Sunday, March 27, 2011

"आम आदमी" को "आम" के "सपने"......

कसम "विकिलीक्स" की भाई साब,ये"क्या" "क्या" "लीक" कर रहा है और "कहाँ" "कहाँ" से "लीक" कर रहा है और  सच मानिये ऐसा "लीक" कर रहा है कि "लीक" पर चलने वाले भी "लीक" से "हटकर" नज़र आने लगे है,और इन "लीकेज" को देख कर बेचारी "स्थगित संसद" "चोकर्स" बनी चुपचाप "चिदम्बरम"  से लेकर "जेटली" को निहार रही है....वो जानती है "लीबिया" पर  "बमबारी" करने से "गद्दाफी" नहीं भागेगा,वैसे भी  जब "नकली" "पायलेट" जहाज़  उड़ा सकते है तो फिर जिन "हाथों" में "मुल्क" है  उनमे कौन सी  "खराबी" है, "खराबी" तो हमारी आपकी "सोच" में है जो "बेवजह" के "सवाल" पूछते रहते है !!!! अब "आप" ही बताइए भाई साब,  अगर "कप्तान" न होते तो "टीम" में अब तक दूसरा "विकेटकीपर" ना आ गया होता???मगर नहीं जिस "मुल्क" में "दहेज़" लेना और देना दोनों "अपराध" हो  वहां "नेशनल" टी.वी. पर  "शादी" "तीन करोड़" कि होती है,ये क्या है??....लो कर लो बात,अब "आप" ये भी कहोगे कि "मुनाफ" कि  जगह "श्रीशांत"को क्यों नहीं खिलाया????कसम से "आप" जैसो को तो "ट्रेन" में "बैठा" कर "हरियाणा" भेज देना चाहिए! बसाओ वही "पटरी" पर "गृहस्थी",जब "आश्वासन" मिले तो उठा लेने अपना "डेरा तम्बू"!अरे देख नहीं रहे हो "एक्शन"  से "कामेडी" और "कामेडी" से 'शेफ"  बनने के बाद "छोटे परदे" पर "गधे का भरता" बनाना सिखाया जा रहा है! सही भी है,जहाँ "कबाड़' और "घोड़े' का "कारोबारी" पूर्व मुख्मंत्रियों के साथ "व्यापार" करने की  बात करता हो वहां "आपका" "भरता" बनना भी चाहिए! "ब्रांडेड कपड़ों" पर से कितना भी "उत्पादकर" घट जाए, 6% डी.ए.बढ़ने से सिर्फ "सपने" ही देखे जा सकते है!वैसे भी "आम आदमी" के  पास "उसका" कुछ "अपना' है तो वो "सपना"ही है!वो तो "सब्जी" वाले से भी  "मोल भाव"  कर के "आठआने' छुडवा कर "खुश" हो जाता है! "बच्चों" के "इम्तहान" चल  रहें है,"ख़त्म" होने के बाद वो "पहाड़ों" पर नहीं,"गावों" में जाने का "प्लान" बनाता  है, शायद वो"जानता" है कि "सच्ची खुशियाँ" और  "सुकून" "पहाड़ों" जैसी "ऊंचाई" पर नहीं,अपनी "जड़ों" "में "जुडे" रहने से ही मिलती है..."आमों" के "बौर" "महकने' लगे है...."गर्मी" कि  "छुट्टियों"  तक पके "आम"  भी  मिलने लगेंगे तब तक उनकी  "मिठास" का "सपना" ही "काफी" है......     

Sunday, March 20, 2011

"आशीष" का "रंग" हमेशा "चमकता" रहेगा..होली मुबारक हो!!!!!

