Sunday, August 14, 2011

इस बार का "फुर्सतनामा" स्वतंत्रता के नाम.....

वो क्या है भाई साब,हम तो "आज़ादी" के बाद की "पैदाइश" है, इसलिए "रक्षा बंधन" के दिन खाई "मिलावटी" "मिठाई" में भी "स्वाद" तलाश लेते है ! "सेंसेक्स" के गिरने से हम "भयभीत" नहीं होते, बल्कि "खरीददारी" का सही "समय" मान लेते है ! "चिल्" "कूल" "डूड" वाली पीढ़ी "मिस काल" से "जन-लोकपाल" को अपना "समर्थन" और "मैसेज" से "स्वतंत्रता-दिवस" "सेलिब्रेट" कर लेती है ! अब आप तो ठहरे "आम हिन्दुस्तानी" जो हर बात में "अनशन" का "बहाना" ढूंढ़ लेते हो ! "अगला" इतने दिनों से "सरकार" चला रहा है और "आप" कहते हो की 79 साल की उम्र में किस "मुहँ" से "झंडा" फहराओगे ! कसम से भाई साब,ऐसे ही नहीं "सुप्रीम कोर्ट" ने कह दिया है कि "फर्जी" "मुठभेड़" वाले पुलिस कर्मी को "फांसी" हो ! एक सदाबहार गाने कि पैरोडी सुनाता हूँ " रोने वालो को रोने का बहाना चाहिए....आप तो ये भी कहोगे 64 साल पहले हमने "अंग्रेजो" को हरा कर "आज़ादी" पाई थी और इस साल "बर्मिंघम" में हम "अंग्रेजो" से हार गए है ! पुरानी "कहावत" है भाई साब, "वक़्त" ख़राब हो तो "योग गुरु " को भी "रामलीला मैदान" से भागना पड़ता है ! "धोनी" हर बार "सिरीज" नहीं "जीत" सकता है ! "अड़ियल अन्ना" कि तरह "दिल्ली पुलिस" कि "शर्तों" को "खारिज" करके "पी.एम." को "कड़ा" "ख़त" लिखने से मजबूत "जन-लोकपाल" नहीं बनेगा ! ये "जिंदगी" कि "क्रिकेट" है, यहाँ "पटरा" पिचों पर "चौके-छक्के" मारकर "चिअरलीडर्स" के "ठुमके" लगवाकर "पैसा" तो "कमाया" जा सकता है लेकिन असली "टेस्ट"   तो "स्विंग" लेती "गेंदों" के सामने होता है !  "अंग्रेजों की गुलामी" और "संवैधानिक सरकार" को एक ही "तराजू" में "तोलना" "गांधीवाद" नहीं है ! आज "गाँधी" "तिलक" "भगत सिंह" "बिस्मिल"  "अशफाक" .....सोचते होंगे क्या हमने "इन्ही" लोगों के लिए  अपना "लहू" बहाया था ! हम लोग "इमोशनल" लोग है भाई साब, जो "दिमाग" से नहीं "दिल" से सोचते है लेकिन "याद" रहे हमारा "मोहभंग" भी बहुत "जल्दी" होता है ! "महंगाई" :बेरोज़गारी" "भ्रष्टाचार" के बीच भी जब हम "लाल-किले" की "प्राचीर" से "लहराते" "तिरंगे" को देखते हुए "विकास"के लुभावने "वादों" को "सुनते" है तो भी ना तो अपने "मुल्क" पर "गुस्सा" आता है और ना ही हमारा "विश्वास" कम होता है हाँ ये ज़रूर है कि जिस भी दिन हमारे "विश्वास" को "ठेस" पहुंचेगी तो उस दिन  हमें किसी "जन-लोकपाल" की "ज़रुरत" नहीं होगी बल्कि जिस "जन" कि "ज़रुरत" है, "वो" हमारे "भीतर" है और "वो" वही है, जिससे मिलकर "जन-मन-गण" बना है.....क्या बोलते है "आप", बना है ना  जयहिंद !! "स्वतंत्रता दिवस" कि "मंगलकामनाएं" !!!!!!!!            

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