletewell said...
ReplyDeleteधन्यवाद आप सब के उत्साहवर्धन के लिए !!!!
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