Sunday, January 29, 2012

ये "मौसम" का "जादू" है "मितवा".....

सच में भाई साब,इस "मौसम" में मुझे तो हर "तांगेवाली" "बसंती" नज़र आने लगती है ! यू नो, ये "मौसम" का "जादू" है "मितवा"......."मनवा" रह-रहकर "सलमान रुश्दी" की तरह "लन्दन" से ही "ट्विट" करके "जयपुर" की "महफ़िल" के "मज़े" लूटने लगता है ! "दिल" के "अरमाँ" "सन्यास" छोड़कर "पार्टी" में वापस आई "उमा भारती" की तरह "लम्बी-लम्बी" छोड़ने लगता है !" कसम" से जिसे देखो वही "बौराया-बौराया" सा लगता है ! इस बार तो "माहौल" में "मादकता" के साथ-साथ "आचार संहिता" भी घुली है ! "मधुमास" है तो भी "फूलों" का खिलना मना है,मगर "चुनाव" है इसलिए "बबूल " से लेकर "नागफनी" तक सब "मुस्कुरा" रहे है ! "कामदेव" तो गए है मगर "बाण" नहीं चलाएंगे, हाँ "सुशासन" वाले "मंत्री" हाथ "काटने" की "धमकी "ज़रूर" दे रहे है ! "अन्ना" की "सेहत" पर "चिंता" के बजाये "योगगुरु" "पद्म पुरस्कारों" पर " सवाल खड़े कर रहे है !  वैसे भी जितना विश्वसनीय  "योग" है,उतना "योगगुरु" नहीं !  इस "ऋतू" में "पीला" "पहनने" की "प्रथा" है,इसलिए "हाथी" तक  "पीला" "पोलीथिन" लपेट कर "बसंती" हो गया है ! "बच्चन" की "अग्निपथ" पर "कांचा-चीना" हावी है ! "कमिश्नर" की "फटकार" पर "इस्तीफा" हावी है !"होलिका-बुआ" के "चौराहे" पर "गड़ते" ही "भाई-लोग" "गणतंत्र" दिवस की "परेड" पर   देखे गए "मिलेट्री" के "जांबाज़" "कारनामो" को भुला कर "उनकी" "कैंटीन" का पता "ढूंढने" में लगे है ! कोई "क्लीन स्वीप" के नाम पर "गम" गलत करने का "बहाना" ढूंढे है तो कोई "विराट" के "इकलौते शतक" और "इशांत" के "इकलौते विकेट" का "जश्न" मनाने को "बेताब" है ! इस बार "जयपुर" ने बता दिया है की "साहित्य" में अब "प्रगतिवाद" "आदर्शवाद" "छायावाद" की जगह सिर्फ "विवाद" बचा है ! अगले "महीने" सब "साफ़" हो जायेगा कि "किसका" मुहँ "काला" होगा और किसका "लाल".....मगर आप "टेंशन" ना लो, "उत्तराखंड" में "चुनाव प्रचार" ख़त्म हो चूका है,"मणिपुर" में "मतदान" हो चुका है,"अन्ना" सेहत ख़राब होने की वजह से नहीं गए,रहा सवाल उनकी "टीम" का तो "उनकी" तो "दूध-भात" ....वैसे भी जिस "मुल्क" में "पीलेपन" का मतलब सिर्फ "बसंती" "नवजीवन" का "उल्लास" ही नहीं ,बल्कि "जांडिस" भी होता हो, वहां "भ्रष्टाचार"  "चुनाव" का नहीं,"आन्दोलन" का "मुद्दा" होता है..........माफ़ कीजियेगा भाई साब, "पहले" ही कह चूका हूँ कि "आज-कल"  कुछ "बौराया-बौराया" सा हूँ ! इसके पहले कि आप भी "बौरा" जाओ,"बसंती मूड" में भाई "रफीक शादानी" कि एक "अवधी" रचना" "उछाल" रहा हूँ...संभालियेगा.... नेता लोगे घुमै लागे,अपनी-अपनी जजमानी मा ! उठौ कहिलऊ,छोरौ खिचड़ी, हाथ मारो बिरयानी मा !! इहई वार्ता होति रही कल,रामदास-रमजानी मा ! दूध कई मटकी धरेउ न भईया, बिल्ली के निगरानी मा !!


