Sunday, March 9, 2014

जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में, हम नहीं है आदमी,हम झुनझुने है !!!



ना जाने क्यों भाई साब, आजकल मनवारह रह कर अवमानना’ करने को लपक रहा है मगर कोई ठोस प्लान’ ना होने की वजह से मजबूर है, इसीलिए अगले ही पल भस्म हुए कामदेव की तर्ज़ पर हिंसा के लिए माफ़ी भी मांग रहा है ! अब ये  फगुनाहट का असरहै या मुल्क की किस्मत”, छिछोरी राजनीति में हर एनडी अपना डीएनए टेस्ट करवाने पर आमादा है ! होरियारो की तरह दूसरों के घर के विकास की भी ताक-झांक कर रहा है, जहाँ मांगने पर वक्त नहीं मिलता है और बिन मांगे चाय मिलती है ! अरे हाँ चाय से याद आया हमारे भूतपूर्व ज़माने में अक्सर मम्मी ने चाय पर बुलाया होता था जिसका बड़ा स्वीट सा एक ही इफेक्ट होता था ! वक्त बदला है अभी  नयी पीढ़ी उसके साइड इफेक्टबता रही है और इस चाय के इफेक्ट को अभी से ब्लाकबस्टर” “करार दे रही है ! खैर साब,जाने भी दीजिए पुरानी कहावत है कि फागुन में बाबा भी देवर बन जाते है ! लोकतंत्रका बिगुल बजते ही हम जैसे मनहूस भी इक अदद वोट में तब्दील हो चुके है ! कोई सोलह सवालो का पुलिंदा उछाल रहा है तो कोई किसी के मुँह पर स्याही ! ये राजनीति है भाई साब, जहाँ हारी हुई मुख्यमंत्री भी राज्यपाल होती है ! जिन्हें देश की फ़िक्र है वो सत्यमेव जयते देख रहे है, जिन्हें नहीं है वो इस समय ये ब्लॉगपढ़ रहे है ! अगला देश की फ़िक्र कराने  के पैसे बना रहा है और आप अपना टैम वेस्ट कर रहे हो ! इतिहास गवाह है कि हम हमेशा छक्को से हारे है ! तभी तो जिस मुल्क में गुलाबी गैंग पर रोक लगे और रागिनी का एमएमएस” “दुबारा बने वहाँ कौन पप्पू है और कौन नपुंसक....कभी दूसरों कि डुगडुगी सुनने से वक्त मिले तो खुद सोच कर देखिएगा...वर्ना हम कितने इंटेलिजेंटऔर खुश है ये बताने के लिए कामेडी नाइट्स है ना....शेर याद आता है.....अब तडपती सी गज़ल,कोई सुनाये, हमसफ़र ऊँघे हुए है,अनमने है !!!!
                     


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