सब "
वक़्त -
वक़्त "
की "
बात "
है भाई साब ,
देखिये न अभी "
कल "
की ही "
बात "
लगती है जब 2011
ने "
इतने "
ही "
धूम -
धाम "
से "
शपथ ग्रहण "
की थी और आज बेचारा "
बर्खास्त मंत्री "
की तरह "
हाशिये "
पर पड़ा "
लोकायुक्त "
की "
रिपोर्ट "
को "
निहार "
रहा है !
अच्छा ये "
वक़्त "
भी ना ,
बिलकुल "
अन्ना "
के "
अनशन "
की "
तरह "
है ...."
उम्मीद "
के "
मुताबिक "
भीड़ जुटी नहीं ......
सो "
वक़्त "
से पहले ही "
ख़त्म ' ! "
ख़त्म "
तो "
वक़्त "
से पहले "
मेलबोर्न टेस्ट "
भी हो गया ,
जहाँ हम "
महाशतक "
और "
जीत "
की "
उम्मीद "
लगाये थे !
अब प्लीज़ ,"
साल "
का "
पहला दिन "
है ,"
हिसाब -
किताब "
करने दीजिये ना ,
वैसे भी "
साल "
के "
पहले दिन " "
उपलब्धियों "
और "
श्रधान्जलियों "
का "
जोड़ -
घटाना "
करने के बाद ही हम "
हैप्पी न्यू इयर "
कहते है .......
उस पर "
तुर्रा "
ये कि ये साल "
राष्ट्रिय गणित वर्ष "
घोषित है सो "
हिसाब -
किताब "
तो बनता है भाई साब .....
एनी वे बात "
नए साल "
की ......"
कोलावारी -
डी "
से लेकर "
कमज़ोर -
मजबूत "
कि "
धुन "
पर "
नाचते -
गाते "
हर "
विद्या बालन "
और "
भप्पी लाहिरी "
ने खुद को "
रणवीर " "
कैटरीना "
समझते हुए "
बीते साल "
को "
विदाई "
तो दी मगर "
नए साल "
कि "
सुबह "
तो "
राज्यसभा "
सी निकली ......."
खुशियों "
के "
जश्न "
को मनाने कि "
उम्मीदों "
पर "
ठाणे "
का "
पानी "
फिर गया ,
वो तो भला हो "
सरकार "
और "
सिविल सोसाईटी "
में से "
किसी "
ने भी इसे "
देश "
के साथ "
धोखा "
नहीं कहा वर्ना बेचारा "
आम -
आदमी " "
बेवजह "
एक बार फिर "
खुद "
को "
ठगा "
हुआ "
महसूस "
करता ....
वैसे भी इस "
मुल्क "
में "
आम आदमी "
बेचारा कहाँ "
बचा "
ही है ,
वो तो "
भ्रष्टाचार "
और "
अनशन "
वाले "
खेमों "
में बँट चुका है !
अब उसका ध्यान "
महंगाई "
पर नहीं "
देश "
में "
काला -
धन "
वापस लाने के "
तरीके "
पर "
ज्यादा "
रहता है ! "
सरकार "
कि "
प्रतिबद्धता "
और "
विपक्ष "
के "
चीरहरण "
जैसे "
जुमले उसे "
मुग्ध "
करते है ....."
ऊलाला ऊलाला "
से लेकर "
चिकनी चमेली "
तक सब कुछ "
भव्य "
है !
चुनाव घोषित हो गए है ...
अब ये "
भव्यता " "
आम आदमी "
के "
सपनो "
में और भी "
रंग "
भरेगी और फिर से हमारा "
वोट " "
पार्टी "
को ही पड़ेगा ....
क्योंकि "
ईमानदारी "
तो "
आलरेडी "
हमारे पास है ही ....
वही "
दस "
से "
पाँच "
की "
नौकरी ", "
बच्चों की फीस " "
माँ की दवाई " "
घर का राशन " .......
वैसे भी "
ईमानदारी "
जीत जाएगी तो "
अनशन "
का क्या होगा ,
कम से कम "
भूखा रहना अब "
इलीट " "
फील "
तो देता है .......
आप मस्त रहिये भाई साब ,naya
साल है ....
मत समझाइए की "
अन्न " "
धरती माँ "
को "
बचाने "
से मिलेगा "
खाद्यान्न बिल "
लाने से नहीं ...
ये वो "
मुल्क "
है भाई साब जहाँ के लिए सिर्फ "
नीरजजी "
की "
पंक्तियाँ "
सटीक लगती है .......
जागते रहिये ,
जागते रहिये ,
मेरी आवाज़ में आवाज़ मिलाते रहिये !!
यूँ तो भूखा रहने को भी तैयार है मेरा वतन ,
आप उन्हें परियों के ख्वाब दिखाते रहिये !!!!!
नव -
वर्ष की मंगलकामनाएं !!!!!!!!!!!!
saarthak lekhan ke liye badhai....
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