Saturday, February 19, 2011

मेरे सवालो का जवाब दो ...........

चलिए भाई साब,"आपके" और पूरे "मुल्क" के साथ साथ "हमने" भी "राहत" की सांस ली की "बांग्लादेश" को "हरा" दिया और "पिछली" बार की तरह "पहले" ही "राउंड" में "पासपोर्ट" "जब्त" होने से "बचा" लिया....अब ये अलग बात है की "राहत" ने अभी तक "राहत" की "सांस" नहीं ली है और "पासपोर्ट" भी "जब्त"है ,"स्पोट" "फैसला" करा कर "पंद्रह लाख" "जुरमाना" देने के बाद, अगला "बिलख बिलख" कर "गा" रहा है....."नैनो" की "मत" सुनियो, "नैना" "ठग" लेंगे,"ठग" लेंगे.......!!!!!
एनी वे,"आजकल" जिसे देखो वही "सवालो" के "जवाब" दे रहा है,और "जिससे" नहीं "पूछा" जा रहा है वो "राजा हिन्दुस्तानी" बनकर "खुद"  "मीडिया" से कह रहा है..."पूछो" ज़रा "पूछो".......सच कहूँ,भाई साब,"मनवा" में एक "हूक" सी उठती है..काश! "कोई" हमसे भी "चार" "सवाल" पूछ ले और "हम" भी "मासूमियत" से कह सकें,मै "निर्दोष"हूँ !मगर वाह रे "ऊपर वाले" आपके यहाँ तो "गठबंधन" की भी "मजबूरियां" नहीं है,फिर भी आप "उसी"के हिस्से में "स्वीट डिश" लिखते है,जिसे पहले से "diabties होता है!कसम "याना गुप्ता" की ,आप "चित्रगुप्त " महाराज के न सही, उनके "वंशज" की "डायरी" में ही "नाम" लिखवा दो "हम" "झलक" दिखलाने के "नाम" पर "जजों" के सामने "नाक" तुडवाने को तैयार है !आपको तो पता है "ज़िन्दगी" के "रिअलिटी शो" में भी जिसकी "ज़िन्दगी" से "अर्चना" चली जाती है,वो "मानव" भी "आउट: हो जाता है!"रिक्शे" में "बैठने" वाला हर "शख्स" "मुल्क" का "कप्तान" नहीं होता है .....
हम "राजा" नहीं, "आम हिन्दुस्तानी" है!हमें "सात खून" नहीं "माफ़" है!भले ही हमें "स्टेटमेंट" जारी करने के बाद "ख़त" लिख कर "माफ़ी" क्यों न "मांगनी" पड़े मगर "कुछ" "सवाल" हमारे पास भी है भाई साब, जिसका "जवाब" हो तो "ज़रूर"दीजियेगा... कल से "संसद" शुरू हो रही है मगर..."चलेगी" कितने दिन?क्या "संसद" में "घोटालो" पर "हंगामे"  के बजाए "आम आदमी" के लिए भी कभी कोई "चर्चा" होगी?"वर्ल्ड कप" कौन "जीतेगा" के बजाए अपह्रत "कलेक्टर" की "रिहाई" के लिए भी "चिंता" "होगी.....बलवा,राजा,कनुमोझी,कलमाड़ी,अम्बानी .......एक लम्बी "फेहरिस्त" है मगर "सुनेगा" कौन? "मुल्क" तो "मस्त" हो कर "गा" रहा है ...जियो "खिलाडी" वाह  रे वाह..बजा के चुटकी,धूल चटा दे....!!! दे "घुमा" के...दे "घुमा" के... दे "घुमा" के...!!!"स्विच" "ऑफ" कर दीजिये भाई साब, दूर कही "रेडियो" पर "पुराना" "गाना" बज रहा है .........मेरे "सवालो" का "जवाब" दो???? ........और हाँ, आप भी "गाईए" "नया" वाला "गाना"......दे "घुमा" के, दे "घुमा" के, दे "घुमा" के .........!!!!!       

Wednesday, February 16, 2011

."मुहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मखसूस किये जाते है..............



