Sunday, November 11, 2012

जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना कि अँधेरा धरा पर कही रह न जाये....

"खुशियाँ" मनाइए "भाई साब", "फेस्टिवल" "सीज़न" आ गया है ! चारो तरफ "आफर्स" कि "बहार" है ! नई "कोर कमेटी" का "गठन" हो रहा है ! दीन-हीन-श्रीहीन-चौतरफा "आरोपों" से घिरा "नेतृत्व" भी "सूरजकुंड" से "संवाद" कर रहा है ! "मोदी" के बुलाने पर "सिद्धू"  "बिग-बॉस 6" से बाहर आ गए है ! "राजनीति" कि "चौसर" पर हर "शकुनि" अपने-अपने "दुर्योधन" को "दावं" लगाने के लिए "उकसा" रहा है ! "डिस्काउंट" के इस सीज़न में "चरित्र" भी "अछुता" नहीं बचा है ! अच्छा अब आप ही बताइए जिस मुल्क में "स्वामी विवेकानंद" कि तुलना "दाउद" से हो वहाँ लोग "दीपावली" का अर्थ "श्री राम" कि "अयोध्या" वापसी के बजाय "दुर्योधन" के "दांव" से लगाए तो "गलत" क्या है ! वैसे भी "भगवान राम" इस बार "अयोध्या" आते समय "सहमे" ही रहेंगे ,जाने कौन सा "धोबी" किसकी "पत्नी" को "50 करोड" कि "गर्लफ्रैंड" कह दे और किसकी पत्नी को "यू ट्युब" पर होने का दावा  कर दे ! बहरहाल "आपरेशन" के बाद "ध्रतराष्ट" कि "आँखे" खुल गयी है और वो हर हफ्ते "आधी-अधूरी" जानकारी  के बजाय सचमुच "सबूत" लाने को कह रहा है ! वैसे भी "खुद" को "डेंगू" का "मच्छर" कह देने से "सामने" वाले के "प्लेटलेट्स" कम नहीं होने वाले,बल्कि "बम" के "धमाके" भी "फुलझड़ी" का "मज़ा" देने लगते है ! ज़माना बदल चुका है भाई साब,अब "द्रोपदी" साडी नहीं पहनती है और "धर्मराज" "शेयर मार्केट" में "ट्रेडिंग" करते है, रहा सवाल "आम आदमी" का, तो वो "मनहूस" अपने "हाथ" में "के.वाई.सी." फार्म लिए किसी "गैस-एजेंसी" के बाहर खड़ा होगा ! खील-मिठाई-पटाखे कि छोडिये, "मुंडेर" पर "जगमगाते" "दीयों" में "भरने" के लिए "तेल" खरीदने के लिए अपनी "जेबे" "टटोल" रहा होगा....जैसे ही "मौका" मिलेगा कभी "टोपी" लगा कर "जन-लोकपाल" के पीछे, तो कभी "योग" करते हुए "काले धन" कि "वापसी" के पीछे इस "आशा" में दौड़ रहा है कि उसकी "दरिद्रता" दूर हो जायेगी ! जबकि वो नहीं जानता है कि "दरिद्र" को हमेशा "नारायण" से जोड़ा गया है और "श्री" यानि "लक्ष्मी जी" को "उल्लू" से, और इस समय "चारो" ओर "उल्लुओं" कि "पूजा" कि "तैयारी" चल रही है ! "हंस" बेचारा "चुपचाप" एक "कोने" में अपनी "वीणा" के  "तार" कसते "आँखों" में "आंसू" लिए "सोच" रहा है....सृज़न है अधूरा अगर विश्व भर में, कही भी किसी भी द्वार पर है उदासी,मनुजता पूर्ण नहीं तब तक, के जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी,चलेगा सदा नाश का खेल यूँ ही,भले ही दिवाली यहाँ रोज आये,जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना कि अँधेरा धरा पर कही रह न जाये..... "दीप पर्व" कि "आप" सभी को "मंगलकामनाएं" !!!!!                

Sunday, October 28, 2012

आज मोहे रघुबर कि सुधि आई.....


