कसम "जगमगाते" चेहरों की भाई साब ! क्या "धमाकेदार" "वर्चुअल" दिवाली है इस बार ! जिसे देखो वही "इको फ्रेंडली" "धमाके" कर रहा है ! वो कहते है ना कि "कोई अंत नहीं है,.मुहब्बत के फ़साने का, सुनाता ही चला जा रहा है,जिसे जो "याद" आ रहा है" ! पटाखे,अनार,चरखी,फुलझड़ी "सब कुछ" तो है यहाँ पर...कोई "रामलीला मैदान" में जमा "चंदे" का "हिसाब" मांग रहा है तो कोई "कश्मीर" पर "बयान" दे रहा है ! वाह रे "मैग्सेसे" फूट डालने से पहले ही "करोड़ों" बच गए ! "अपनी-अपनी" "ढपली" पीटने कि "कोशिश" में "पानी" और "सपरेटा" अलग हो गए ! पुरानी कहावत है "कामयाबी" पा लेना "आसान" है मगर "पचाना" मुश्किल है ! "लक्ष्मीजी" की "सवारी" को "थ्री डी" "चश्मा" पहना देने से भी उसे "दिन" में "दिखाई" नहीं देगा ! कांग्रेस "हिसार" से नहीं "अमेठी" से जीतती है ! ये अलग बात है की "जनसेवा" के लिए "दोहरा" किराया वसूलना "जन-लोकपाल" के दायरे में नहीं आता है ! वैसे भी "नौ" दिन में "नौ" लाख चुकाना "आम आदमी" के "बस" की "बात" भी नहीं है ! वो जानता है की "लक्ष्मी पूजन" वो चाहे "नोयडा-पार्क" में करे या "तिहाड़-जेल" में, उसे तो "रालेगन-सिध्ही" के "प्रधान" की तरह "बैरंग" ही वापस आना है और "अगले" के "पैर" में "चप्पल" भी नहीं है जो "फेंक" कर "विरोध" तो जता ले ! वो तो "बेचारा" इसी में "खुश" है कि बड़े-बड़े "ग्लैमरस" चेहरे रोज़ उससे "वोटर" बनने कि "अपील" कर रहे है ! "मल्टी-नेशनल" कम्पनियां उसीके लिए "टी.वी." "फ्रिज" "एल.सी.डी." "कार" "मोबाईल" पर विशेष "ऑफर" दे रहे है ! वो रात नौ बजे "मास्टर शेफ" के बनते "लज़ीज़ व्यंजन" को "देख-देख" कर "मुग्ध" है और हाँ इस बार दिवाली पर "आम आदमी" खाली हाथ नहीं है...अग्निवेश,रामदेव,दिग्विजय,किरण,प्रशांत,केजरीवाल,शरद पवार,प्रणव......एक से बढ़कर एक "पटाखे" है,बीच-बीच में अडवाणी "फुलझड़ी" भी है ..मै भी पी.एम्....अब आप प्लीज़ त्योहारों के इस "सेलिब्रेशन" में "मनहूस" टाइप कि "पंक्तियाँ" ना सुनाने लगिएगा कि ..."सृजन है अधुरा,अगर विश्व में किसी भी द्वार पर है उदासी ! मनुजता नहीं पूर्ण तब तक,जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी !चलेगा सदा नाश का खेल यूँ ही,भले ही दिवाली यहाँ रोज़ आये, जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना, अँधेरा धरा पर कहीं ना रह जाये" !!!! भूख,अभाव,गरीबी,लाचारी,महंगाई,आम आदमी,बेबसी..... "फारगेट इट"..."इफ यू कैन"....शुभ दीपावली !!!!!!!!!
बहुत भीतर तक चोट लगी सर.
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