वो क्या है भाई साब, कि हमने कभी "सच्ची" मुहब्बत नहीं की  है ना, इसलिए उसके  "तौर" "तरीको" से "वाकिफ" नहीं हूँ!सन ..... के "आस पास" ज़रा सा "इरादा" किया था कि उसके "पिता जी" ने "भांप" लिया और जात बिरादरी के ही एक "चिरंजीवी" के साथ उसे "आयुष्मती" बना के "विदा" कर दिया ,इसे  कहते है गाँव बसा नहीं कि कुत्ते रो दिए....हाँ ये ज़रूर  है कि हमने दूसरो को "छज्जे" से "महीन महीन" "पर्चियां" फेकते खूब देखा है !आपकी कसम भाई साब,मन में "धूपबत्ती" सी "सुलगने" लगती थी,सब कुछ "ओस" में "भीगा भीगा" लगने लगता था वगैरा वगैरा ....!वैसे बात "मुहब्बत" कि ,पुरानी कहावत है कि "बंदर" कितना भी "बूढ़ा' क्यों ना हो जाए,"गुलाटी" मारना नहीं भूलता!कसम "विलायती बाबा" की,इधर "अपना" भी "मन" कर रहा है कि दो चार अदद "लाल गुलाब" खरीद कर "इजहारे मुहब्बत" कर ही डालूं!अगला "मान" गया तो ठीक, वर्ना "दस रुपये" के "गुलाब" में "टेस्ट" तो हो जायेगा! अब "आप" ही बताइए" महंगाई "के इस "ज़माने' में इससे "सस्ता" और क्या होगा?सब "मौसम" की "बलिहारी" है भाई साब,देखो ना चारो तरफ हर "लब" पर "लव" के ही "तराने" है! "पिया" "इश्क" का "मंजन" घिस रहे है ! "बालिका वधु" को धकेल कर "ससुराल गेंदा फूल" "टॉप" पर है !यूँ ही नहीं "हुस्न" के "मुल्क" छोड़ के भागने पर "मुबारक" दी जा रही है! "वाग्देवी" कि "पूजा" पर "बाबा velentine " का "मैसेज" हावी है!ये "उम्र" का "एक्सन रिप्ले" है ,"गाने" से लेकर "टीवी स्क्रीन" तक हर जगह "जोर का झटका' लग रहा है!
वैसे एक बात बताइए भाई साब,हमारे "ज़माने" में तो "किचन" में जाकर "हम"अपनी ही "बीबी" का चेहरा "निहार" के "निहाल" हो जाते थे ,कभी "सिंगल" "इंगेज" "ब्रेकअप" का "मौका" ही नहीं मिला !यही नहीं "हमने" तो कभी "लाल गुलाब" देकर "मुहब्बत" का "इज़हार" भी नहीं किया ...तो क्या ....तो क्या "वो" हमसे "मुहब्बत" नहीं करती है? सच कहें "लव आजकल" भी "सलाम नमस्ते" हो गया है, जो "अनजाना अनजानी" में बगैर "बैंड बाजा बारात" हो सकता है!हम तो "प्रेम" की "पराकाष्ठा" "राधा-कृष्ण" को मानते है और वो इसे भी "लिव इन रिलेशन" कहते है....!!!!
माफ़ कीजियेगा भाई साब पहले ही कह चुका हूँ "मुहब्बत" के "तौर तरीको" से "वाकिफ" नहीं हूँ मगर ये जानता हूँ की "मुहब्बत" "मुहब्बत" होती है,"सच्ची" या "झूठी' नहीं!"मुहब्बत" को कभी "इजहार" के लिए "लाल गुलाब" की "ज़रूरत" नहीं पड़ती!सच तो ये है भाई साब, "हाथो" में "गुलाब" नहीं ,"दिलों" में "विश्वाश" "खिलना" चाहिए!"चाकलेट" "टेडी" "प्रामिस" "हग" से बढ़ कर "अपनापन" होना चाहिए ...........जाने भी दीजिये, बेवजह "इमोशनल" हो रहा हूँ,जानता हूँ "नर्सरी राईम"  के आगे "अन्ताक्क्षारी" बेकार है पर हाँ,चलते चलते "इजहारे मुहब्बत" के लिए "एकदिन" "मुक़र्रर" करने वालों की "नज़र"एक शेर है ......"मुहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मखसूस किये जाते है,ये वो नगमा है जो हर साज़ पे गया नहीं जाता!!"
मुहब्बत जिंदाबाद!!! आमीन...!!!!!

