Sunday, February 12, 2012

"गुल" से लिपटी हुयी "तितली" को हटा के दिखाओ,"आँधियों"! तुमने "दरख्तों" को गिराया होगा !!!!

वो क्या है भाई साब किये "फागुन" और "बाबा वेलेंटाइन" कि "काकटेल" का ही असर है,जिसे देखो वही बाल "रंगने" पर लगा है और जिसने नहीं रंगे है वो बाकायदा "कोर्ट" में अर्जी दे रहा है,सवाल "उम्र" का है ! इस "मौसम" में "जिंदगी" रिवर्स गेयर में ही भागती है! हर "बाबा" "देवर" बनने लगता है ! तभी तो "जोड़ी ब्रेकर" भी "कुंवारा हूँ कुंवारा" गाने लगता है ! वो हमारा "ज़माना" था भाई साब,जब इस "मौसम" में हर "सयानी" लड़की  "छत" पर "चिप्स-पापड़" "सुखाने" आ जाती थी और "हम" "पतंग-चरखी" लेकर ! वहीं से "आँखों" में "आँखे" दाल कर "टुन्न" हो जाया करते थे ! यू नो,कम "खर्च" वाला "नशा" ! अभी तो "प्रेम" और "नशा" बड़ा "महंगा" हो गया है ! "दोनों" में "पैसा" लगता है ! "पीले-पीले" सरसों,"मीठी मटर" और "महकते फूलों" के बगीचे का प्रेम "ओल्ड फैशंड" हो गया है ! अब तो "कलियाँ" भी "ब्यूटी-पार्लर" में जाती है और "भँवरे" "जिम" में जाकर "डोले-शोले" बनाते है ! मोहब्बत "हार्ट-शेप" के "चाकलेट" और "केक" में "तब्दील" हो गई है ! इस बार तो "मोहब्बत" के "मौसम" में "चुनाव" भी है ! चुनावी चकल्लस  हर गली,नुक्कड़,चौराहों पर चालू है ! कहीं "मुठभेड़" को याद करके "आंसू" बह रहे है तो कही "राग-आरक्षण" पर " चुनाव- आयोग"  कि "चिट्ठी" है ! "बाबा" तक "भूखे बच्चों" को लेकर "मंच" से अपनी "भड़ास" निकल रहे है ! "कामदेव "  के "मति" मारने के "मौसम" में, "वोटरों" के "मत" पाने के "हथकंडों" से चारो तरफ "रौनक" है ! फटेहाल "सुदामा" भी "कृष्ण" बना "इतरा" रहा है ! मदमाते मधुमास में सारे "हार्मोन्स" आवारागर्दी करने लगते है ! "वेलेंटाइन" और "डायन" का भेद मिट जाता है !ऐसे में "सदन" के भीतर "विडियो क्लिपिंग" देखते पकडे जाने पर इतनी "हाय तौबा" क्यों ! जी तो करता है कि इसी वक़्त अपने "बाँहों"  पर "दिल" के आकर का "गोदना" बनवा लूँ और "राइट टू  रिजेक्ट" का "आप्शन" चूज़  करके एक अदद "नई वाली" "बाबा वेलेंटाइन" के नाम पर "राइट टू चूज़" कर लूँ.......लेकिन सच कहूँ भाई साब, ये "मौसम" कितना भी "बहकाए" मगर "मांग में सिंदूर" और "पेशानी" के एक "बल" पर हमेशा "परिवार" के लिए "चिंता" रखने वाली से "खूबसूरत" कोई "अहसास" नहीं है ! हर "लम्हा" "प्रेम" से "पगे" "मुल्क" में  "एक दिवसीय"  "आयातित प्रोमोत्सव" कि ज़रूरत नहीं है !"भावनाए" "भाषा" कि "मोहताज़" नहीं होती ! "मुहब्बत" "कही" नहीं, "महसूस" कि जाती है....जाने दीजिये भाई साब,इमोशनल हो रहा हूँ,आप "अहसास" कर लो, उससे पहले बड़ी "मोहब्बत" से  एक "शेर" दे रहा हूँ .....स्वीकारियेगा...टूट कर ऊँचाइयों  से एक सितारा जो गिरा,ज़रूर उसने किसी जर्रे का मजाक उड़ाया होगा ! "गुल" से लिपटी हुयी "तितली" को हटा के दिखाओ,"आँधियों"! तुमने "दरख्तों" को गिराया होगा !!!!