Sunday, January 22, 2012

.ये "गणतंत्र" है भाई साब....

अच्छा भाई साब,"आम हिन्दुस्तानी" से बेहतर "पार्टी से निकाला गया "विधायक" ! यू नो  "अगले" की "आत्मा" कभी भी "डाईव" मारकर "पार्टी" तो बदल सकती है मगर "अपन" तो ना "सुहागिन" में और ना "विधवा" में ! "सरकार" "किसी" की भी बने,अपने "हिस्से" में तो वही "मनहूसियत" ही आनी है ! मगर वो कहते है ना कि "मजबूरी" का नाम "मनमोहन" तो "हताशा" का नाम "हजारे" ! कमबख्त अपने ही "वादे" पर "टिका" रहना "मुश्किल"....."अगले" को पता है कि जिस "मुल्क" में लोग "पत्थर" बनने के "डर" से सारी "रात" जाग सकते है,वहां "हाथियों" को "ढँक" देने से "कुछ" नहीं होने वाला ! "देशभक्ति" के गानों पर "डांस" करते हुए ,"तिरंगा" लहराने वाले भी "अपने" बीच पाकर "मुह" पर "स्याही" फेंक सकते है ! "मौसम" और "महबूब" का "पारा" कभी भी "बदल" सकता है ! कसम "बाबूराम कुशवाहा" की, "आप" ही बताओ किसे "जिताओगे" और किसे "हराओगे" ! यहाँ तो हर "जलेबी"  "चाशनी" में "डूबी" है ! वैसे भी इस "मुल्क" में "मौलिक प्रतिभा" की कोई "कदर" नहीं है ! अभी "खबर" पढ़ी कि "एम्स" का परचा "लीक" करके "डॉक्टर" बनाने का "स्वरोजगार" कुछ "नौजवानों" ने शुरू किया था ! "धंधा" भी "बच्चों"  का "ठीक-ठाक" चल रहा था,मगर शायद "पुलिसजी" से "इत्यादि-इत्यादि" "वगैरह-वगैरह" तय नहीं था, सभी को "धर" लिया गया ! इस "घटना" से मुझे गहरा "आघात" लगा है ! जी तो करता है कि "तिलमिलाकर" मै भी "ख़त" लिख दूँ! मगर तभी "दिल" से "आवाज़" आई,जाने दो "डी.डी." अपना मुल्क "अतिरेक" में जीता है ! हम सब "भावनात्मक" लोग है ! देखा नहीं इस बार फिर "चुनावो" में "भय-भूख-भ्रष्टाचार" मिटाने के "वादे" है ! "रोटी-साईकिल-आकाश-लैपटॉप" से लेकर "स्वच्छ प्रशासन" देने के वायदे है और हाँ इस बार तो "इंडिया अगेंस्ट करप्शन" भी है....सो "बेवजह" तू "पंगा" ना ले वर्ना "चुनाव आयोग" कि "सख्ती" के नाम पर "चौराहे" पर "पुलिसजी" तेरी "जेब" का "पर्स" जब्त करके "नोटिस" भिजवा देंगे "मनहूस आम हिन्दुस्तानी तेरी जेब....और उसमे पैसे"....!!!! ये "गणतंत्र" है भाई साब, यहाँ सबको "आज़ादी" है ! "आप" भी अपने "तरीके" से "इंजॉय" करो..... बकौल "अशोक चक्रधर"  "जहाँ पब्लिक के द्वारा,पब्लिक के लिए,पब्लिक कि ऐसी तैसी होती है,वही सच्ची डेमोक्रेसी होती है  !!!!! बधाइयाँ !!!!!!           