Sunday, February 13, 2011

."मुहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मखसूस किये जाते है..............

वो क्या है भाई साब, कि हमने कभी "सच्ची" मुहब्बत नहीं की  है ना, इसलिए उसके  "तौर" "तरीको" से "वाकिफ" नहीं हूँ!सन ..... के "आस पास" ज़रा सा "इरादा" किया था कि उसके "पिता जी" ने "भांप" लिया और जात बिरादरी के ही एक "चिरंजीवी" के साथ उसे "आयुष्मती" बना के "विदा" कर दिया ,इसे  कहते है गाँव बसा नहीं कि कुत्ते रो दिए....हाँ ये ज़रूर  है कि हमने दूसरो को "छज्जे" से "महीन महीन" "पर्चियां" फेकते खूब देखा है !आपकी कसम भाई साब,मन में "धूपबत्ती" सी "सुलगने" लगती थी,सब कुछ "ओस" में "भीगा भीगा" लगने लगता था वगैरा वगैरा ....!वैसे बात "मुहब्बत" कि ,पुरानी कहावत है कि "बंदर" कितना भी "बूढ़ा' क्यों ना हो जाए,"गुलाटी" मारना नहीं भूलता!कसम "विलायती बाबा" की,इधर "अपना" भी "मन" कर रहा है कि दो चार अदद "लाल गुलाब" खरीद कर "इजहारे मुहब्बत" कर ही डालूं!अगला "मान" गया तो ठीक, वर्ना "दस रुपये" के "गुलाब" में "टेस्ट" तो हो जायेगा! अब "आप" ही बताइए" महंगाई "के इस "ज़माने' में इससे "सस्ता" और क्या होगा?सब "मौसम" की "बलिहारी" है भाई साब,देखो ना चारो तरफ हर "लब" पर "लव" के ही "तराने" है! "पिया" "इश्क" का "मंजन" घिस रहे है ! "बालिका वधु" को धकेल कर "ससुराल गेंदा फूल" "टॉप" पर है !यूँ ही नहीं "हुस्न" के "मुल्क" छोड़ के भागने पर "मुबारक" दी जा रही है! "वाग्देवी" कि "पूजा" पर "बाबा velentine " का "मैसेज" हावी है!ये "उम्र" का "एक्सन रिप्ले" है ,"गाने" से लेकर "टीवी स्क्रीन" तक हर जगह "जोर का झटका' लग रहा है!
वैसे एक बात बताइए भाई साब,हमारे "ज़माने" में तो "किचन" में जाकर "हम"अपनी ही "बीबी" का चेहरा "निहार" के "निहाल" हो जाते थे ,कभी "सिंगल" "इंगेज" "ब्रेकअप" का "मौका" ही नहीं मिला !यही नहीं "हमने" तो कभी "लाल गुलाब" देकर "मुहब्बत" का "इज़हार" भी नहीं किया ...तो क्या ....तो क्या "वो" हमसे "मुहब्बत" नहीं करती है? सच कहें "लव आजकल" भी "सलाम नमस्ते" हो गया है, जो "अनजाना अनजानी" में बगैर "बैंड बाजा बारात" हो सकता है!हम तो "प्रेम" की "पराकाष्ठा" "राधा-कृष्ण" को मानते है और वो इसे भी "लिव इन रिलेशन" कहते है....!!!!
माफ़ कीजियेगा भाई साब पहले ही कह चुका हूँ "मुहब्बत" के "तौर तरीको" से "वाकिफ" नहीं हूँ मगर ये जानता हूँ की "मुहब्बत" "मुहब्बत" होती है,"सच्ची" या "झूठी' नहीं!"मुहब्बत" को कभी "इजहार" के लिए "लाल गुलाब" की "ज़रूरत" नहीं पड़ती!सच तो ये है भाई साब, "हाथो" में "गुलाब" नहीं ,"दिलों" में "विश्वाश" "खिलना" चाहिए!"चाकलेट" "टेडी" "प्रामिस" "हग" से बढ़ कर "अपनापन" होना चाहिए ...........जाने भी दीजिये, बेवजह "इमोशनल" हो रहा हूँ,जानता हूँ "नर्सरी राईम"  के आगे "अन्ताक्क्षारी" बेकार है पर हाँ,चलते चलते "इजहारे मुहब्बत" के लिए "एकदिन" "मुक़र्रर" करने वालों की "नज़र"एक शेर है ......"मुहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मखसूस किये जाते है,ये वो नगमा है जो हर साज़ पे गया नहीं जाता!!"
मुहब्बत जिंदाबाद!!! आमीन...!!!!!