"होलिका बुआ" के "फिउनरल सेरेमनी" का "रंगीला" जश्न मनाने के बाद  भी "खुमारी" अभी बाकी है! मोहल्ले के लौंडो के साथ "लोकल राधाओं" को"तनमन " से "लठमार "होली खेलते देख कर समझ गया कि "यौवन"कि "सुनामी" क्या होतीहै!  जब चौतरफा "लव" कि "लहरें" उठ रही हो तो"तन"का "तापमान" और "मन"का "दबाव" बर्दाश्त करना कठिन हो जाताहै! बदन का "अणु-अणु" चरमरा उठताहै!"नैनो"का "विकिरण" सौ गुना बढ़ जाताहै...अब तो "होली"भी "हाईटेक" हो चुकी है ...कानो पर "मोबाइल" चिपकाये,हाथो  कि "पन्नी" में "गुलाल" लिए इतनी "आतुरता"से जुटा है मानो यही से "अगली" के "गाल" लाल,पीले,नीले कर देगा!"मानिटर"पर "वर्चुअल होली"खेलने वाले,भले ही "बैक ग्राउंड" में "रंग बरसे भीगे चुनर वाली"बजाते रहे मगर जींस,टॉप,कैप्री,के ज़माने में "चूनर"ही नहीं बची तो "भिगोने" के लिए "चुनरवाली"कहाँ मिलेगी....."खोया" कहीं "खो"चुका है!"गुझिया" गुज़र चुकी है!"लिप्स"को "चिप्स" नहीं "बिप्स" भाते है!"राधा"का"रूप"वही हो गया है जो "पेरिस  हिल्टन" का है!"मार्डन होली'"में "शीला","मुन्नी",नहीं "लेडी गागा","शकीरा" होतीहै! नकली "द्रौपदी" अपना "चीर" पकडे खड़ी है कोई खींचे!"लालच" गुलाल,अबीर "बेईमान"  हो चुका है ऐसे में "कोर्ट" "सरकार" का "चीर" न खीचे तो "वृहन्नला" कहलायेगी!
वैसे कुछ भी हो भाई साब,फागुनी "उमंगों" कि "धड़कने" अभी भी "जवान" है,यू नो माई "मनवा"....नई पीढ़ी के इंद्रधनुषी रंगों को देखकर क्या क्या ख़याल आते है.................................... लाल..."महंगाई का तेवर",पीला...बेचारा "आम इन्सान",जिसकी "सुर्खी" महंगाई ने छीन ली है, नीला..हरा...जाने दीजिये इन पर तो "पार्टियों" ने "कब्ज़ा' कर लिया है रह गया "केसरिया" रंग...यानि होलियारों का रंग...!मस्ती का रंग...!!परम्पराओं का रंग....!!! याद है भाई साब,बसंत पंचमी से होरियारों कि टोली....! फगुआ,चौताल गाते हुए,नाचते हुए.....!!पूरे होली तक...!!!अब ना तो वो"गाने" वाले है,ना "सुनने" वाले...हां "नाचने" वाले अभी भी "बचे" है "डी.जे".और "भोजपुरी धुनों" पर....अपने "ज़माने" में तो ढेर सारे "टेसू" के "फूल" में थोडा सा "चूना" डाल कर "आँगन" में "माँ" "भगोने" में उबालती  थी..ऐसा "चटख" "रंग' बनता था कि उसकी "खुशबू","ठंढक" और "छाप" "राम नवमी" तक बनी रहती थी!आज तो पुरानी "यादों" को "दोहराने" के लिए "चार टेसू" भी नहीं "मयस्सर' है! "केसरिया' "रंग' देख कर "माँ" याद आती है....."टेसू" उबाल दिए है!"थाली" में अबीर रख दिया है!सभी के "माथे" पर लगा कर "पैर' छू लेना..!"बड़ो" का "आशीष" जिंदगी में तमाम "रंग" भर देता है,जो "ताउम्र' नहीं "उतरते" है..और हां ज़ल्दी से "सफ़ेद कमीज़" पहन कर 'सामने" आओ,"केसरिया"रंग तो "टेस्ट' कर लूँ !!!
आज कि "पीढ़ी"से कोई "शिकवा"नहीं,मगर जो "यादों"में है उसे "बाँट" तो सकते है... "माँ" कहती थी एक "वक़्त" आएगा जब उतनी बड़ी "ख़ाली टोकरी" भी नहीं नसीब होगी,जिसमे भर भर के "गुझिया" खाई है.......भाई साब,आज होरियारे,टेसू,फगुआ,चौताल भले ना बचे हो मगर 'पैर" छूकर "आशीष" आज भी लिया जा सकता है!'होली" के "रंग" उतर जायेंगे मगर "आशीष" का "रंग" हमेशा "चमकता" रहेगा..."माँ" ऐसा भी कहती थी.....होली मुबारक  हो!!!!!1            

Sunday, March 13, 2011

....ज़रा दिल से सोचिये भाई....

