कसम से भाई साब,"जिंदगी" में पहली बार अपने "अभावों" और "गरीबी" पर "गर्व" महसूस हो रहा है ! कुछ-कुछ "इलीट- इलीट" जैसी "फीलिंग" आ रही है ! वाह री "किस्मत", पता ही नहीं चला कि जिसे "इतने" दिनों तक "मजबूरी" "भुखमरी" समझता था वो तो "उपवास" था ! इससे कोई "फर्क" नहीं पड़ता कि "किसने" किया है और "कहाँ" किया है ! "रामलीला-मैदान" से "एयर कंडीशन हाल" से "फुटपाथ" तक ...."इंडिया गाट टैलेंट" ! अब जिसने सारी उम्र "क्लासिकल डांस" ही किया है वो कहा करे इसे "सर्कस" ! "सद्भावना रैली" नाम रख लेने से क्या "विरोध प्रदर्शन" करने पर "गिरफ्तार" नहीं करेंगे....हद है यार ! कितनी बार "समझाया" कि "दशहरे" में रावन "जलाने" से "रामराज्य" नहीं आता है और ना ही "रेपो रेट" बढ़ाने से "महंगाई" कम होती है मगर नहीं...... एनी वे आप खुद ही देखिये न कितने तरह के "ऑप्शन" है आज..."जी" करता है कि मै भी अपनी "रथयात्रा" निकाल दूं हो सकता है कि "ढलती उम्र" में कोई दूसरी "राजनैतिक" सम्भावना निकल ही आये या फिर "ऐलान" कर दूं कि जहां-जहां "चुनाव" होंगे "वहाँ-वहाँ" का "दौरा" करूँगा ! सच कहूँ तो भाई साब,पहली बार "जिंदगी" के "मैच" में "डकवर्थ-लुईस" "नियम" लगा है ! "हाशिये" पर पड़े "आम हिन्दुस्तानी" का "उपवास" "ग्लैमराइज़" हुआ है ! अब "आप" उठाया करो "उपवासों" के खर्च पर "सवाल" ! बेवजह "बाघेला" कि तरह "अकेला" पड़ने से "बेहतर" है कि "इंजॉय" करो ! वैसे भी इस "हफ्ते" दो ही "चीज़ों" कि "चर्चा" है पहला "उपवास" दूसरा "मेरे ब्रदर कि दुल्हन" ! अरे हाँ 7 % "डी.ए." बढे या "पेट्रोल" के "दाम", "शार्ट सर्किट" को "ब्रेकिंग-न्यूज़" में "धमाका" बनाने वालों के लिए ये सिर्फ एक खबर है ! वैसे भी उनसे क्या "शिकवा"...."दिल्ली" और "आगरा" में "विस्फोटों" के बाद खुद हमारी सारी "संवेदना" "तेरह" "चौदह" "पंद्रह".....कितने तक "सिमट" कर रह जाती है ! ये वो "मुल्क" है जहाँ "सैंडिल" लाने के लिए "निजी विमान" जाता है और वहीँ "एशियाई चैम्पियनशिप" में "चक" देने के बाद भी "टीम इंडिया" के "खिलाडियों" को मात्र 25 हज़ार रुपये मिलते है ! माफ़ कीजियेगा "भाई साब", हो सकता है कि "बहनजी" कि "तर्ज़" पर "आप" भी मुझे "पागल हो गया है" कहें,मगर सच तो ये है कि ,हमने अपनी गलतियों से कभी कुछ नहीं सीखा ! "टीम इंडिया" कि "इंग्लैंड" में "शर्मनाक" को भूलकर हम खुद को "सुपरकिंग" "डेयरडेविल्स" "रायल चैलेंजर"और "...इंडियस" तक "समेट" लेते है शायद इसीलिए "सालों-साल" "भूखे पेट" सोने के बावजूद कभी भी हमारे "उपवास" पर ना तो कोई "चिंता" और ना ही कोई "चर्चा" होती है ! चलते-चलते आज "शहरयार" साब को "ज्ञानपीठ" पुरस्कार मिल रहा है ! उन्ही का एक शेर अर्ज़ कर रहा हूँ शायद जो कहना चाहता हूँ आप तक पहुच जाये...सीने में जलन,आँखों में कोई तूफ़ान सा क्यूँ है ! इस शहर में हर शख्श परेशान सा क्यूँ है ......
it is well said ki"khalli dimag shaitan ka ghar"but sometime yahi shitani kuch aaise khurafato ko janm de deti hai jinka koi jawab nahi hota...fursat k unhi lamho me kuch khurafato ka pratiphal hai "fursatnama"...
