Sunday, June 26, 2011

..Believe in yourself ,if you dont then who !

अच्छा भाई साब, कसम से इस मुल्क में और कुछ हो न हो मगर "अपन" लोग "झोला-डंडा" लेकर "धरना,प्रदर्शन" के "लेटेस्ट वर्ज़न" "अनशन" तक करने को एकदम तैयार रहते है ! इधर डीज़ल,किरोसिन,गैस का दाम बढ़ा नहीं, उधर बेमौसम के बरसाती मेंढक की तरह हो गई शुरू टर्र टर्र....बनाते रहो "अड़ियल अन्ना" की तरह आप अपना अलग "ड्राफ्ट" ! पक्का है वो "संसद" में "गिर" जायेगा ! फिर करना "धरना,प्रदर्शन,अनशन" "अपन"तो है ना ! ये तो वही बात हुई की हमेशा "मीडिया" से "निजता"की दुहाई देने वाला  "शहंशाह" खुद अपने "घर" की "खबर" "ट्विटर" पर "लीक" करता है और उधर अगले के "बेटे" से पूछो तो फ़ौरन "जवाब" आएगा "नो आईडिया" !भाई साब कहने  का मतलब है की "अनशन" भी "ग्लैमरस" होना चाहिए वर्ना आपका "सच"&"आन" "जेल" में ही "दम" तोड़ देगा फिर आप "जाँच" कराते रहना कि ये "हत्या" है या "आत्महत्या" ! क्योंकि ये वो मुल्क है जहाँ "प्रदूषित गंगा" को बचाने के लिए "अरबों" कि "परियोजनाएं" बनाने  वाले , उस "साधू"  को भी नहीं "बचा"  पाते है जिसने "गंगा" को "बचाने" के लिए अपनी "जान" दे दी ! पाक से बड़ा "दुश्मन" भ्रस्टाचार कह देने से "बिल" नहीं पास होगा ! सिर्फ अपनी जिद पर ही अड़े रहोगे तो यकीन मानिये हर कदम पर अनशन भी नहीं कर पाओगे ! आप कहोगे "दफ्तर" में "जासूसी"  हुई है, अगला  कह देगा " च्युंगम"  के "दाग" है ! "टेस्ट मैच" में यू.डी.आर.एस. का विरोध करोगे तो पारी में "तीन-तीन" गलत "निर्णय" भी सहने पड़ेंगे !बाद में लताड़ते रहो अम्पायरों को..... सफल कप्तान केलिए "सही सोच" और किस्मत" के साथ "सफलता पचाना" भी  आना चाहिए वर्ना आप को तो पता ही है सिर्फ विधायक को पार्टी से सस्पेंड कर देने से यू.पी. में अपराध कम नहीं हो जाते है ! दीदी,अम्मा.बहनजी सब तो है मगर चिंता  किसको है...आप खुद ही देखो ना यूँ तो "मल्लिका" का "नाम" ही काफी है मगर बदलते "वक़्त" में उन्हें भी "जलेबी बाई" नाम रखना पड़ रहा है !आप भी बदलते "वक़्त" की "नब्ज़" पहचानो !इस सरकार ने ज़बरदस्ती "सत्ता" पर कब्ज़ा नहीं किया है! हमने आपने इन्हे "चुना" है !अगली बार फिर जब "चुनने" की बारी आएगी तो हमारे सामने भ्रस्टाचार,महंगाई,गरीबी "मुद्दा" नहीं होगा बल्कि अपनी जाति,पार्टी,धर्म और कभी नोट के बदले वोट देकर "ऐसों" को ही "चुन" लेंगे क्योंकि "अपन" लोगों को तो "झोला-झंडा" लेकर "धरना,प्रदर्शन,अनशन" करना ही तो आता है....मुआफी चाहता हूँ,मगर अंग्रेजी की एक कहावत है, फुर्सत में आपसे शेयर करता हूँ ....Believe in yourself ,if you dont then who !     