होता है भाई साब,होता है!ऐसा "फागुन" में ही होता है,जब आपके हर "डिसीजन" पर "दिमाग" का नहीं,"दिल" का "असर" दिखता है! इस "मौसम" में "बाबा" भी "देवर" बनकर "फगुआ" गाने लगता  है....साली,घरवाली लगने लगती है,यही नहीं कसम राज कपूर की,"साहित्यिक" लेखो में भी "भीगी नारी" की  रंगीन "फोटो" लगनी शुरू हो जाती है...तो फिर भईया "अनफिट नेहरा" को "आखिरी ओवर" देने पर इतनी हाय तोबा क्यों???"अगले" ने कौन सा "योग गुरु"का "नार्को" करने की "डिमांड" कर दी है? वैसे भी "पहले" ही "ऐलान" कर दिया था की एक "हार" तो मिलनी ही है...भाई साब,"दिमाग" से "क्वार्टर फ़ाइनल" की "चिंता" छोड़  कर "दिल से" सोचिये की "बापू"कहाँ establish हुए थे??? ये"दिलो" को "मिलाने" वाला "मौसम" है! "महात्मा"से लेकर "मंडेला"तक के "रिश्तों" की "लाज" "माही" नहीं तो क्या "हम" "आप" रखेंगे??? वैसे भी "सोशल इंजीयरिंग" के दौर में "सायकिल" पर सवार होकर "जेल" भरो या फिर "आरक्षण" के नाम पर "रेल" रोको,हम तो"जयंती" के नाम पर "भीड़" बटोर कर "शक्ति प्रदर्शन"करेंगे ही,क्योकि "मौसम" है!! वैसे भी कहा ना, "डिसीजन" "दिमाग" से नहीं "दिल से" हो रहे है इसलिए "जो" "दिल" में आएगा "वो" करेंगे ही,मगर क्या करें, ये "दिल"ही"कमबख्त" सोचता है की,इस "मुल्क" में"राधिका" को"प्रेम"करके"अमर" नहीं,बेरहमी से "क़त्ल" कर दिया जाता है! "सरकार" सबूत नहीं जुटा पाती है और"हसन अली" को"अदालत" से "ज़मानत" मिल जाती है!!
एनी वे "आप"  देखो ना, इधर  "खबर" आयी की "जापान" में भयंकर "भूकंप' और "सुनामी" ने "सबकुछ" "बर्बाद"कर दिया है! उधर "अपने"यहाँ फ़ौरन "बयान" जारी हो गया ..."भारत" में "सुनामी" का "खतरा" नहीं है....!!"दिल"से"आवाज़"आई ...सही कहा,इस"मुल्क" में "सुनामी" से "बड़े""खतरे" पहले से"मौजूद" है,"मुल्क" उन्हें "झेल" रहा है,यहाँ आया तो "खतरा" "सुनामी" को ही होगा...!!!! भाई साब ज़रा "दिल से" सोचिये...ये"कुदरत" का "कहर" है या "कराह"???क्या कर रहे है "हम" अपनी "धरती" के साथ??? हवा,पानी,पेड़,जलवायु सब "जीवन" देने वाले है,क्यूँ ये"जीवन"लेने पर "मजबूर" हो रहे है??? "प्रकृति" हमें कुछ "समझाना"चाह रही है, "हमें"अब"समझना" ही होगा..."दिल से"...!!
 "चलिए छोडिये इन सब "बातों" को,और बताइए क्या "प्लान" है "आपका"इस बार"होली" पर??? भई,"उनका" "इरादा" तो एकदम "साफ़" है........."दिल से"वो"इस बार "वहां" "वहां" जायेंगे,जहाँ जहाँ "मिलेगी",अगले "महीने" से "महंगी" हो रही है ना!! अब आप "दिमाग" से "सोचते" रहो  "19 मार्च" को तो"सुपरमून" आ रहा है,"होली" तो "20 मार्च"  को है, ये कैसे मनायेगा???? आप "दिमाग"वाले हो,"सोचते" रहो..."अपन" तो "होली"की "तरंग" में "आपके" लिए एक "शेर" अर्ज़  करते है "दिल से"....
"आसमान का "इन्द्रधनुष" कौन "धरा" पर लाये,जब "रंगों" से "आदमी" "इन्द्रधनुष" हो जाए!! "दृष्टि" यदि 'इन्सान" की "पिचकारी" हो जाए,कोई "दामन" आपको "उजला" नज़र ना आये.....!!!!!शुभ होली!! मंगलमय होली!!!!!!