कसम केजरीवाल कि भाई साब, मनवा आजकल फूलकर “गड्गरी” हो रहा है ! “बिग-बॉस” के घर में “कमोलिका” कि तरह “चुनरी” लहराता हुआ घूम रहा है, आओ कोई “झूठा” ही सही “दाग” तो लगा दो मगर वो “इच्छा” ही क्या जिसकी “पूर्ती” हो जाये ! “आम-आदमी” कि “किस्मत” भी भारतीय “बल्लेबाजो” के “फॉर्म” की तरह हमेशा “रूठी” ही रहती है ! “दिल” में एक “हूक” सी उठती है, काश “पोल-खोल” के “वीकली एपिसोड” में हमारा “नाम” भी आ जाता, कम से कम रातों-रात “फेमस” तो हो जाता लेकिन वो क्या है कि “गोरेपन” कि “क्रीम’ के “विज्ञापन” में कभी “बालाजी” को “मॉडल” नहीं लिया जाता है ! वैसे भी “आज” के “दौर” में “फेमस” होने के लिए जैसे “करम” करने चाहिए, उसके लिए “जिगर” कि ज़रूरत होती है और “आम-आदमी” के पास “जिगर” कहाँ, अरे जिसके माथे पर “पेट्रोल” के दाम 18 पैसे बढ़ने कि खबर पर “पसीना” छलछला जाता है और “सातवें” सिलिंडर का “दाम” “पतलून” ढीली कर देता है उसे “फेमस” होने का क्या “हक” ! बहरहाल आप परेशान ना हो, “विजयादशमी” बीत चुकी है ! “रावण” के मरने का “भ्रम” हवा में है ! जामवंत,सुग्रीव,नल-नील,अंगद सब को “रामराज्य” में हिस्सा “बंट” रहा है ! नाराज़ “हनुमान” अपनी “पूँछ” में “आग” लगा कर “संसद-मार्ग” पर “धरने” पर बैठ कर “दांत” किटकिटा रहा है और “राम”.....”हम” सब जानते है कि “राम” एक “चरित्र” नहीं, “आदर्श” है और इस “मुल्क” में “आदर्शों” को “अपनाया” नहीं जाता,सिर्फ “पूजा” कि जाती है वो भी “साल” में एक दिन, वैसे भी आज के दौर में “राम” का “साथ” या “राम” का “विरोध” सिर्फ “सत्ता” पाने का मार्ग “मात्र” है खैर......हर साल “राम” “दीपावली” पर “अयोध्या” लौट आते थे लेकिन इस बार “कर्फ्यू” लगा है सो वो “बाहर” खड़े होकर “ढील” का “इंतज़ार” करेंगे या “यहाँ” कि “दुर्दशा देखकर फिर ले लेंगे “दूसरा-वनवास” ! बकौल कैफी आज़मी....पाँव सरयू में अभी राम ने धोए भी न थे, के नज़र आये वहाँ खून के गहरे धब्बे, पाँव धोए बिना राम सरयू के किनारे से उठे, राम ये कहते हुए अपने द्वारे से उठे, आई ना यहाँ कि फिजा रास मुझे, एक बार फिर से मिला “वनवास” मुझे !!!!!! अब “आप” सब “चुप” क्यों हो भाई, रोक लो “राम” को, जो “हमारी” “पहचान” है वर्ना “चुप” रहने कि “कीमत” हमें ही “चुकानी” पड़ेगी....”कुमार गन्धर्व” का “ख़याल” गूँज रहा है...आज मोहे रघुबर कि सुधि आई,आज मोहे रघुबर कि सुधि आई,राम बिना मेरी सूनी अयोध्या,लक्ष्मण बिन ठकुराई....आज मोहे रघुबर कि सुधि आई.....

Sunday, October 14, 2012

इस "सड़क" पर इस "कदर" "कीचड" बिछी है,"यहाँ" हर "किसी" का "पाँव" "घुटनों" तक "सना" है !!!!!

अच्छा भाई साब,कुछ लोगों कि "आदत" ही होती है "स्यापा" करने की, "दबंग" मंत्री की तरह बेवजह "पंडिताई" दिखाते ही रहते है ! सुना नहीं "महानायक" के "जन्मदिन" पर पूरी "दो" "दिन" तक "खबर" चलाई,वही "लोकनायक" पर एक "लाइन" तक नहीं, लो कर लो बात,एक ने "सम्पूर्ण क्रांति" का "बिगुल" भर ही तो "फूंका" था,अब ये "अलग" बात है की "लोग-बाग"  "आज" तक "उन्ही" के "नाम" की "पुंगी" फूंक रहे है एनी वे मगर "अगला" तो हर "घर" के "ड्राइंगरूम" में जाकर "करोड़ों" जीतने का "मौका" दे रहा है ! मगर नहीं "आरोप" "लगाना" है तो "लगाना" है ,कौन सा "अपने" को "सबूत" देना है,सिर्फ "इशारा" ही तो करना है "ऐसा हुआ है तो ऐसा भी हुआ होगा,सरकार जांच करा ले " बस रोज "चार" "कागज" लहराते हुए आ जाओ,बाकी "मीडिया" तो है ही 'कवरेज" करने को तैयार....अब "बेचारा" "अगला" अपनी "बेगुनाही" का "सबूत" ढूंढता फिरे ! वैसे भी ये "जनता" की "अदालत" है,यहाँ "लोकतंत्र" और "संविधान" थोड़े माना जाता है,वो तो सब "फेल" हो चुके है ! क्योंकि "कानून" तो कहता है कि जब तक 'आरोप" "साबित" ना हो जाये "आप" "निर्दोष" हो ,मगर  यहाँ  जब तक "खुद" को "बेगुनाह" न साबित कर दो "आप" दोषी" हो  ! और हाँ,तब-तक "उत्साही" "जनता" का "फैसला" भी "फेसबुक" पर "फब्तियों" और "ट्विटर" पर "टान्ट" कि "शक्ल" में आता ही रहता है !ये है "असली" "धृतराष्ट्र",जिन्हें पता नहीं कि "हजारे" से "सींची" गयी "राजनीति" में ये "खाद" कि तरह "इस्तेमाल" हो रहे है ! "फिक्स" "अम्पायर" जिन्हें "चैम्पियन ट्राफी" के नाम पर "एक-दूसरे" के खिलाफ "मैदान" पर "उतार" रहे है ! पुरानी कहावत है कि जब  "चेला" खुद "गुरु" हो जाये तो असली "गुरु" का "गायब" होना "लाज़मी" है ! जाने दीजिए भाई साब,"पितृपक्ष" में "कव्वो" को नहीं "कोसा" जाता है ! "आम आदमी" तो वो "टोपी" है जिसे "पहन" कर "आप" "किसी" कि भी "टोपी" "उछाल" सकते हो ! हमारा "मुल्क" "सच्चाइयों" का "देश" है ! यहाँ "मुखौटों" को "उतरने" में 'देर" नहीं लगती है ! "नवरात्र"आरम्भ हो रहे है ! "भूत रिटर्न्स " के दिन गए !  हमारी "अइया" (दादी) कहा करती थी जब "वक्त" पर "दिल" में "कुछ-कुछ नहीं होता है" तो कोई "बात" नहीं जब "जागो",तब "सवेरा" ....यही "बात" "आज" कि भी "अइया" कह रही है वो भी "आज" के "अंदाज़" में बस "ज़रूरत" है "समझने" कि......"ड्रीममम वेक्क्पम".....शेर याद आता है.....मत कहो 'आकाश" में "कुहरा" "घना" है,ये "किसी' कि "व्यक्तिगत" "आलोचना" है ! इस "सड़क" पर  इस "कदर" "कीचड" बिछी है,"यहाँ" हर  "किसी" का "पाँव" "घुटनों" तक "सना" है !!!!!  

