आपकी कसम भाई साब, आजकल मनवा एकदम से "नवजोत सिंह सिद्धू" हो रहा है..."ओये गुरु चक दे फट्टे नाप दे गिल्ली,सुबह की जालंधर शाम की दिल्ली...खुद ही देखिये न पूरा मुल्क "उर्मिला मंतोंड़कर" हो रहा है....रुकी रुकी सी जिंदगी,झट से चल पड़ी..."मै भी अन्ना,तू भी अन्ना" से लेकर "गणपति बप्पा मोरिया" और "अनशन" से लेकर"गणपति विसर्जन " तक ! चारो तरफ उत्सव का माहौल है ! जी में आता है मारे ख़ुशी के मै भी अपनी "सम्पति" "सार्वजानिक" कर दूँ मगर करूँ कैसे "नैतिकता" तो सिर्फ "सिविल सोसाईटी" के पास है ऊप्प्पस्स्स्स इससे पहले कि "विशेषाधिकार हनन" की "नोटिस" मिले "अपन" खुद ही "स्टैंडिंग कमेटी" से अपना नाम वापस ले लेते है ! क्या पता "टीम अन्ना" के साथ कौन सा "अग्निवेश" कहाँ, किस "रूप" में खड़ा हो ! वो कहते है ना "अजब देश की गज़ब कहानियां" ! जिसे भी "नोटिस" मिली है,वही गा रहा है " मैया मोरी मै नहीं माखन खायो..." और मुल्क "बेचारा" वो तो "सपरेटा" पी-पी कर बड़ा हुआ है "मीडिया" पर "अतिरंजित" लाइव देख देख कर "खुश" है ! "अकलमंदी" इसी में है कि "महाभियोग" साबित होने के पहले ही "इस्तीफा" दे दो तो सारी "सरकारी" सुविधाएँ बहाल रहती है वर्ना "मानद डिग्री" पाने के बाद भी "घटिया" खेलने के लिए "गधा" सुनना ही पड़ेगा ! वैसे भी "मुल्क" में आजकल दो ही चीज़ "चर्चा" में है...पहला "अनशन" दूसरा "विशेषाधिकार हनन" ...अरे हाँ देखिये "....नन" से "याद" आ गए अपने आदरणीये "डॉ.राधा कृष्णन" ! "शिक्षक दिवस" है, यानि "गुरुओं" के प्रति अपनी "श्रद्धा" व्यक्त करने का "दिन" मगर "अनशन" के बाद "दिल्ली" से अकेले "रालेंगाँव सिद्धि" जाते "अन्ना" को देख कर "कनफ्यूज " हूँ कि किसे "गुरु" मानूं और किसे " गुरु घंटाल" ! वैसे भी जिस मुल्क में "थैले" में लाये "सब्जी" से "थीसिस" पूरी होती हो ! जहाँ पढ़ाने के अलावा "शिक्षक" "वोटर आई डी" बनवाने से लेकर "जन-गणना" तक सब करते हो वहां "मिड-डे मील" "खाने" वाली "पीढ़ी" से कौन सी "श्रद्धा" कि "उम्मीद" कि जाये ! वो दिन गए भाई साब,जब "गुरु" अपनी "असीमित आध्यात्मिक" शक्तियों से अपने "शिष्यों" का "कल्याण" करते थे ! आज तो "गुरु" "वायवा" "प्रैक्टिकल" कि अपनी "सीमित" शक्तियों से "शिष्यों" को धमकाते है ! "जिंदगी" कि "महाभारत" में "एकलव्य" का "अंगूठा" मांगने वाले "गुरुओं" कि "कमी" नहीं है !अपना-अपना "नसीब" है भाई साब,जहाँ "युद्ध" के मैदान में भी "अर्जुन" को "ज्ञान" मिल जाता है, वहीँ "सुदामा" कि "अज्ञानता" कहती है "शिक्षक हो सिगरे जग हो,तीय को तुम देत हो शिक्षा...." ! पुरानी धोती,आँख पर चश्मा,हाथ में पतली सी "छपकी" और चेहरे कि झुर्रियों में आने वाली पीढ़ी को "शिक्षा" "ज्ञान" "परम्परा" "संस्कार" देने कि "ललक" वाले "गुरूजी" तो बस "यादों" में "जिंदा" है.... ! "कल्कुलेटर" पर "उंगलियाँ" दौडाते हुए भी.. तख्ती पर स्याही घोंटते,बीस का पहाडा ज़बानी रटता हुआ बचपन एकदम "ताज़ा" है...."ज्ञानी" कौन है,"अज्ञानी" कौन है,ये जानने के लिए "गूगल गुरु" के पास जाकर सर्च करने पर पता चलता है कि "नेट" "ट्विटर" "फेसबुक" पर "ढेर" सारे "शिष्यों" ने लिखा है..."हैप्पी टीचर्स डे" !! आपको भी मुबारक हो....."हैप्पी टीचर्स डे" !! it is well said ki"khalli dimag shaitan ka ghar"but sometime yahi shitani kuch aaise khurafato ko janm de deti hai jinka koi jawab nahi hota...fursat k unhi lamho me kuch khurafato ka pratiphal hai "fursatnama"...
Sunday, September 4, 2011
आपको भी मुबारक हो....."हैप्पी टीचर्स डे" !!