Wednesday, March 9, 2011

............कंट्रोल ही नहीं होता

कसम "वर्ल्ड कप" की भाई साब,आजकल अपना "मनवा" भी "नमकीन' वाले "विज्ञापन" की तर्ज पे  "कंट्रोल ही नहीं होता"...ससुरा कभी "कैच" की तरह "हाथो" से "फिसल" जाता है तो कभी तेजी से "बाउंड्री" की तरफ" लपक" लेता है,हद तो ये हो गयी है की, अब तो वो "टार्गेट" भी "सेट" करने लगा है,यही नहीं "चेस" भी करने लगा है.......लाख समझाता हूँ की "ऊँगली" में "टेंगली" "हरभजन" को "फबती" है,"बिग बी' की तरह "ब्लॉग' लिखने की कोशिश में "गलत" "बटन" दबा दिया तो पूरी "साईट" ही "उड़" जाएगी ...मगर नहीं वो कहता है की "ईश निंदा" करने पर "हत्या" तो "पडोसी" मुल्क में होती है, अपने यहाँ तो "प्रेम चोपड़ा' को भी "मदर टेरेसा" 'पुरस्कार" मिलता है..कसम से भाई साब, ये सब "शादियों' में बजते "डी.जे".की "करामात" है, जो बरसो पहले,अपने ज़माने में बजी "शहनाई' के "सुरों" की "याद" दिला देते है...वो भी क्या दिन थे भाईसाब???...अरे "अक्ल" पर "पर्दा" पड़ा था और क्या?एक ही "खुंदक" दिमाग में थी की "कुंवारे' को "बिस्तर" के "दोनों" ओर से "उतरने" के अलावा कोई और भी "फैसलीटी" है क्या????बस नयी "घडी" और "सूट" के "लालच" में "कूद" के बैठ गया "हरियाला" "बन्ना" 'घोड़ी" पर ,हालाँकि "बैंड" वालों ने "बहुतेरा" "आगाह" किया था...ये "देश" है "वीर जवानों" का...."सूरत" आपकी "सुभान अल्लाह"  वगैरह वगैरह ...मगर नहीं, यही तो "फर्क" है "हसन अली" और "डी.डी".में,अगले ने "घोड़ी"से "माल" बना लिया और "हम" "उसी" पर "खर्च" किये जा रहे है ....सीधी सी बात है हमने कौन सा "खानदान" में
"डेढ़ दशक" के बाद "शहनाई' बजवाई थी जो खुद "शंकराचार्य" "नवरत्न" की "माला" "गिफ्ट" में देते और "नजदीकी रिश्तेदार" भी ना आते,"हमारे" यहाँ हुआ "उल्टा","गिफ्ट" तो मिली नहीं "रिश्तेदारों" ने "मौज" उड़ाई और "चलते" समय "बिदाई" भी ले गए.. उस दिन तो "मन" एकदम से "डी.एम्.के."हो गया था,"इस्तीफा' देने की "धमकी"  देने ही जा रहा था की तभी "आवाज़" आयी....."सुनो जी,"विमेंस डे" पर "मुझे" बाहर ले जाने के लिए कह रहे थे ना....मै "सोच" रही थी की "तुम्हारी" 'पसंद" के "आलू' के "पराठे" बना लेती हूँ........यही "घर"पर "खा" लेंगे..."पैसे" बचेंगे....इसी महीने "बिटिया" की "तीन महीने" की "फीस" और "एग्जाम फीस" दोनों  देनी है ना ......भाई साब,"गीली आँखों" को "छुपाते" हुए फ़ौरन"सी.वी.सी" वाला "जम्मू" में दिया गया"बयान" याद आ गया...लम्बे "कार्यकाल" में "गलतियां" हो ही जाती है...!! 
."अरुणा शानबाग" के लिए "यूथनेसीया" (इच्छा मृत्यु) मांगने वाली "पिंकी वीरानी" की "याचिका" "न्यायमूर्ति ज्ञानसुधा मिश्र" ,"न्यायमूर्ति काटजू" के साथ "मानवीय  आधार" पर "खारिज" करती है......"विमेंस डे" के celibrations के बीच ये "नजीर" बदलते "भारत" में "आज" की "नारी" की "शक्ति" या फिर "सोच" को "दर्शाती"  है....."फैसला" करने वाले "हम" या "आप" "कौन" होते है ?.....चलिए "हम" भी "मिलकर"  "गाते" है...."कोमल" है "कमज़ोर" नहीं,"शक्ति" का नाम "नारी" है!सबको "जीवन" देने वाली,"मौत" भी "तुझसे" "हारी" है ..."कोमल" है "कमज़ोर" नहीं......!!!!!!!
 

Tuesday, March 1, 2011

......परियों के ख्वाब दिखाते रहिए!!!!