Saturday, October 6, 2012

मेरे निशाँ..है कहाँ, मेरे निशाँ .....

अब ये "कमबख्त" "उम्र" का "तकाज़ा" है या "माहौल" का "खुलापन" पता नही,लेकिन एक "अंतराल" के "बाद" "मनवा" फिर से "फुर्सतनामा" की ओर "लपक" रहा है ! "आइटम" की "भाषा" में इस "मोड" को  कहते है "लाइफ" की "नॉटी" कहानी "हलकट जवानी"...एनी वे "हम" तो "अन्ना" में "उम्मीद" और "केजरीवाल" में "कमी" तलाशने वाली "पीढ़ी" के है, लिहाजा "वजह" "तलाश" ली है .....अपने "फेसबुकिया" "ठिकाने" की "आबादी" ने एक "अरब" का "आंकड़ा" छू लिया है ! अब "आप" कहोगे की ये कोई "वजह" हुयी...क्यों भाई, क्यों नहीं हुयी वजह...जब बिना "ब्याज" के "दामादजी" को "लोन" देना "जांच" का "विषय" हो सकता है! "दबंग" "अमेरिका" बाज़ार में "गली-गली" "काबुलीवाला" बनने को "तैयार" है फिर तो "कुछ" भी हो सकता है मगर "आप" तो "ठहरे" "बौद्धिक" लोग सो "केएलपीडी" को भी "किस्मत-लव-पैसा-दिल्ली" समझते हो और "हम" ठहरे 'खालिस" "खांटी" "यू.पी."के तो अपनी "पहलवानी" बुद्धि को "हमेशा" "तीसरा मोर्चा" ही "दीखता" रहता और "मन" हमेशा "विधायकी" और "तन" "छात्रसंघ" चुनाव लड़ने को "मचलता" रहता है ! "बस" यही "डिफरेंस" है "हमारे" बीच में, हां "मंजिल" "दोनों" की "एक" है..."ओए" तेरी की ये तो "आंदोलन" बनाम "राजनीतिक पार्टी" वाला "डायलाग" हो गया ! खैर पुरानी "कहावत" है, जब "वक्त" "खराब" चल रहा हो तो अपनी "बीबी" पर किया "मजाक" भी "भारी"  पड़ जाता है फिर "आप" "सफाई" देते हुए "राग बिलावल" में "सुर्ख" हुयी "हिना" की तरह "रब्बा-नी" मै तो "मर" गया रे "गाते" रहो मगर आपका "बिजली" "कनेक्शन"कोई नहीं "जोड़ने" वाला.....जाने दीजिए भाई साब, "इतने" दिनों के बाद "मुलाकात" हो रही है सो "बेवजह" "सेंटी" हो रहा हूँ,क्या करें "हम" तो "आम हिन्दुस्तानी" है,जो "सचिन" के "सन्यास" की "खबर" पर "दुखी" हो जाते है और "श्रीदेवी" की "इंग्लिश-विन्ग्लिश" पर "खुश" ! हमें "बिग बॉस" का नया "सीज़न" "लुभाता" है और "सातवें" "सिलेंडर" का "दाम" "डराता" है ! "हम" तो "रोज" "सुबह" "जीते" है और "हर" "शाम" "ढलते" है ! बहुत "छोटी-छोटी" "खुशियाँ" है और "हम" "उनमे" ही "जिंदगी" "तलाश" लेते है...."पितृपक्ष" चल रहा है,"कहते" है जो "चले" जाते है वो  "ऊपर" से "हमें" हमेशा "भगवानजी" के "साथ" देखा करते है मगर जाने क्यों "आज" के "दौर" में  "पितरों" को "तर्पण" करते करते "जब" भी "नज़रें" उठा कर बड़ी "हसरत" से "ऊपर" की ओर "देखता' हूँ तो "आँखे" ना "जाने" क्या "सोचकर" "भर" आती है..."अम्मा" की "रोटी" का "स्वाद","बाबूजी" की "याद" या "कुछ" और...."पता" नहीं.....कही "दूर" "गाना" "बज" रहा है.......मिलता नहीं इंसानों में,बिकता हूँ मै दुकानों में ! दुनिया बनायीं मैंने हाथों से,मिटटी से नहीं जज्बातों से......मेरे निशाँ ..है कहाँ, मेरे निशाँ .....       