Monday, January 2, 2012

......आप उन्हें परियों के ख्वाब दिखाते रहिये

सब "वक़्त-वक़्त" की "बात" है भाई साब, देखिये अभी "कल" की ही "बात" लगती है जब 2011 ने "इतने" ही "धूम -धाम" से "शपथ ग्रहण" की थी और आज बेचारा "बर्खास्त मंत्री" की तरह "हाशिये" पर पड़ा "लोकायुक्त" की "रिपोर्ट" को "निहार" रहा है ! अच्छा ये "वक़्त" भी ना, बिलकुल "अन्ना" के "अनशन" की "तरह" है...."उम्मीद" के "मुताबिक" भीड़ जुटी नहीं......सो "वक़्त" से पहले ही "ख़त्म' ! "ख़त्म" तो "वक़्त" से पहले "मेलबोर्न टेस्ट" भी हो गया,जहाँ हम "महाशतक" और "जीत" की "उम्मीद" लगाये थे ! अब प्लीज़,"साल" का "पहला दिन" है ,"हिसाब-किताब" करने दीजिये ना, वैसे भी "साल" के "पहले दिन" "उपलब्धियों" और "श्रधान्जलियों" का "जोड़-घटाना" करने के बाद ही हमहैप्पी न्यू इयर" कहते है .......उस पर "तुर्रा" ये कि ये साल "राष्ट्रिय गणित वर्ष" घोषित है सो "हिसाब -किताब" तो बनता है भाई साब.....एनी वे बात "नए साल" की ......"कोलावारी-डी" से लेकर "कमज़ोर-मजबूत" कि "धुन" पर "नाचते-गाते" हर "विद्या बालन" और "भप्पी लाहिरी" ने खुद को "रणवीर" "कैटरीना" समझते हुए "बीते साल" को "विदाई" तो दी  मगर "नए साल" कि "सुबह" तो "राज्यसभा" सी निकली ......."खुशियों" के "जश्न" को मनाने कि "उम्मीदोंपर "ठाणे" का "पानी" फिर गया ,वो तो भला हो "सरकार" और "सिविल सोसाईटी" में से "किसी" ने भी इसे "देश" के साथ "धोखा" नहीं कहा वर्ना बेचारा "आम-आदमी" "बेवजह" एक बार फिर "खुद" को "ठगा" हुआ "महसूस" करता ....वैसे भी इस "मुल्क" में "आम आदमी" बेचारा कहाँ "बचा" ही है, वो तो "भ्रष्टाचार" और "अनशन" वाले "खेमों" में बँट चुका है !अब उसका ध्यान  "महंगाई" पर नहीं "देश" में "काला-धन" वापस लाने के "तरीके" पर "ज्यादा" रहता है ! "सरकार" कि "प्रतिबद्धता" और "विपक्ष" के "चीरहरण" जैसे "जुमले उसे "मुग्ध" करते है ....."ऊलाला ऊलाला" से लेकर "चिकनी चमेली" तक सब कुछ "भव्य" है ! चुनाव घोषित हो गए है...अब ये "भव्यता" "आम आदमी" के "सपनो" में और भी "रंग" भरेगी और फिर से हमारा "वोट" "पार्टी" को ही पड़ेगा....क्योंकि "ईमानदारी" तो "आलरेडी" हमारे पास है ही....वही "दस" से "पाँच" की "नौकरी", "बच्चों की फीस" "माँ की दवाई" "घर का राशन" .......वैसे भी "ईमानदारी" जीत जाएगी तो "अनशन" का क्या होगा,कम से कम "भूखा रहना अब "इलीट" "फील" तो देता है.......आप मस्त रहिये भाई साब ,naya साल है....मत समझाइए की "अन्न" "धरती माँ" को "बचाने" से मिलेगा "खाद्यान्न बिल" लाने से नहीं ...ये वो "मुल्क" है भाई साब जहाँ के लिए सिर्फ "नीरजजी" की "पंक्तियाँ" सटीक लगती है ....... जागते रहिये,जागते रहिये, मेरी आवाज़ में आवाज़ मिलाते रहिये !! यूँ तो भूखा रहने को भी तैयार है मेरा वतन, आप उन्हें परियों के ख्वाब दिखाते रहिये !!!!! नव-वर्ष की मंगलकामनाएं !!!!!!!!!!!!