तो भाई साब,"फाईनली" ये तो "प्रूव" हो गया की बगैर "हल्ला-गुल्ला" किये "अनशन" करने से "मुद्दे" हल नहीं होते है बल्कि दोबारा "पोस्टमार्टम" तक कराना पड़ता है ! जिनके चुनावी "एजेंडे" में "भगवा" और "गंगा" शामिल है,आपके "आन्दोलन" में वो भी "झाँकने" नहीं आते है ! यही नहीं प्रख्यात "कथावाचक" के साथ "आध्यात्मिक गुरु" भी "बाबा" को "जूस" पिलाने आते है "निगमानंद" को नहीं ! उनकी स्थिति "गंगा मैया" से भी बदतर होती है जिस पर "राजनीति" ज्यादा और "सहानुभूति" कम होती है !"मीडिया" के चमकते "कैमरे" और "बाइट" किसे नहीं लुभाते ! वैसे आज कल "मीडिया" भी "शीला की जवानी" है जो "राम लीला मैदान" में एकतरफा "पुलिसिया लाठीचार्ज" की खबर चलाती है और "योग शिविर" के लिए मिले "मंच" के "राजनैतिक" इस्तेमाल की बात को छुपा लेती है ! मगर वो "भूल" जाती है कि इस "मुल्क" में "पेड न्यूज़" भी "मुन्नी कि बदनामी " कि तरह "मशहूर" है जिसका "खामियाजा" सच्चे "जे डे " को अपनी "जान" देकर चुकानी पड़ती है ! बकौल शायर "मुस्कुराने कि बात करते हो, किस ज़माने कि बात करते हो ! बतर्ज़ फुर्सतनामा "आप "सिविल सोसाईटी" बना कर "क्रिमिनल" तरीके से जमा "रेवेन्यु" वापस लाने कि बात करते हो, कसम "सिब्बल" कि किस ज़माने कि बात करते हो ! सच तो ये है भाई साब कि जब "जान" पर बनती है तो "आयुर्वेदिक" नहीं "एलोपथिक" ही काम आतीं है !"शरीर" में पानी कम हो तो "ग्लूकोस" चढ़ता है "आयुर्वेदिक पेय" नही ! "पुत्तापर्थी" के "आश्रम" में मिली "संपत्ति" से भी अभी अगर आपकी "आँखे" नहीं "खुली" है तो "सच" में आप "धन्य" है भाई साब ! "कलयुग" में जिसके पास "धन" नहीं वो काहे का "भगवान" ! अब तो ये "अनशन" नहीं कुछ "भगवानो" के बीच "वर्चस्व" कि लड़ाई है !अपने-अपने "लोकपाल" के "मसौदे" सभी के पास है ! आपको बेवजह "भगवान" के मामले में पड़ने कि "ज़रूरत" नहीं है ! पुरानी कहावत है "लुंगी" पहन कर "शीर्षासन" नहीं होता है, आप साधारण "भक्त" कि तरह "मौन-व्रत" रखो,क्योंकि आपके लिए तो "बैंक" का "क़र्ज़" भी "महंगा" हो गया है और अब तो अपने "घर" का "सपना" भी "टूट" गया है ! यही नहीं अब "डाकघर" के "ब्याज" पर भी "टैक्स" लगेगा सो अलग..... "थाने" के "आँगन" में "तुलसी" लगा देने से "अपराध" कम नहीं होता है ! निघासन कि "सोनम" हो या "कन्नौज" मे लड़की कि फूटी आँख.... एक लम्बी फेहरिस्त है लेकिन आप "टेंशन" मत लो ! मर्डर-२ "रिलीज़" होने को तैयार है ! एन्जॉय करो और हाँ टी.वी. कि "भाषा" में कहें तो "ऋतिक" के साथ सब कुछ भुला कर "जस्ट डांस" करो !!! !
Bahut Badhiya bhaiya.... Likha to aapne as usually good hai..... par ismein icing on the cake rahi aapki shaayri... "Batarz Fursatnama....." Really nice bhaiya...
ReplyDeleteVery nice & Thoughtful... Keep it up.
ReplyDeleteHamesha ki tarah. umda
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