आपने वो "गाना" तो सुना है ना "साड्डी गली कभी बुल्ल के भी आया करो जी...साड्डी गली" ..........कसम "रेल बजट"की भाई साब, मै तो जब भी सुनता हूँ ,मनवा तुरंत "दुरंतो एक्सप्रेस" हो जाता है !आज "बंगाल" छोड़ कर सारा "मुल्क" यही तो गा रहा है..."साड्डी गली कभी आया करो जी"....!पुरानी कहावत है भाई साब,हर "सुहागन" को "अपना" ही "सिंदूर" सबसे  "चमकदार" लगता है चाहे वो 'दीदी" हो या "दादा".....कहता रहे "मीडिया",ये "आम आदमी" का "बजट"  नहीं है..."होटल" में "खाना" महँगा,ब्रांडेड "सोना",ब्रांडेड "रेडीमेड कपडे","निजी अस्पताल" में "इलाज" सब "महँगा" हो गया है,यही नहीं "हवाई जहाज" में "सफ़र" भी "महँगा" हो गया है!अरे मनहूसो,हम "आम हिन्दुस्तानी" है "तनु" वेड्स "मनु "हो या "लारा" वेड्स "महेश", हमें "रिसेप्सन" नहीं सिर्फ "न्यूज़" ही मिलनी  है!ज्यादा "कानूनची" बनकर या "शिक्षा" देने के लिए "मित्र" बनकर "सीएम् आवास" घेरने की "कोशिश" करोगे तो "लाठियां" ही पड़ेंगी!'जेपीसी" बना देने से "भ्रष्टाचार" "ख़त्म" नहीं होता है!"राहत" ने "मुल्क" छोड़ दिया है,आप भी "महंगाई" से "राहत" की "उम्मीद" छोड़ दीजिये,वर्ना "खिसियाये" पोंटिंग की तरह" ड्रेसिंग रूम' में टी.वी.तोड़ने पर "माफ़ी" ही मांगनी पड़ेगी !वैसे भी "मैच" जीतने के लिए सिर्फ "शतक" बनाना ही "काफी" नहीं होता है,पूरे "पचास ओवर" "खेलना"भी "ज़रूरी' है वर्ना "घर" की "पिच" पर ज़रूरी "सामानों" के "दामो" की "यार्कर" से आपके "बजट" को "क्लीन बोल्ड" होते देर नहीं लगेगी !आपके पास ना तो "ग्लेमर" है ना ही "पांच किलो सोना" जो "राज्यसभा" के लिए "दुबारा" चुन लिए जाओगे!वैसे भी "बजट" बनाने की "ज़रूरत" उसे होती है जिसके पास "कुछ" हो!"आम आदमी" की सारी "ऊर्जा" तो "कमाने" में ही "खर्च" हो जाती है! "दस" का नहीं "ज़रा" सा भी "दम" हो तो "सच सच" बताइयेगा कितने "प्रतिशत" "भारतीयों" की "किस्मत" में ब्रांडेड "सोना" ,ब्रांडेड "रेडीमेड कपडे',"होटल" में "खाना",'हवाई जहाज" में "सफ़र' "मयस्सर" है???क्यों हो गया ना "चेहरा" "लीबिया"!भाई साब,"किस्मत" ख़राब हो तो "हाक आई" से "आउट" दिखने के बाद भी "२.५ मीटर" वाला "नियम" सामने आ जाता है!आप बेवजह परेशान है, हम "कूल मैन कूल" के ज़माने के है, "टी.वी".पर "योग" सिखाने वाले "बाबाधन" और "कालाधन" के बीच "नूराकुश्ती" देखकर "खुश" हो जाते है,यही नहीं "खुश" होने के "दस" बहाने "और" है हमारे पास...."ऐश्वर्या" का जलवा "ऑस्कर" में छाया रहा,"तेंदुलकर" ने "वर्ल्ड कप" में "शतको" का "कीर्तिमान" बना दिया,"हमने" हारा "मैच" "टाई" करा लिया वगैरह वगैरह....वैसे भाई साब, "सीरियसली" एक बात आपसे कहूँ....इस "दौर" में "मिस्टर कूल" बने रहना ही "सही" "डिसीजन" है,ताकि "महंगाई" के "पॉवर प्ले" में "आमदनी"और "खर्चे' के "मैच" को कम से कम "टाई" तो करा लिया जाए, क्या "कहते" है "आप"?????...चलते चलते "मुल्क" की "किस्मत" या यों कहे "मासूमियत" पर शेर अर्ज़ है..".जागते" रहिए "ज़माने" को "जागते' रहिए,मेरी "आवाज़" में "आवाज़" मिलाते रहिए !! यूँ तो "भूखा" रहने को "तैयार" है मेरा "वतन","आप" उन्हे "परियों" के "ख्वाब" दिखाते रहिए!!!!!