सच में भाई साब,इस "मौसम" में मुझे तो हर "तांगेवाली" "बसंती" नज़र आने लगती है ! यू नो, ये "मौसम" का "जादू" है "मितवा"......."मनवा" रह-रहकर "सलमान रुश्दी" की तरह "लन्दन" से ही "ट्विट" करके "जयपुर" की "महफ़िल" के "मज़े" लूटने लगता है ! "दिल" के "अरमाँ" "सन्यास" छोड़कर "पार्टी" में वापस आई "उमा भारती" की तरह "लम्बी-लम्बी" छोड़ने लगता है !" कसम" से जिसे देखो वही "बौराया-बौराया" सा लगता है ! इस बार तो "माहौल" में "मादकता" के साथ-साथ "आचार संहिता" भी घुली है ! "मधुमास" है तो भी "फूलों" का खिलना मना है,मगर "चुनाव" है इसलिए "बबूल " से लेकर "नागफनी" तक सब "मुस्कुरा" रहे है ! "कामदेव" तो आ गए है मगर "बाण" नहीं चलाएंगे, हाँ "सुशासन" वाले "मंत्री" हाथ "काटने" की "धमकी "ज़रूर" दे रहे है ! "अन्ना" की "सेहत" पर "चिंता" के बजाये "योगगुरु" "पद्म पुरस्कारों" पर " सवाल खड़े कर रहे है ! वैसे भी जितना विश्वसनीय "योग" है,उतना "योगगुरु" नहीं ! इस "ऋतू" में "पीला" "पहनने" की "प्रथा" है,इसलिए "हाथी" तक "पीला" "पोलीथिन" लपेट कर "बसंती" हो गया है ! "बच्चन" की "अग्निपथ" पर "कांचा-चीना" हावी है ! "कमिश्नर" की "फटकार" पर "इस्तीफा" हावी है !"होलिका-बुआ" के "चौराहे" पर "गड़ते" ही "भाई-लोग" "गणतंत्र" दिवस की "परेड" पर देखे गए "मिलेट्री" के "जांबाज़" "कारनामो" को भुला कर "उनकी" "कैंटीन" का पता "ढूंढने" में लगे है ! कोई "क्लीन स्वीप" के नाम पर "गम" गलत करने का "बहाना" ढूंढे है तो कोई "विराट" के "इकलौते शतक" और "इशांत" के "इकलौते विकेट" का "जश्न" मनाने को "बेताब" है ! इस बार "जयपुर" ने बता दिया है की "साहित्य" में अब "प्रगतिवाद" "आदर्शवाद" "छायावाद" की जगह सिर्फ "विवाद" बचा है ! अगले "महीने" सब "साफ़" हो जायेगा कि "किसका" मुहँ "काला" होगा और किसका "लाल".....मगर आप "टेंशन" ना लो, "उत्तराखंड" में "चुनाव प्रचार" ख़त्म हो चूका है,"मणिपुर" में "मतदान" हो चुका है,"अन्ना" सेहत ख़राब होने की वजह से नहीं गए,रहा सवाल उनकी "टीम" का तो "उनकी" तो "दूध-भात" ....वैसे भी जिस "मुल्क" में "पीलेपन" का मतलब सिर्फ "बसंती" "नवजीवन" का "उल्लास" ही नहीं ,बल्कि "जांडिस" भी होता हो, वहां "भ्रष्टाचार" "चुनाव" का नहीं,"आन्दोलन" का "मुद्दा" होता है..........माफ़ कीजियेगा भाई साब, "पहले" ही कह चूका हूँ कि "आज-कल" कुछ "बौराया-बौराया" सा हूँ ! इसके पहले कि आप भी "बौरा" जाओ,"बसंती मूड" में भाई "रफीक शादानी" कि एक "अवधी" रचना" "उछाल" रहा हूँ...संभालियेगा.... नेता लोगे घुमै लागे,अपनी-अपनी जजमानी मा ! उठौ कहिलऊ,छोरौ खिचड़ी, हाथ मारो बिरयानी मा !! इहई वार्ता होति रही कल,रामदास-रमजानी मा ! दूध कई मटकी धरेउ न भईया, बिल्ली के निगरानी मा !! it is well said ki"khalli dimag shaitan ka ghar"but sometime yahi shitani kuch aaise khurafato ko janm de deti hai jinka koi jawab nahi hota...fursat k unhi lamho me kuch khurafato ka pratiphal hai "fursatnama"...
