Sunday, May 8, 2011

......अरे हाँ, आज तो "मदर्स डे" है !

कोई कुछ भी कहे, पर आप यकीन  मानिये भाई साब,पूरी दुनिया में हमारी "इंटेलिजेंस" का  कोई मुकाबला  नहीं है !अब ये अलग बात है की हम दिखावे में "बिलीव" नहीं करते है इस लिए "अक्सर" हमारा सारा "टेलेंट" धरा का धरा रह जाता है ! सुना नहीं आपने अपने थल सेनाध्यक्ष का बयान "ऐसी  कार्यवाही करने में हम भी सक्षम है"! क्यों आ गया न आपको यकीन!कसम "चुलबुल पाण्डेय" की "एबटाबाद" में जितनी गोली "कमांडोज"ने नहीं चलाई होगी उससे "ज्यादा" तो हमने "लादेन" "कसाब" पर तडातड "एस.एम.एस." फारवर्ड कर डाले है ! है कोई "मुकाबला" हमारी "इंटेलिजेंस" का ? हाँ ,ये अलग बात है की ये सुन कर "मनवा" में हूक सी उठती है कि "अगले" कि "हवेली" में "गेंद" चली जाये तो "गेंद" के बदले "सौ" "पचास" का "नोट" दे देता था ! कसम "मनरेगा" की,वक़्त रहते पता चल जाता तो "दो-चार" हज़ार हम भी "झटक" लाते मगर वाह री  किस्मत,"पुणे वारीअर" बनना भी "बंगाल टाइगर" की ही "किस्मत "में लिखा होता है !यहाँ तो आप अपनी "अधिग्रहीत ज़मीन" का "मुआवजा" भी मांगोगे तो पुलिस की "गोली" मिलेगी...... बहरहाल आप हमारे "ना" "पाक" इरादों  को छोडिये आपने देखा नहीं "पाक" को ही नहीं पता था की "अगला "उनकी "मिलिट्री ट्रेनिंग कैंप" के साये में रह रहा था....! ओये होए...इसे कहते है "मासूमियत" "भोलापन" फ़िल्मी स्टाइल  में कहें  तो "तुम्हारी अदाओं पे मै वारी-वारी" ! उस पर "तुर्रा"  ये की "कोई और जुर्रत ना करे" ! वह मियां, खूब कही "उनका" इश्क इश्क, "हमारा" इश्क.....!एनी वे,वो कहते है ना की सिर्फ "स्कर्ट" पहना देने से "बैडमिंटन"का स्तर नहीं "सुधर"  जायेगा !कुछ नियम कायदे भी होते होते!अरे हमारे "मुल्क"  की तो "बात" ही निराली है ! यहाँ "इंजीनियरिंग" का "परचा" भी "लीक" होता है और "इंजीनियर"  की "हत्या" में "उम्र कैद" भी ......अरे हाँ, आज तो "मदर्स  डे" है !"टी.वी.स्क्रीन" से लेकर "फेसबुक" के "स्टेट्स"  तक "माँ" के लिए भावनात्मक लाइने,विचार,और जज्बात  "छलक" रहे है ये और बात है की इसी "मुल्क" में हर साल  "एक लाख" महिलाएं "माँ" बनने के दौरान "दम" तोड़ देती है ! अपनी "संस्कृति" में गाय,नदी ,धरती तक को "माँ" मानने वाली  "परम्परा" तो कब का "दम" तोड़  ही चुकी है ! आज के दौर में  तो "माँ" के "नाम" पर "सभी" को "मुनव्वर राना" के "शेर" ही "याद" आते है ! और सच में "माँ" की याद.....वो तो सिर्फ "दुआओं" की "ज़रूरत" के "वक़्त" ही आती है.....!!!! फुर्सत में हूँ इस लिए शेर अर्ज करता हूँ...."एडियों के जर्ब से नदी खारी हो गयी,सर्दियों की रात  बेवा पर भारी हो गई! की थी जिसने परवरिश,गैरों के बर्तन मांझ  कर,वो बुढिया कई बेटों पर भारी हो गई......!!"  "हैप्पी मदर्स डे" !!!    

3 comments:

  1. की थी जिसने परवरिश,गैरों के बर्तन मांझ कर,वो बुढिया कई बेटों पर भारी हो गई......!!
    kya baat hai bhaiya pak se lekar u.p., tak dhone ke baad bahut bariki se emotional kar dala aapne.
    jawa nhi

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  2. सबसे पहले ये की ये शेर "मुनव्वर राना" का नहीं है...और फिर फुर्सतनामा जो दिख रहा है...! जो है...!! उस से परे जा कर देखने की कोशिश है,,,,यू नो,खाली दिमाग..यही फुर्सतनामा की टैग लाइन भी तो है! अपनी वाल पर शेयर करने का धन्यवाद !!!!

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  3. happy mother's day sir
    jor daaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaar hai sir............
    aap ka jabab nahi sir..............

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