Tuesday, February 8, 2011

ये मौसम का जादू है मितवा.......

कसम से भाई साब,आजकल "मनवा" कुछ "बौराया बौराया" सा रहता है!अब अगर आप भी ठहरे "हमारे' जैसे "आर्थोडोक्स"टाइप कि चीज तो तड से "बयान" जारी कर दोगे कि ये तो "वासंतिक" लक्षण है,वर्ना  आज के दौर में तो इसे "साईन ऑफ़ जांडिस" बताने वालो कि"लम्बी" लाइन मिल जाएगी वो ज़माने गए भाई साब,जब "पीली सरसों" और "आम" के "बौर" कि "खुशबु" के साथ "मौसम" की "मादकता" बता देती थी की "वसंत"आ गया लेकिन अभी तो "माल" में लगी "सेल" से ही "वसंत" आने का "पता" चलता है! अब"उत्सवो" के इस "मौसम" में "पीले" कपडे पहन  कर "माँ सरस्वती" के "श्लोक" पढने के परम्परा, "अवार्ड" समारोहों में "ताना-कशी" की  "कला" में बदल चुकी  है!आप लगाते रहो "अनचाही कॉल" पे "प्रतिबन्ध" ये "मोबाइल पोर्टिबिलिटी" का ज़माना है! "कामदेव" के "तीर" के जगह "काशी" का "उत्सव" "तलवार"पर "फरसे" से वार करता है......"जिंदगी" के "वर्ल्ड कप" में "अम्बुश मार्केटिंग" हमेशा चलती रहती है,प्रतिबन्ध "गुटखे" पर नहीं "प्लास्टिक पॉउच" पर लगता है !हमारे यहाँ "राजा" गिरफ्तार होता है!"देसीगर्ल" के यहाँ "छापा" पड़ता है!"धर्मगुरु" के यहाँ "विदेशी मुद्रा" मिलती है!पुरानी कहावत है "घुंघट" के अंदर "लिपस्टिक" नहीं 'फबती" है,अब आप भी "हुस्न-अ-मुबारक" कहना छोड़ दीजिये..."होलिका" बुआ का "काउंट डाउन" शुरू हो चुका है, "काला" धन और "सफ़ेद"पोशो की दुनिया में "वासंती" "पीलेपन" को "तलाशने" कि "कोशिश" करना "बेमानी' है....."मुहब्बत" के इस "मादक" "मौसम" में "विलायती बाबा" को "मुहब्बत" का "मसीहा" मानने वालो से क्या कहना??...फिर भी 'दिल" है की नहीं मानता....कहा ना,आजकल कुछ "बौराया बौराया" सा रहता है या फिर "आप" कह सकते है .....ये "मौसम" का "जादू" है मितवा.....सो आप "सभी" के लिए "वासंती" "मौसम" के नाम .....
जब मन  बहके और तन लहके,बिन बात कही मै मुसकाऊ!
नयन लगे हो रहो पे,सुलझी लट फिर से सुलझाऊ!!
 कैसे हुई मै बावरी ,इसका मुझे ध्यान नहीं!
जो फागुन में आन मिलो ,प्रिये मै बसंती हो जाऊ !!!!