Monday, April 9, 2012

"ख्वाजा मेरे ख्वाजा,दिल में समा जा..

तो "देख" लिया न भाई साब,अपना "मीड़िया" "क्या-क्या" और "कहाँ-कहाँ" से लीक करता है ! कसम "ट्वेंटी-ट्वेंटी" की, जी तो करता है किसी "प्रतिभाशाली फ्लॉप"  क्रिकेटर कि तरह "सर" मुंडा कर भारतीय "क्रिकेट टीम" कि "हार" का ठीकरा "आइ.पी.एल." के "सर" पर "फोड़ते" हुए "सभी" को "काम्बलिया" दूँ मगर वो क्या है कि,अपने "मुल्क" में "अपहरण" कि "चर्चा" होने के लिए भी "इटैलियन" नागरिक होना ज़रूरी  है वर्ना "जियारत" वाले "मुल्क" में "हमले" के  "मास्टर माइंड" की "टेन परसेंट" बातें करना भी "सियासत" हो जाएगी ! वाह रे मेरे "गरीब नवाज़", "दामाद" को "लाल बत्ती" नहीं मिली तो "इमाम साहब" ने  सीधा "सियासत" पर ही "सवाल"  उठा दिया ! इधर "सेना" के "दिल्ली" कूच करने की "खबर" उडी ही थी कि "तख्तापलट" से "घबराये" "पडोसी" भी आ गए "दरबार" में..... वो "कहते" है ना, "दो बेचारे बिना सहारे...." ! खैर..... "दस्तरखान" पर "जैतूनी मुर्ग" और "सींक कबाब" का लुत्फ़ लेते हुए जहाँ "युवराज" "राग बिलावल" सुन रहे थे,वहीं "यू.पी." में "छात्र संघों" के नेता "अपना नेता मस्त है" कि "प्रैक्टिस" कर रहे है, उधर "नए-नए" बने "नेताजी" और भी "मस्त" होकर "सीरियल ब्लास्ट" के "आतंकियों" को "रिहा" करने कि "घोषणा" कर रहे है ! अब ये "अलग" बात है कि "आम आदमी" बेचारा "वोट" देने के बाद "दगी" हुयी "बन्दूक" कि तरह अपनी "थाली" से "कम" होती हुयी "खुराक" को "निहार" रहा है,जहाँ "जिंदगी" के " एडवेंचर माल" में हमेशा "ज़रुरत" के "वक़्त" रस्सी "छोटी" पड़ जाती है ! अब "आम आदमी" "मिस इंडिया" तो है नहीं जो उसकी फोटो "न्यूज़" में आयेगी, उसके "हिस्से" में हमेशा कि तरह "चुपचाप" गुमनाम "स्टंटमैन" कि तरह  "पोस्टमार्टम" करवाओ और "दफ़न" हो जाओ ही आना है ......ये क्या हुआ "भाई साब" , इतनी "कड़वाहट" कहाँ से आ गयी, "हम" तो ऐसे "कभी" ना थे....! "रिश्तों" कि "तल्खी" सुधरे,यही "दुआ" है....वैसे "सच्चे" "दिल" से "जियारत" करें तो "दुआ" ज़रूर "कुबूल" होगी...वैसे भी "आम आदमी" के पास अब "सिर्फ" "सच्चाई" ही बची है....ज़रा "गौर" से सुनिए तो  "ख्वाजा" के "दरबार" से "सदायें" आ रही है......"ख्वाजा मेरे ख्वाजा,दिल में समा जा,शाहों का शाह तू ,अली का दुलारा...ख्वाजा मेरे ख्वाजा"......आमीन !!!!!!!      

Monday, March 19, 2012

घर के ठंढे चूल्हे पर अगर,ख़ाली पतीली है, बताओ कैसे लिख दूं,धूप फागुन की नशीली है !!