Sunday, January 29, 2012
ये "मौसम" का "जादू" है "मितवा".....
सच में भाई साब,इस "मौसम" में मुझे तो हर "तांगेवाली" "बसंती" नज़र आने लगती है ! यू नो, ये "मौसम" का "जादू" है "मितवा"......."मनवा" रह-रहकर "सलमान रुश्दी" की तरह "लन्दन" से ही "ट्विट" करके "जयपुर" की "महफ़िल" के "मज़े" लूटने लगता है ! "दिल" के "अरमाँ" "सन्यास" छोड़कर "पार्टी" में वापस आई "उमा भारती" की तरह "लम्बी-लम्बी" छोड़ने लगता है !" कसम" से जिसे देखो वही "बौराया-बौराया" सा लगता है ! इस बार तो "माहौल" में "मादकता" के साथ-साथ "आचार संहिता" भी घुली है ! "मधुमास" है तो भी "फूलों" का खिलना मना है,मगर "चुनाव" है इसलिए "बबूल " से लेकर "नागफनी" तक सब "मुस्कुरा" रहे है ! "कामदेव" तो आ गए है मगर "बाण" नहीं चलाएंगे, हाँ "सुशासन" वाले "मंत्री" हाथ "काटने" की "धमकी "ज़रूर" दे रहे है ! "अन्ना" की "सेहत" पर "चिंता" के बजाये "योगगुरु" "पद्म पुरस्कारों" पर " सवाल खड़े कर रहे है ! वैसे भी जितना विश्वसनीय "योग" है,उतना "योगगुरु" नहीं ! इस "ऋतू" में "पीला" "पहनने" की "प्रथा" है,इसलिए "हाथी" तक "पीला" "पोलीथिन" लपेट कर "बसंती" हो गया है ! "बच्चन" की "अग्निपथ" पर "कांचा-चीना" हावी है ! "कमिश्नर" की "फटकार" पर "इस्तीफा" हावी है !"होलिका-बुआ" के "चौराहे" पर "गड़ते" ही "भाई-लोग" "गणतंत्र" दिवस की "परेड" पर देखे गए "मिलेट्री" के "जांबाज़" "कारनामो" को भुला कर "उनकी" "कैंटीन" का पता "ढूंढने" में लगे है ! कोई "क्लीन स्वीप" के नाम पर "गम" गलत करने का "बहाना" ढूंढे है तो कोई "विराट" के "इकलौते शतक" और "इशांत" के "इकलौते विकेट" का "जश्न" मनाने को "बेताब" है ! इस बार "जयपुर" ने बता दिया है की "साहित्य" में अब "प्रगतिवाद" "आदर्शवाद" "छायावाद" की जगह सिर्फ "विवाद" बचा है ! अगले "महीने" सब "साफ़" हो जायेगा कि "किसका" मुहँ "काला" होगा और किसका "लाल".....मगर आप "टेंशन" ना लो, "उत्तराखंड" में "चुनाव प्रचार" ख़त्म हो चूका है,"मणिपुर" में "मतदान" हो चुका है,"अन्ना" सेहत ख़राब होने की वजह से नहीं गए,रहा सवाल उनकी "टीम" का तो "उनकी" तो "दूध-भात" ....वैसे भी जिस "मुल्क" में "पीलेपन" का मतलब सिर्फ "बसंती" "नवजीवन" का "उल्लास" ही नहीं ,बल्कि "जांडिस" भी होता हो, वहां "भ्रष्टाचार" "चुनाव" का नहीं,"आन्दोलन" का "मुद्दा" होता है..........माफ़ कीजियेगा भाई साब, "पहले" ही कह चूका हूँ कि "आज-कल" कुछ "बौराया-बौराया" सा हूँ ! इसके पहले कि आप भी "बौरा" जाओ,"बसंती मूड" में भाई "रफीक शादानी" कि एक "अवधी" रचना" "उछाल" रहा हूँ...संभालियेगा.... नेता लोगे घुमै लागे,अपनी-अपनी जजमानी मा ! उठौ कहिलऊ,छोरौ खिचड़ी, हाथ मारो बिरयानी मा !! इहई वार्ता होति रही कल,रामदास-रमजानी मा ! दूध कई मटकी धरेउ न भईया, बिल्ली के निगरानी मा !!
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