Sunday, June 19, 2011

....सब कुछ भुला कर "जस्ट डांस"

तो भाई साब,"फाईनली" ये तो "प्रूव" हो गया की बगैर "हल्ला-गुल्ला" किये "अनशन" करने से "मुद्दे" हल नहीं होते है बल्कि दोबारा "पोस्टमार्टम" तक कराना पड़ता है ! जिनके चुनावी "एजेंडे" में "भगवा" और "गंगा" शामिल है,आपके "आन्दोलन" में वो भी "झाँकने" नहीं आते है ! यही नहीं प्रख्यात "कथावाचक" के साथ "आध्यात्मिक गुरु" भी  "बाबा" को "जूस" पिलाने आते है "निगमानंद" को नहीं ! उनकी स्थिति "गंगा मैया" से भी बदतर होती है जिस पर "राजनीति" ज्यादा और "सहानुभूति" कम होती है !"मीडिया" के चमकते "कैमरे" और "बाइट" किसे नहीं लुभाते ! वैसे आज कल  "मीडिया" भी "शीला की जवानी" है जो "राम लीला मैदान" में एकतरफा "पुलिसिया लाठीचार्ज" की खबर चलाती है और "योग शिविर" के लिए मिले "मंच" के "राजनैतिक" इस्तेमाल की बात को छुपा लेती है ! मगर वो "भूल" जाती है कि इस "मुल्क" में "पेड न्यूज़" भी "मुन्नी कि बदनामी " कि तरह "मशहूर" है जिसका "खामियाजा" सच्चे "जे डे " को अपनी "जान" देकर चुकानी पड़ती है ! बकौल शायर "मुस्कुराने कि बात करते हो, किस ज़माने कि बात करते हो ! बतर्ज़  फुर्सतनामा "आप "सिविल सोसाईटी" बना कर "क्रिमिनल" तरीके से जमा "रेवेन्यु" वापस लाने कि बात करते हो, कसम "सिब्बल" कि किस ज़माने कि बात करते हो  ! सच तो ये है भाई साब कि जब "जान" पर बनती है तो "आयुर्वेदिक" नहीं "एलोपथिक" ही काम आतीं है !"शरीर" में  पानी कम हो तो "ग्लूकोस" चढ़ता है "आयुर्वेदिक पेय" नही ! "पुत्तापर्थी" के "आश्रम" में मिली "संपत्ति" से भी अभी अगर आपकी "आँखे" नहीं "खुली" है तो "सच" में आप "धन्य" है भाई साब ! "कलयुग" में जिसके पास "धन" नहीं वो काहे का "भगवान" ! अब तो ये "अनशन" नहीं  कुछ "भगवानो" के बीच "वर्चस्व" कि लड़ाई है !अपने-अपने "लोकपाल" के "मसौदे" सभी के पास है ! आपको बेवजह "भगवान" के मामले में पड़ने कि "ज़रूरत" नहीं है ! पुरानी कहावत है "लुंगी" पहन कर "शीर्षासन" नहीं होता है, आप साधारण "भक्त" कि तरह "मौन-व्रत" रखो,क्योंकि आपके लिए तो "बैंक" का "क़र्ज़" भी "महंगा" हो गया है  और अब तो अपने  "घर" का "सपना" भी "टूट" गया है ! यही नहीं अब "डाकघर" के "ब्याज" पर भी "टैक्स" लगेगा सो अलग..... "थाने" के "आँगन" में "तुलसी" लगा देने से "अपराध" कम नहीं होता है ! निघासन कि "सोनम" हो या "कन्नौज" मे लड़की कि फूटी आँख.... एक लम्बी फेहरिस्त है लेकिन आप "टेंशन" मत लो ! मर्डर-२ "रिलीज़" होने को तैयार है ! एन्जॉय करो और हाँ टी.वी. कि "भाषा" में कहें तो "ऋतिक" के साथ सब कुछ भुला कर "जस्ट डांस" करो  !!!   !                  

Monday, June 13, 2011

ये देश है वीर जवानों का अलबेलों का,मस्तानो का..