अब "आपसे" क्या "छुपाना" भाई साब, हमने हर "शिवरात्रि" पर "भाँग" भी पी है और "होली" पर चुराकर "गुझिया" भी खायी है मगर "बज़ट" कभी नहीं बनाया और जब बनाया नहीं तो उसके "गाढे-पतले" से भी नहीं "वकिफ़ ! ये काम "घर" में आपकी "भाभी" और "देश" में "वित्तमंत्री" के जिम्मे है ! अगला उतने ही "ठसके" से "चमड़े" के "ब्रीफकेस" के साथ  "फोटो" "खिंचवाता" है, जितनी "धमक" के साथ "पत्नी" "तनख्वाह" निकालने के बाद "पर्स" वापस करती है !हम तो बस उस "अधूरी शपथ" की तरह है जिसमे "मुख्यमंत्री" से "मंत्री" बनने की "टीस" साफ़ नज़र आती है ! "मनवा" में एक "हूक" सी उठती है, काश "हम" भी थोडा सा "मुलायम" होते तो आज "सरकार" हमारी होती ! मगर वो कहते है ना की "वक़्त" बुरा हो तो "महाशतक" बनाने के बाद भी "टीम" "बंगलादेश" से "हार" जाती है ! बहरहाल आप "मायूस" न हो, जाते हुए "फागुन" की "खुमारी" अभी बाकी है ! "होलिका बुआ" के  "फ्यूनरल" के बाद "माहौल" में "नीले" की जगह "हरा" रंग ही बचा है ! वैसे भी "पल्स-पोलिओ" की "बूँद" पीकर "बड़ी" हुई "पीढ़ी" को "वोट" के समय "भ्रष्टाचार" नहीं, "फ्री" में "मिलने" वाला "लैपटॉप" और "टैबलेट" याद रहता है ! "हाईस्कूल-इंटर" की "परीक्षा" के दिनों में "एशिया कप" की "भिडंत" देखने वालो के "गालों" पर "बेरोज़गारी भत्ता" मिलने की "लाली" छाई हुयी है ! "बाबा रामदेव" से लेकर "अन्ना" तक सभी अपनी अपनी "पीठ" ठोंक रहे है ! "श्री-श्री" की "धुन" पर "पकिस्तान" से लेकर "पूर्वांचल" तक "नाच" रहा है ! पुरानी कहावत है, "बेरहमी" से "बज़ट" पेश करोगे तो "ममता" नहीं मिलेगी ! वैसे भी इस "मुल्क" में "बज़ट" बनाने की "ज़रुरत" उन्हें है "जिनके" पास "कुछ" हो ! "आम आदमी" के लिए तो "राहत" सिर्फ एक "सपना" है ! "दो जून" की "रोटी के लिए सारा "दिन" "पिसना" है ! सुना है "बज़ट" बनाते समय "शेरो-शायरी" सुनाने की "परम्परा" है.....भाई साब, कभी अगर "आप" को "मौका" मिले तो "चमड़े" के उस "बैग" में "आम आदमी" का ये "शेर" रख दीजियेगा, जिसमे "कहते" है की "मुल्क" का "आम बज़ट" रखा जाता है ! "शेर" अर्ज़ है......."घर के ठंढे चूल्हे पर अगर,ख़ाली पतीली है, बताओ कैसे लिख दूं,धूप फागुन की नशीली है !! बगावत के कँवल खिलते है,दिल की सूखी दरिया में,मै जब भी देखता हूँ, आँख बच्चो की पनीली है !!!! 

Sunday, February 12, 2012

"गुल" से लिपटी हुयी "तितली" को हटा के दिखाओ,"आँधियों"! तुमने "दरख्तों" को गिराया होगा !!!!

