Sunday, October 28, 2012

आज मोहे रघुबर कि सुधि आई.....


कसम केजरीवाल कि भाई साब, मनवा आजकल फूलकर “गड्गरी” हो रहा है ! “बिग-बॉस” के घर में “कमोलिका” कि तरह “चुनरी” लहराता हुआ घूम रहा है, आओ कोई “झूठा” ही सही “दाग” तो लगा दो मगर वो “इच्छा” ही क्या जिसकी “पूर्ती” हो जाये ! “आम-आदमी” कि “किस्मत” भी भारतीय “बल्लेबाजो” के “फॉर्म” की तरह हमेशा “रूठी” ही रहती है ! “दिल” में एक “हूक” सी उठती है, काश “पोल-खोल” के “वीकली एपिसोड” में हमारा “नाम” भी आ जाता, कम से कम रातों-रात “फेमस” तो हो जाता लेकिन वो क्या है कि “गोरेपन” कि “क्रीम’ के “विज्ञापन” में कभी “बालाजी” को “मॉडल” नहीं लिया जाता है ! वैसे भी “आज” के “दौर” में “फेमस” होने के लिए जैसे “करम” करने चाहिए, उसके लिए “जिगर” कि ज़रूरत होती है और “आम-आदमी” के पास “जिगर” कहाँ, अरे जिसके माथे पर “पेट्रोल” के दाम 18 पैसे बढ़ने कि खबर पर “पसीना” छलछला जाता है और “सातवें” सिलिंडर का “दाम” “पतलून” ढीली कर देता है उसे “फेमस” होने का क्या “हक” ! बहरहाल आप परेशान ना हो, “विजयादशमी” बीत चुकी है ! “रावण” के मरने का “भ्रम” हवा में है ! जामवंत,सुग्रीव,नल-नील,अंगद सब को “रामराज्य” में हिस्सा “बंट” रहा है ! नाराज़ “हनुमान” अपनी “पूँछ” में “आग” लगा कर “संसद-मार्ग” पर “धरने” पर बैठ कर “दांत” किटकिटा रहा है और “राम”.....”हम” सब जानते है कि “राम” एक “चरित्र” नहीं, “आदर्श” है और इस “मुल्क” में “आदर्शों” को “अपनाया” नहीं जाता,सिर्फ “पूजा” कि जाती है वो भी “साल” में एक दिन, वैसे भी आज के दौर में “राम” का “साथ” या “राम” का “विरोध” सिर्फ “सत्ता” पाने का मार्ग “मात्र” है खैर......हर साल “राम” “दीपावली” पर “अयोध्या” लौट आते थे लेकिन इस बार “कर्फ्यू” लगा है सो वो “बाहर” खड़े होकर “ढील” का “इंतज़ार” करेंगे या “यहाँ” कि “दुर्दशा देखकर फिर ले लेंगे “दूसरा-वनवास” ! बकौल कैफी आज़मी....पाँव सरयू में अभी राम ने धोए भी न थे, के नज़र आये वहाँ खून के गहरे धब्बे, पाँव धोए बिना राम सरयू के किनारे से उठे, राम ये कहते हुए अपने द्वारे से उठे, आई ना यहाँ कि फिजा रास मुझे, एक बार फिर से मिला “वनवास” मुझे !!!!!! अब “आप” सब “चुप” क्यों हो भाई, रोक लो “राम” को, जो “हमारी” “पहचान” है वर्ना “चुप” रहने कि “कीमत” हमें ही “चुकानी” पड़ेगी....”कुमार गन्धर्व” का “ख़याल” गूँज रहा है...आज मोहे रघुबर कि सुधि आई,आज मोहे रघुबर कि सुधि आई,राम बिना मेरी सूनी अयोध्या,लक्ष्मण बिन ठकुराई....आज मोहे रघुबर कि सुधि आई.....

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