Sunday, September 18, 2011
Tuesday, September 13, 2011
..........हिंदी,हिन्दू,हिन्दुस्तान !!!!!
प्रातः काल भगवान भुवन-भास्कर की रश्मियों के आगमन के साथ ही,गत वर्ष के संकल्प का द्रढ़ता पूर्वक पालन करने की नियत से हमने अपनी "भार्या" को आदेशित किया "हे अर्धांगनी,अतिशीघ्र पर्वतीय स्थलों से प्राप्त होने वाली हरित पत्तियों से निर्मित ,दुग्ध शर्करा मिश्रित उष्ण पेय पदार्थ चीनी-मिटटी के बर्तन में प्रेषित करो,ताकि दिनचर्या आरम्भ हो,उधर से फ़ौरन जला-कटा जवाब आया "होश में आओ,इतनी लम्बी लम्बी मत छोड़ो,वर्ना "एडिट" हो जाओगे ! आपकी कसम भाई साब,बदन में जितना भी "सीसी" खून था सब उबल कर "चिकन सूप" बन गया ! कविवर प्रदीप ने यूँ ही नहीं लिखा है कि "देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान्,कितना बदल गया इंसान....! अभी होते तो ज़रूर लिखते "कहाँ गए भारतेंदु हरिश्चंद्र,कहाँ रहा हिंदी,हिन्दू,हिन्दुस्तान....! हमने समझाने की कोशिश की "अरे भागवान,! एक दिन तो "हिंदी" बोल ! तुझे क्या पता, 14 सितम्बर को "प्रतिवर्ष" हिंदी की "दुर्दशा" पर कितनी "चिंता" की जाती है ! "वातानुकूलित सभागारों" से लेकर "नुक्कड़" तक भाषण,लेख,प्रतियोगिता,सेमीनार वगैरह वगैरह....! पत्नी मुस्कुराई "चींटी" होकर "चूहे" जैसा "बिल" बनाने चले हो ! चार "लाइने" फुर्सतनामा की लिखकर उड़ने लगे हो ! भूल जाओ... ! मै समझ गया भाई साब, "साठ" बरस की "बुढ़िया" पर "बनारसी साड़ी" नहीं फबती है, सो बात बदलने की "गरज" से हमने बाहर झाँका...वह क्या शानदार "जुलूस" है...भक्तों का रेला,बैंड-बाजा,रंग-अबीर-गुलाल...हमने "श्रद्धा" से "सर" झुकाया और जोर से नारा लगाया "गणपति बप्पा मोरिया"...उधर से जवाब आया .."अपना नेता मस्त है...! आपकी कसम झूठ बोलूं तो मेरा मामला भी "सुप्रीम कोर्ट से" सीधे "लोअर कोर्ट" भेज दिया जाये ! हम तो वहीँ खड़े खड़े "अवाक" रह गए..समझ गए ये तो"छात्र-संघ" की "जीत" की "ख़ुशी" में निकला "जुलूस" है.. और "गणपति बप्पा"... वो तो "विसर्जित" होते होते मेरे "सवालिया" "नज़रों" को "भांप" कर "मुस्कुराये" और चुपके से बोले " ये मेरा "विसर्जन" है, "इलेक्शन" नहीं ..मै अगले बरस फिर आऊंगा "हिंदी दिवस"की तरह, तू बिलकुल परेशान ना हो ,क्योंकि हिंदी तो वो "विशाल" ह्रदय वाली पवित्र "गंगा" है,जिसमे "दूसरी भाषाओँ" की तमाम "छोटी-बड़ी" नदियाँ,झरने,नहरें...आ आ कर मिलती है और ये "सबको" अपने में "समाहित" करके "महान" बनी रहती है ! यही इसका "बड़प्पन" है ! एक बात और "संगम" के जल से "सरस्वती" "यमुना" के "जल" को "अलग" करने की "कोशिश" में "गंगा" के "विस्तार" की "संकीर्ण" मत कर! इसकी "शक्ति" "सामर्थ" और "अपनेपन" को "पहचान" ,क्योंकि यही है "सच्चे" अर्थों में "हिंदी" का सम्मान ! हमारी "आँखे" "खुल" गयी ! हम सोचने लगे "क्या ये स्वप्न है"???????
Sunday, September 4, 2011
आपको भी मुबारक हो....."हैप्पी टीचर्स डे" !!