वो क्या है भाई साब किये "फागुन" और "बाबा वेलेंटाइन" कि "काकटेल" का ही असर है,जिसे देखो वही बाल "रंगने" पर लगा है और जिसने नहीं रंगे है वो बाकायदा "कोर्ट" में अर्जी दे रहा है,सवाल "उम्र" का है ! इस "मौसम" में "जिंदगी" रिवर्स गेयर में ही भागती है! हर "बाबा" "देवर" बनने लगता है ! तभी तो "जोड़ी ब्रेकर" भी "कुंवारा हूँ कुंवारा" गाने लगता है ! वो हमारा "ज़माना" था भाई साब,जब इस "मौसम" में हर "सयानी" लड़की  "छत" पर "चिप्स-पापड़" "सुखाने" आ जाती थी और "हम" "पतंग-चरखी" लेकर ! वहीं से "आँखों" में "आँखे" दाल कर "टुन्न" हो जाया करते थे ! यू नो,कम "खर्च" वाला "नशा" ! अभी तो "प्रेम" और "नशा" बड़ा "महंगा" हो गया है ! "दोनों" में "पैसा" लगता है ! "पीले-पीले" सरसों,"मीठी मटर" और "महकते फूलों" के बगीचे का प्रेम "ओल्ड फैशंड" हो गया है ! अब तो "कलियाँ" भी "ब्यूटी-पार्लर" में जाती है और "भँवरे" "जिम" में जाकर "डोले-शोले" बनाते है ! मोहब्बत "हार्ट-शेप" के "चाकलेट" और "केक" में "तब्दील" हो गई है ! इस बार तो "मोहब्बत" के "मौसम" में "चुनाव" भी है ! चुनावी चकल्लस  हर गली,नुक्कड़,चौराहों पर चालू है ! कहीं "मुठभेड़" को याद करके "आंसू" बह रहे है तो कही "राग-आरक्षण" पर " चुनाव- आयोग"  कि "चिट्ठी" है ! "बाबा" तक "भूखे बच्चों" को लेकर "मंच" से अपनी "भड़ास" निकल रहे है ! "कामदेव "  के "मति" मारने के "मौसम" में, "वोटरों" के "मत" पाने के "हथकंडों" से चारो तरफ "रौनक" है ! फटेहाल "सुदामा" भी "कृष्ण" बना "इतरा" रहा है ! मदमाते मधुमास में सारे "हार्मोन्स" आवारागर्दी करने लगते है ! "वेलेंटाइन" और "डायन" का भेद मिट जाता है !ऐसे में "सदन" के भीतर "विडियो क्लिपिंग" देखते पकडे जाने पर इतनी "हाय तौबा" क्यों ! जी तो करता है कि इसी वक़्त अपने "बाँहों"  पर "दिल" के आकर का "गोदना" बनवा लूँ और "राइट टू  रिजेक्ट" का "आप्शन" चूज़  करके एक अदद "नई वाली" "बाबा वेलेंटाइन" के नाम पर "राइट टू चूज़" कर लूँ.......लेकिन सच कहूँ भाई साब, ये "मौसम" कितना भी "बहकाए" मगर "मांग में सिंदूर" और "पेशानी" के एक "बल" पर हमेशा "परिवार" के लिए "चिंता" रखने वाली से "खूबसूरत" कोई "अहसास" नहीं है ! हर "लम्हा" "प्रेम" से "पगे" "मुल्क" में  "एक दिवसीय"  "आयातित प्रोमोत्सव" कि ज़रूरत नहीं है !"भावनाए" "भाषा" कि "मोहताज़" नहीं होती ! "मुहब्बत" "कही" नहीं, "महसूस" कि जाती है....जाने दीजिये भाई साब,इमोशनल हो रहा हूँ,आप "अहसास" कर लो, उससे पहले बड़ी "मोहब्बत" से  एक "शेर" दे रहा हूँ .....स्वीकारियेगा...टूट कर ऊँचाइयों  से एक सितारा जो गिरा,ज़रूर उसने किसी जर्रे का मजाक उड़ाया होगा ! "गुल" से लिपटी हुयी "तितली" को हटा के दिखाओ,"आँधियों"! तुमने "दरख्तों" को गिराया होगा !!!!

Sunday, January 29, 2012

ये "मौसम" का "जादू" है "मितवा".....