सच कहूँ भाई साब, आज कल अपना "मनवा" भी रह रह कर "सन्यास" की ओर "लपक"  रहा है !बहुत हुआ "डियो" और "टेलकम पाउडर" अभी "भभूत" लपेटने का "टैम" है !जी करता है "जींस-टी शर्ट" त्याग कर वन पीस "भगवा" लपेट कर "हिमालय" की "चोटियों" की तरफ निकल लूँ !"संन्यास" का "संन्यास" हो जायेगा और इस मुई "गर्मी" से "निजात" मिलेगी सो अलग ! वैसे भी मुझे कौन सा उम्र भर का संन्यास लेना है,जब मन करेगा "साध्वी" की तर्ज़ पर "पार्टी अध्यक्ष"  के हाथो "गुलदस्ता" थाम कर आ जाऊंगा फिर से वापस "पार्टी" में! कसम आफरीदी की भाई साब, असली "खेल" तो "सन्यास" के बाद ही शुरू होता है ! निजी विमान से सत्याग्रह करने पहुँचो ! फाईव स्टार में समझौता करो! बात खुल जाये तो मुकर जाओ,यही नहीं मौका पड़े तो "मंच" से "कूद" कर "भाग" जाओ....इतना "एक्सईटमेंट" तो "२०-ट्वेंटी" में भी नहीं है !वैसे एक बात कहूँ भाई साब,कथित "आज़ादी की दूसरी लड़ाई" के "स्वयंभू क्रन्तिकारी" की समझ में आ गया होगा की "शिविर" लगा कर "देशभक्ति" के गानों पर एक्टिंग करना एक बात है और "पुलिस जी" के आगे टिके रहना दूसरी बात! वो तो कहिये मुल्क की किस्मत अच्छी थी जो आज़ादी की "पहली लड़ाई" वाले "क्रन्तिकारी" "सलवार-कमीज़" पहन कर "भागने" के बजाय "फांसी" के "फंदे" को चूमना पसंद करते थे वर्ना आज.....जाने दीजिये भाई साब,"जिंदगी" में सबकुछ हमेशा "अनुलोम" ही नहीं होता है "विलोम" भी होता है मगर आप भी "दूसरों" के "कपाल" की "भांति" सोचो तब ना ! ये आपका ही "उलट-आसन" था जिसने "लौकी" छोड़कर "मुसम्मी" का "जूस" पिलवा दिया है ! ये देश है वीर जवानों का अलबेलों का,मस्तानो का.. जहाँ "सानिया मिर्ज़ा" के "खेल" से ज्यादा, उसकी "ड्रेस" की चर्चा होती  है ! जहाँ "अरबो" की सम्पति रखनेवाला "सन्यासी" है ! जहाँ "बापू" के "स्वराज" से ज्यादा, "राजघाट" पर "स्वराज" के ठुमके की चर्चा होती  है ! जहाँ "सन्यासी" "खुद" की "हथियार बंद" सेना "गठन" का "ऐलान" करता है,वहां  आप "अनशन" का ड्रामा करते रहो उधर "राणा" बरी हो जाता है ! "गंगा दशहरा" के ठीक पहले "स्कूलों" के "पाठ्यक्रम" में "गंगा" के "आगमन" की "कथा" "अन्धविश्वाश" कह कर बदल दी जाती है ! ये इस मुल्क की "किस्मत" है भाई साब,जहाँ "चन्द सालों" में ही "अरबो" की "सम्पति" सिर्फ "दान" से ही बन जाती है ,जबकि इस "मुल्क" में "बाबा" ही नहीं, "आम हिन्दुस्तानी" भी  रहता है जो अपने पसीने में "खून" की खुशबु "महसूस" करके "चार पैसे" कमाता है और उसके लिए इस "महंगाई" में ये सब-कुछ एक "तमाशे" से ज्यादा कुछ नहीं है !ऐसा नहीं है की वो कुछ "समझता" नहीं है,बस "चुप" है.....ए फलक न तबाह कर,न समझ के यूँ ही खामोश हूँ ! फकत इंतज़ार है वक़्त का, तेरी चाल मेरी नज़र में है !!!!!!!!