आपकी कसम भाई साब, आजकल मनवा एकदम से "नवजोत सिंह सिद्धू" हो रहा है..."ओये गुरु चक दे फट्टे नाप दे गिल्ली,सुबह की जालंधर शाम की दिल्ली...खुद ही देखिये न पूरा मुल्क "उर्मिला मंतोंड़कर" हो रहा है....रुकी रुकी सी जिंदगी,झट से चल पड़ी..."मै भी अन्ना,तू भी अन्ना" से लेकर "गणपति बप्पा मोरिया" और "अनशन" से लेकर"गणपति विसर्जन " तक ! चारो तरफ उत्सव का माहौल है ! जी में आता है मारे ख़ुशी के मै भी अपनी "सम्पति" "सार्वजानिक" कर दूँ मगर करूँ कैसे "नैतिकता" तो सिर्फ "सिविल सोसाईटी" के पास है ऊप्प्पस्स्स्स इससे पहले कि "विशेषाधिकार हनन" की "नोटिस" मिले "अपन" खुद ही "स्टैंडिंग कमेटी" से अपना नाम वापस ले लेते है ! क्या पता "टीम अन्ना" के साथ कौन सा "अग्निवेश" कहाँ, किस "रूप" में खड़ा हो ! वो कहते है ना "अजब देश की गज़ब कहानियां" ! जिसे भी "नोटिस" मिली है,वही गा रहा है " मैया मोरी मै नहीं माखन खायो..." और मुल्क "बेचारा" वो तो "सपरेटा" पी-पी कर बड़ा हुआ है "मीडिया" पर "अतिरंजित" लाइव देख देख कर "खुश" है ! "अकलमंदी" इसी में है कि "महाभियोग" साबित होने के पहले ही "इस्तीफा" दे दो तो सारी "सरकारी" सुविधाएँ बहाल रहती है वर्ना "मानद डिग्री" पाने के बाद भी "घटिया" खेलने के लिए "गधा" सुनना ही पड़ेगा ! वैसे भी "मुल्क" में आजकल दो ही चीज़ "चर्चा" में है...पहला "अनशन" दूसरा "विशेषाधिकार हनन" ...अरे हाँ देखिये "....नन" से "याद" आ गए अपने आदरणीये "डॉ.राधा कृष्णन" ! "शिक्षक दिवस" है, यानि "गुरुओं" के प्रति अपनी "श्रद्धा" व्यक्त करने का "दिन" मगर "अनशन" के बाद "दिल्ली" से अकेले "रालेंगाँव सिद्धि" जाते "अन्ना" को देख कर "कनफ्यूज " हूँ कि किसे "गुरु" मानूं और किसे " गुरु घंटाल" ! वैसे भी जिस मुल्क में "थैले" में लाये "सब्जी" से "थीसिस" पूरी होती हो ! जहाँ पढ़ाने के अलावा "शिक्षक" "वोटर आई डी" बनवाने से लेकर "जन-गणना" तक सब करते हो वहां "मिड-डे मील" "खाने" वाली "पीढ़ी" से कौन सी "श्रद्धा" कि "उम्मीद" कि जाये ! वो दिन गए भाई साब,जब "गुरु" अपनी "असीमित आध्यात्मिक" शक्तियों से अपने "शिष्यों" का "कल्याण" करते थे ! आज तो "गुरु" "वायवा" "प्रैक्टिकल" कि अपनी "सीमित" शक्तियों से "शिष्यों" को धमकाते है ! "जिंदगी" कि "महाभारत" में "एकलव्य" का "अंगूठा" मांगने वाले "गुरुओं" कि "कमी" नहीं है !अपना-अपना "नसीब" है भाई साब,जहाँ "युद्ध" के मैदान में भी "अर्जुन" को "ज्ञान" मिल जाता है, वहीँ "सुदामा" कि "अज्ञानता" कहती है "शिक्षक हो सिगरे जग हो,तीय को तुम देत हो शिक्षा...." ! पुरानी धोती,आँख पर चश्मा,हाथ में पतली सी "छपकी" और चेहरे कि झुर्रियों में आने वाली पीढ़ी को "शिक्षा" "ज्ञान" "परम्परा" "संस्कार" देने कि "ललक" वाले "गुरूजी" तो बस "यादों" में "जिंदा" है.... ! "कल्कुलेटर" पर "उंगलियाँ" दौडाते हुए भी.. तख्ती पर स्याही घोंटते,बीस का पहाडा ज़बानी रटता हुआ बचपन एकदम "ताज़ा" है...."ज्ञानी" कौन है,"अज्ञानी" कौन है,ये जानने के लिए "गूगल गुरु" के पास जाकर सर्च करने पर पता चलता है कि "नेट" "ट्विटर" "फेसबुक" पर "ढेर" सारे "शिष्यों" ने लिखा है..."हैप्पी टीचर्स डे" !! आपको भी मुबारक हो....."हैप्पी टीचर्स डे" !!
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