सच में भाई साब,इस "मौसम" में मुझे तो हर "तांगेवाली" "बसंती" नज़र आने लगती है ! यू नो, ये "मौसम" का "जादू" है "मितवा"......."मनवा" रह-रहकर "सलमान रुश्दी" की तरह "लन्दन" से ही "ट्विट" करके "जयपुर" की "महफ़िल" के "मज़े" लूटने लगता है ! "दिल" के "अरमाँ" "सन्यास" छोड़कर "पार्टी" में वापस आई "उमा भारती" की तरह "लम्बी-लम्बी" छोड़ने लगता है !" कसम" से जिसे देखो वही "बौराया-बौराया" सा लगता है ! इस बार तो "माहौल" में "मादकता" के साथ-साथ "आचार संहिता" भी घुली है ! "मधुमास" है तो भी "फूलों" का खिलना मना है,मगर "चुनाव" है इसलिए "बबूल " से लेकर "नागफनी" तक सब "मुस्कुरा" रहे है ! "कामदेव" तो गए है मगर "बाण" नहीं चलाएंगे, हाँ "सुशासन" वाले "मंत्री" हाथ "काटने" की "धमकी "ज़रूर" दे रहे है ! "अन्ना" की "सेहत" पर "चिंता" के बजाये "योगगुरु" "पद्म पुरस्कारों" पर " सवाल खड़े कर रहे है !  वैसे भी जितना विश्वसनीय  "योग" है,उतना "योगगुरु" नहीं !  इस "ऋतू" में "पीला" "पहनने" की "प्रथा" है,इसलिए "हाथी" तक  "पीला" "पोलीथिन" लपेट कर "बसंती" हो गया है ! "बच्चन" की "अग्निपथ" पर "कांचा-चीना" हावी है ! "कमिश्नर" की "फटकार" पर "इस्तीफा" हावी है !"होलिका-बुआ" के "चौराहे" पर "गड़ते" ही "भाई-लोग" "गणतंत्र" दिवस की "परेड" पर   देखे गए "मिलेट्री" के "जांबाज़" "कारनामो" को भुला कर "उनकी" "कैंटीन" का पता "ढूंढने" में लगे है ! कोई "क्लीन स्वीप" के नाम पर "गम" गलत करने का "बहाना" ढूंढे है तो कोई "विराट" के "इकलौते शतक" और "इशांत" के "इकलौते विकेट" का "जश्न" मनाने को "बेताब" है ! इस बार "जयपुर" ने बता दिया है की "साहित्य" में अब "प्रगतिवाद" "आदर्शवाद" "छायावाद" की जगह सिर्फ "विवाद" बचा है ! अगले "महीने" सब "साफ़" हो जायेगा कि "किसका" मुहँ "काला" होगा और किसका "लाल".....मगर आप "टेंशन" ना लो, "उत्तराखंड" में "चुनाव प्रचार" ख़त्म हो चूका है,"मणिपुर" में "मतदान" हो चुका है,"अन्ना" सेहत ख़राब होने की वजह से नहीं गए,रहा सवाल उनकी "टीम" का तो "उनकी" तो "दूध-भात" ....वैसे भी जिस "मुल्क" में "पीलेपन" का मतलब सिर्फ "बसंती" "नवजीवन" का "उल्लास" ही नहीं ,बल्कि "जांडिस" भी होता हो, वहां "भ्रष्टाचार"  "चुनाव" का नहीं,"आन्दोलन" का "मुद्दा" होता है..........माफ़ कीजियेगा भाई साब, "पहले" ही कह चूका हूँ कि "आज-कल"  कुछ "बौराया-बौराया" सा हूँ ! इसके पहले कि आप भी "बौरा" जाओ,"बसंती मूड" में भाई "रफीक शादानी" कि एक "अवधी" रचना" "उछाल" रहा हूँ...संभालियेगा.... नेता लोगे घुमै लागे,अपनी-अपनी जजमानी मा ! उठौ कहिलऊ,छोरौ खिचड़ी, हाथ मारो बिरयानी मा !! इहई वार्ता होति रही कल,रामदास-रमजानी मा ! दूध कई मटकी धरेउ न भईया, बिल्ली के निगरानी मा !!


Sunday, January 22, 2012

.ये "गणतंत्र" है भाई साब....

अच्छा भाई साब,"आम हिन्दुस्तानी" से बेहतर "पार्टी से निकाला गया "विधायक" ! यू नो  "अगले" की "आत्मा" कभी भी "डाईव" मारकर "पार्टी" तो बदल सकती है मगर "अपन" तो ना "सुहागिन" में और ना "विधवा" में ! "सरकार" "किसी" की भी बने,अपने "हिस्से" में तो वही "मनहूसियत" ही आनी है ! मगर वो कहते है ना कि "मजबूरी" का नाम "मनमोहन" तो "हताशा" का नाम "हजारे" ! कमबख्त अपने ही "वादे" पर "टिका" रहना "मुश्किल"....."अगले" को पता है कि जिस "मुल्क" में लोग "पत्थर" बनने के "डर" से सारी "रात" जाग सकते है,वहां "हाथियों" को "ढँक" देने से "कुछ" नहीं होने वाला ! "देशभक्ति" के गानों पर "डांस" करते हुए ,"तिरंगा" लहराने वाले भी "अपने" बीच पाकर "मुह" पर "स्याही" फेंक सकते है ! "मौसम" और "महबूब" का "पारा" कभी भी "बदल" सकता है ! कसम "बाबूराम कुशवाहा" की, "आप" ही बताओ किसे "जिताओगे" और किसे "हराओगे" ! यहाँ तो हर "जलेबी"  "चाशनी" में "डूबी" है ! वैसे भी इस "मुल्क" में "मौलिक प्रतिभा" की कोई "कदर" नहीं है ! अभी "खबर" पढ़ी कि "एम्स" का परचा "लीक" करके "डॉक्टर" बनाने का "स्वरोजगार" कुछ "नौजवानों" ने शुरू किया था ! "धंधा" भी "बच्चों"  का "ठीक-ठाक" चल रहा था,मगर शायद "पुलिसजी" से "इत्यादि-इत्यादि" "वगैरह-वगैरह" तय नहीं था, सभी को "धर" लिया गया ! इस "घटना" से मुझे गहरा "आघात" लगा है ! जी तो करता है कि "तिलमिलाकर" मै भी "ख़त" लिख दूँ! मगर तभी "दिल" से "आवाज़" आई,जाने दो "डी.डी." अपना मुल्क "अतिरेक" में जीता है ! हम सब "भावनात्मक" लोग है ! देखा नहीं इस बार फिर "चुनावो" में "भय-भूख-भ्रष्टाचार" मिटाने के "वादे" है ! "रोटी-साईकिल-आकाश-लैपटॉप" से लेकर "स्वच्छ प्रशासन" देने के वायदे है और हाँ इस बार तो "इंडिया अगेंस्ट करप्शन" भी है....सो "बेवजह" तू "पंगा" ना ले वर्ना "चुनाव आयोग" कि "सख्ती" के नाम पर "चौराहे" पर "पुलिसजी" तेरी "जेब" का "पर्स" जब्त करके "नोटिस" भिजवा देंगे "मनहूस आम हिन्दुस्तानी तेरी जेब....और उसमे पैसे"....!!!! ये "गणतंत्र" है भाई साब, यहाँ सबको "आज़ादी" है ! "आप" भी अपने "तरीके" से "इंजॉय" करो..... बकौल "अशोक चक्रधर"  "जहाँ पब्लिक के द्वारा,पब्लिक के लिए,पब्लिक कि ऐसी तैसी होती है,वही सच्ची डेमोक्रेसी होती है  !!!!! बधाइयाँ !!!!!!           

