Sunday, December 18, 2011

."ट्विंकल-ट्विंकल" मै तो "बड़ी" हो गई.......

कसम "कपकपाते" कोहरे की भाई साब....पूरा "बदन" सिकुड़ कर "चिदम्बरम" हो रहा है ! "हड्डियां" ना चाहते हुए भी "एक-दूसरे" से  "ऊलाला- ऊलाला" कर रही है !अगर "जेवर" माइनस कर दो तो हर "तीसरा" बंदा "बप्पी लाहिरी" नज़र आ रहा है ! "सच" कहूँ तो इस "कड़ाके" की ठंढ में सिर्फ "पोलिटिक्स" ही "गर्म" है ! "जिसे" देखो "वही" अपने अपने "रथ" पर "सवार" होकर "दूसरे" पर "हल्ला"  बोल रहा है ! "हैंडपंप" का "पानी" पी-पी कर "युवराज" ललकार रहे है कि "हाथी" "पैसे" खाता है तो "अगले" के "खिलाफ" तुरंत "लौटती डाक" से "स्विस" बैंक में "जमा" "कालेधन" की "सूची" नेट पर "पोस्ट" कर दी जाती है ! उधर "लागत" भी न "निकल" पाने पर अपनी "फसल" को "सड़क" पर "फेकने" कि "मजबूरी", "खुदरा" में "विदेशी निवेश" को "मंजूरी" की "वकालत" को बेवजह "बल" देती है ! पुरानी "कहावत" है "तापने" के लिए "गीली लकड़ी" "सुलगाने" से "गर्मी" भले ना मिले मगर "ठंढ" से "ध्यान" तो "हट" ही जाता है, देखिये ना बेचारे "आम आदमी" को "गिरते" हुए "रुपये" कि "कीमत" से नहीं बल्कि "गिरते" हुए "पारे" से "डर" लगता है,मगर "मुल्क" में चर्चा "ठंढ" नहीं "महंगाई" की  है ! क्या कीजियेगा अपनी तो "तबियत" ही "कुछ" ऐसी है,तभी तो "भारत-रत्न" मिलने से ज्यादा "किसे" मिले "चर्चा" इस पर होती है ! "भगवान्" जाने ये "साल" जाते-जाते "क्या" दे जायेगा......"जन-लोकपाल विधेयक" या एक और "अनशन"......यू नो "इंडिया अगेंस्ट करप्शन"....जिस "मुल्क" में "न्यूड फोटो सेशन" करने वाली "वीना मालिक" और "पोर्न एक्ट्रेस" "संनी लिओने" फल-फूल रही हो वहां काहे का "अगेंस्ट" और काहे का "करप्शन"... .हाँ "बेचारे" "सेंटा क्लाज़" ज़रूर "इंडिया" में अपनी "बेल" बजाने से "कतरा" रहे है क्योंकि  "अपनों" के "मोजो" में "रखने" के लिए "उनके" पास "गिफ्ट" के "नाम" पर "है" ही क्या...."देवानंद साहब"  की "गाइड", "भारत-भूषण" की "राम की जल-समाधि" या फिर "उन्नीस दिसंबर" को "शहीद" हुए "अशफाक उल्लाह" "बिस्मिल" और "रोशन सिंह" की यादें............और "आज" इन "सब" की "कीमत" "आप" भी "जानते" है और "हम" भी.....जाने  दीजिये बेवजह "आँखे" "गीली" करने से कोई "फायदा" नहीं.....ये "आज" की "डर्टी पिक्चर" है ..."गौर" से सुनिए तो... "नर्सरी राइम" बज रहा है ..."ट्विंकल-ट्विंकल" मै तो "बड़ी" हो गई.....