अच्छा भाई साब कसम से,आजकल के बच्चे भी ना,सवाल पूछते है कि "लसित मलिंगा" कि "यार्कर",ज़रा सा "चूके" नहीं कि या तो "पैर" का "पंजा" गया या फिर "मिडिल स्टंप" ! अब आप ही बताओ,है कोई जवाब,कि सारी उम्र "अहिंसा" का पाठ "पढ़ाने" वाले "बापू" हमेशा अपने साथ "लाठी"क्यों रखते थे? क्यों हो गए ना आप भी "येदियुरप्पा"...हमने तो "सवाल" सुनते ही फ़ौरन "राष्ट्रपति शासन" लगाने कि सिफारिश कर दी,और मन ही मन कहा "और कर-नाटक" ! अब हर जगह को "भट्ठा-परसौल" नहीं बनाया जाता है !"शायर" पहले ही "फरमा" चुका है "इस "राख़" के "ढेर" में ना "आग" है ना "शोला" ,मगर आप हो कि राख़ में भी "हड्डियाँ"तलाश कर "फोरेंसिक"जाँच कि मांग कर देते हो ! अब "आप" कि भी अपनी "मजबूरी" है, "कम्बखत" "आम आदमी" कि "हड्डियाँ" होती ही है "जाँच" और "मुद्दों"के लिए ! एनी वे, "टेंशन" मत लीजिये, ये दुनिया का "जंतर-मंतर" है ! नाम "अग्निवेश" है तो "अमरनाथ" पर "टिप्पड़ी" भी जलती हुई ही करेंगे,और "आप" तो "शेन वार्न" भी नहीं हो जो "माफ़ी" मांग कर "जुर्माना" अदा कर दोगे !अरे, जिस मुल्क में "मोस्ट वांटेड" कि "लिस्ट" में भी "गलतियाँ" हो वहां "दबंग"को "राष्ट्रीय पुरस्कार" मिलना ही है...कसम "चुलबुल पाण्डेय" कि, क्या "नेशनल करेक्टर" दिखाया है "फिल्म" में, और क्या "राष्ट्रीयता" से "ओत-प्रोत" गीत गाया है......हमका "पीनी" है, "पीनी", है, हमका "पीनी" है ! अब "आप" कहा करो "ओलम्पिक" में "कांस्य पदक" जीतने का "मतलब" ये नहीं होता कि "शादी" के "कार्ड" पर "राज चिन्ह" छपवा लो ! भाई साब "बुरा" "वक़्त" हो तो "रामदेव" कि "गोली"भी "गले" में "अटक" जाती है ! २०% शेअर रखने वाली "कनिमोझी"को जेल और ६०% शेअर रखने वाले बाहर ! भईया, अब "आप" ही बताओ ऐसी "मनमोहन" "ईमानदारी" किस "काम" कि जब आपको "भ्रष्टों" का "अगुआ" कहा जाये .....जाने दीजिये भाई साब,इस "सवाल" का "जवाब" आज तक "नहीं" मिला है कि जब "पेड़ों" पर "आम" लदे हो,"आंधी" तभी "क्यों" आती है....! गर्मी कि छुट्टियाँ हो गई है !बच्चो से कहा "इस" बार किसी "अच्छी" जगह "घूमने" चलेंगे ! फ़ौरन "जवाब" आया... रहने दीजिये "तिहाड़" जाने कि "आपकी" "हैसियत" नहीं है ...और हम "खिसियाये" से सोचते रहे कि "तपती-जलती" गर्मी में भी "अमलतास-गुलमोहर" के "पीले-लाल" "फूलों" से "लदे" "पेड़ों" के नीचे "सरकंडे" कि "लग्गी" बना कर "तोड़ी" गयी "जंगल-जलेबी" का स्वाद तो "उस" "मासूम" बचपन के साथ ही "खो" गया है ! "इस" "समझदार" बचपन के लिए तो सिर्फ एक शेर अर्ज़ है....होठों का मासूम तबस्सुम,क्योँ अश्कों में ढल जाता है ! इन बच्चो को घर कि बातें, जाने कौन बताता है !!!!
र्मी कि छुट्टियाँ हो गई है !बच्चो से कहा "इस" बार किसी "अच्छी" जगह "घूमने" चलेंगे ! फ़ौरन "जवाब" आया... रहने दीजिये "तिहाड़" जाने कि "आपकी" "हैसियत" नहीं है
ReplyDeletesach baat...apni to haisiyat nahi hai
कमाल-कमाल-कमाल....! आपकी धारदार चुटिली लेखनी में ही आपके ज़ोरदार एंकर होने का राज़ छुपा है, अब समझ में आया :-)
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