Monday, January 2, 2012

......आप उन्हें परियों के ख्वाब दिखाते रहिये

सब "वक़्त-वक़्त" की "बात" है भाई साब, देखिये अभी "कल" की ही "बात" लगती है जब 2011 ने "इतने" ही "धूम -धाम" से "शपथ ग्रहण" की थी और आज बेचारा "बर्खास्त मंत्री" की तरह "हाशिये" पर पड़ा "लोकायुक्त" की "रिपोर्ट" को "निहार" रहा है ! अच्छा ये "वक़्त" भी ना, बिलकुल "अन्ना" के "अनशन" की "तरह" है...."उम्मीद" के "मुताबिक" भीड़ जुटी नहीं......सो "वक़्त" से पहले ही "ख़त्म' ! "ख़त्म" तो "वक़्त" से पहले "मेलबोर्न टेस्ट" भी हो गया,जहाँ हम "महाशतक" और "जीत" की "उम्मीद" लगाये थे ! अब प्लीज़,"साल" का "पहला दिन" है ,"हिसाब-किताब" करने दीजिये ना, वैसे भी "साल" के "पहले दिन" "उपलब्धियों" और "श्रधान्जलियों" का "जोड़-घटाना" करने के बाद ही हमहैप्पी न्यू इयर" कहते है .......उस पर "तुर्रा" ये कि ये साल "राष्ट्रिय गणित वर्ष" घोषित है सो "हिसाब -किताब" तो बनता है भाई साब.....एनी वे बात "नए साल" की ......"कोलावारी-डी" से लेकर "कमज़ोर-मजबूत" कि "धुन" पर "नाचते-गाते" हर "विद्या बालन" और "भप्पी लाहिरी" ने खुद को "रणवीर" "कैटरीना" समझते हुए "बीते साल" को "विदाई" तो दी  मगर "नए साल" कि "सुबह" तो "राज्यसभा" सी निकली ......."खुशियों" के "जश्न" को मनाने कि "उम्मीदोंपर "ठाणे" का "पानी" फिर गया ,वो तो भला हो "सरकार" और "सिविल सोसाईटी" में से "किसी" ने भी इसे "देश" के साथ "धोखा" नहीं कहा वर्ना बेचारा "आम-आदमी" "बेवजह" एक बार फिर "खुद" को "ठगा" हुआ "महसूस" करता ....वैसे भी इस "मुल्क" में "आम आदमी" बेचारा कहाँ "बचा" ही है, वो तो "भ्रष्टाचार" और "अनशन" वाले "खेमों" में बँट चुका है !अब उसका ध्यान  "महंगाई" पर नहीं "देश" में "काला-धन" वापस लाने के "तरीके" पर "ज्यादा" रहता है ! "सरकार" कि "प्रतिबद्धता" और "विपक्ष" के "चीरहरण" जैसे "जुमले उसे "मुग्ध" करते है ....."ऊलाला ऊलाला" से लेकर "चिकनी चमेली" तक सब कुछ "भव्य" है ! चुनाव घोषित हो गए है...अब ये "भव्यता" "आम आदमी" के "सपनो" में और भी "रंग" भरेगी और फिर से हमारा "वोट" "पार्टी" को ही पड़ेगा....क्योंकि "ईमानदारी" तो "आलरेडी" हमारे पास है ही....वही "दस" से "पाँच" की "नौकरी", "बच्चों की फीस" "माँ की दवाई" "घर का राशन" .......वैसे भी "ईमानदारी" जीत जाएगी तो "अनशन" का क्या होगा,कम से कम "भूखा रहना अब "इलीट" "फील" तो देता है.......आप मस्त रहिये भाई साब ,naya साल है....मत समझाइए की "अन्न" "धरती माँ" को "बचाने" से मिलेगा "खाद्यान्न बिल" लाने से नहीं ...ये वो "मुल्क" है भाई साब जहाँ के लिए सिर्फ "नीरजजी" की "पंक्तियाँ" सटीक लगती है ....... जागते रहिये,जागते रहिये, मेरी आवाज़ में आवाज़ मिलाते रहिये !! यूँ तो भूखा रहने को भी तैयार है मेरा वतन, आप उन्हें परियों के ख्वाब दिखाते रहिये !!!!! नव-वर्ष की मंगलकामनाएं !!!!!!!!!!!!             

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