आपकी कसम भाई साब, आजकल मनवा एकदम से "नवजोत सिंह सिद्धू" हो रहा है..."ओये गुरु चक दे फट्टे नाप दे गिल्ली,सुबह की जालंधर शाम की दिल्ली...खुद ही देखिये न पूरा मुल्क "उर्मिला मंतोंड़कर" हो रहा है....रुकी रुकी सी जिंदगी,झट से चल पड़ी..."मै भी अन्ना,तू भी अन्ना" से लेकर "गणपति बप्पा मोरिया" और "अनशन" से लेकर"गणपति विसर्जन " तक ! चारो तरफ उत्सव का माहौल है ! जी में आता है मारे ख़ुशी के मै भी अपनी "सम्पति" "सार्वजानिक" कर दूँ मगर करूँ कैसे "नैतिकता" तो सिर्फ "सिविल सोसाईटी" के पास है ऊप्प्पस्स्स्स इससे पहले कि "विशेषाधिकार हनन" की "नोटिस" मिले "अपन" खुद ही "स्टैंडिंग कमेटी" से अपना नाम वापस ले लेते है ! क्या पता "टीम अन्ना" के साथ कौन सा "अग्निवेश" कहाँ, किस "रूप" में खड़ा हो ! वो कहते है ना "अजब देश की गज़ब कहानियां" ! जिसे भी "नोटिस" मिली है,वही गा रहा है " मैया मोरी मै नहीं माखन खायो..." और मुल्क "बेचारा" वो तो "सपरेटा" पी-पी कर बड़ा हुआ है "मीडिया" पर "अतिरंजित" लाइव देख देख कर "खुश" है ! "अकलमंदी" इसी में है कि "महाभियोग" साबित होने के पहले ही "इस्तीफा" दे दो तो सारी "सरकारी" सुविधाएँ बहाल रहती है वर्ना "मानद डिग्री" पाने के बाद भी "घटिया" खेलने के लिए "गधा" सुनना ही पड़ेगा ! वैसे भी "मुल्क" में आजकल दो ही चीज़ "चर्चा" में है...पहला "अनशन" दूसरा "विशेषाधिकार हनन" ...अरे हाँ देखिये "....नन" से "याद" आ गए अपने आदरणीये "डॉ.राधा कृष्णन" ! "शिक्षक दिवस" है, यानि "गुरुओं" के प्रति अपनी "श्रद्धा" व्यक्त करने का "दिन" मगर "अनशन" के बाद "दिल्ली" से अकेले "रालेंगाँव सिद्धि" जाते "अन्ना" को देख कर "कनफ्यूज " हूँ कि किसे "गुरु" मानूं और किसे " गुरु घंटाल" ! वैसे भी जिस मुल्क में "थैले" में लाये "सब्जी" से "थीसिस" पूरी होती हो ! जहाँ पढ़ाने के अलावा "शिक्षक" "वोटर आई डी" बनवाने से लेकर "जन-गणना" तक सब करते हो वहां "मिड-डे मील" "खाने" वाली "पीढ़ी" से कौन सी "श्रद्धा" कि "उम्मीद" कि जाये ! वो दिन गए भाई साब,जब "गुरु" अपनी "असीमित आध्यात्मिक" शक्तियों से अपने "शिष्यों" का "कल्याण" करते थे ! आज तो "गुरु" "वायवा" "प्रैक्टिकल" कि अपनी "सीमित" शक्तियों से "शिष्यों" को धमकाते है ! "जिंदगी" कि "महाभारत" में "एकलव्य" का "अंगूठा" मांगने वाले "गुरुओं" कि "कमी" नहीं है !अपना-अपना "नसीब" है भाई साब,जहाँ "युद्ध" के मैदान में भी "अर्जुन" को "ज्ञान" मिल जाता है, वहीँ "सुदामा" कि "अज्ञानता" कहती है "शिक्षक हो सिगरे जग हो,तीय को तुम देत हो शिक्षा...." ! पुरानी धोती,आँख पर चश्मा,हाथ में पतली सी "छपकी" और चेहरे कि झुर्रियों में आने वाली पीढ़ी को "शिक्षा" "ज्ञान" "परम्परा" "संस्कार" देने कि "ललक" वाले "गुरूजी" तो बस "यादों" में "जिंदा" है.... ! "कल्कुलेटर" पर "उंगलियाँ" दौडाते हुए भी.. तख्ती पर स्याही घोंटते,बीस का पहाडा ज़बानी रटता हुआ बचपन एकदम "ताज़ा" है...."ज्ञानी" कौन है,"अज्ञानी" कौन है,ये जानने के लिए "गूगल गुरु" के पास जाकर सर्च करने पर पता चलता है कि "नेट" "ट्विटर" "फेसबुक" पर "ढेर" सारे "शिष्यों" ने लिखा है..."हैप्पी टीचर्स डे" !! आपको भी मुबारक हो....."हैप्पी टीचर्स डे" !!
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hehehe....bhaiya ab to anna wali civil society ko bakhs dijiye
ReplyDeleteवाह मिश्रा जी क्या उम्दा लिखा है, अभी तो अन्ना की टीम में और भी "अग्निवेश" निकलेंगे, रही गुरु-शिष्य परंपरा की बात तो अब गुरु वायवा और प्रक्टिकल की अपनी सीमित शक्तियों से अपने शिष्यों को धमकाते ही नहीं है बल्कि गुरुदाक्ष्ना के रूप में विटामिन "ऍम" लेते है और आज कल के शिष्य भी कम नहीं है जो अपने गुरु को गुरुदाक्ष्ना में देते है "बीप... बीप.... बीप..... बीप..... बीप......"
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