Monday, January 2, 2012

......आप उन्हें परियों के ख्वाब दिखाते रहिये

सब "वक़्त-वक़्त" की "बात" है भाई साब, देखिये अभी "कल" की ही "बात" लगती है जब 2011 ने "इतने" ही "धूम -धाम" से "शपथ ग्रहण" की थी और आज बेचारा "बर्खास्त मंत्री" की तरह "हाशिये" पर पड़ा "लोकायुक्त" की "रिपोर्ट" को "निहार" रहा है ! अच्छा ये "वक़्त" भी ना, बिलकुल "अन्ना" के "अनशन" की "तरह" है...."उम्मीद" के "मुताबिक" भीड़ जुटी नहीं......सो "वक़्त" से पहले ही "ख़त्म' ! "ख़त्म" तो "वक़्त" से पहले "मेलबोर्न टेस्ट" भी हो गया,जहाँ हम "महाशतक" और "जीत" की "उम्मीद" लगाये थे ! अब प्लीज़,"साल" का "पहला दिन" है ,"हिसाब-किताब" करने दीजिये ना, वैसे भी "साल" के "पहले दिन" "उपलब्धियों" और "श्रधान्जलियों" का "जोड़-घटाना" करने के बाद ही हमहैप्पी न्यू इयर" कहते है .......उस पर "तुर्रा" ये कि ये साल "राष्ट्रिय गणित वर्ष" घोषित है सो "हिसाब -किताब" तो बनता है भाई साब.....एनी वे बात "नए साल" की ......"कोलावारी-डी" से लेकर "कमज़ोर-मजबूत" कि "धुन" पर "नाचते-गाते" हर "विद्या बालन" और "भप्पी लाहिरी" ने खुद को "रणवीर" "कैटरीना" समझते हुए "बीते साल" को "विदाई" तो दी  मगर "नए साल" कि "सुबह" तो "राज्यसभा" सी निकली ......."खुशियों" के "जश्न" को मनाने कि "उम्मीदोंपर "ठाणे" का "पानी" फिर गया ,वो तो भला हो "सरकार" और "सिविल सोसाईटी" में से "किसी" ने भी इसे "देश" के साथ "धोखा" नहीं कहा वर्ना बेचारा "आम-आदमी" "बेवजह" एक बार फिर "खुद" को "ठगा" हुआ "महसूस" करता ....वैसे भी इस "मुल्क" में "आम आदमी" बेचारा कहाँ "बचा" ही है, वो तो "भ्रष्टाचार" और "अनशन" वाले "खेमों" में बँट चुका है !अब उसका ध्यान  "महंगाई" पर नहीं "देश" में "काला-धन" वापस लाने के "तरीके" पर "ज्यादा" रहता है ! "सरकार" कि "प्रतिबद्धता" और "विपक्ष" के "चीरहरण" जैसे "जुमले उसे "मुग्ध" करते है ....."ऊलाला ऊलाला" से लेकर "चिकनी चमेली" तक सब कुछ "भव्य" है ! चुनाव घोषित हो गए है...अब ये "भव्यता" "आम आदमी" के "सपनो" में और भी "रंग" भरेगी और फिर से हमारा "वोट" "पार्टी" को ही पड़ेगा....क्योंकि "ईमानदारी" तो "आलरेडी" हमारे पास है ही....वही "दस" से "पाँच" की "नौकरी", "बच्चों की फीस" "माँ की दवाई" "घर का राशन" .......वैसे भी "ईमानदारी" जीत जाएगी तो "अनशन" का क्या होगा,कम से कम "भूखा रहना अब "इलीट" "फील" तो देता है.......आप मस्त रहिये भाई साब ,naya साल है....मत समझाइए की "अन्न" "धरती माँ" को "बचाने" से मिलेगा "खाद्यान्न बिल" लाने से नहीं ...ये वो "मुल्क" है भाई साब जहाँ के लिए सिर्फ "नीरजजी" की "पंक्तियाँ" सटीक लगती है ....... जागते रहिये,जागते रहिये, मेरी आवाज़ में आवाज़ मिलाते रहिये !! यूँ तो भूखा रहने को भी तैयार है मेरा वतन, आप उन्हें परियों के ख्वाब दिखाते रहिये !!!!! नव-वर्ष की मंगलकामनाएं !!!!!!!!!!!!