भाई साब "सच" कहूँ तो अपने "देसी ब्वायज" का कोई "मुकाबला" नहीं, खालिस "मौलिक प्रतिभा" कूट-कूट कर भरी है ! देखा नहीं "फूलपुर" के "अंधेर नगरी" से "फुलप्रूफ" नहीं बल्कि ऐसा "फूल" बयान दिया कि पूरा "माहौल" "बिग-बॉस" हो गया ! जिसे देखो वही "यात्रा" रोक-रोक कर "प्रतिक्रिया" दे रहा है और "जो" नहीं दे रहा है वो "कैमरा" देखते ही "रोने" लग रहा है,अब वो चाहे "साप्ताहिक कार्य" हो या "आपका फरमान" ! "यू.पी. की दशा" हो या "96 वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल" ...ये "आंसू" ही मेरे "दिल" की "जुबान" है........ एंड एज यूजुअल "आम आदमी" बेचारा "हमेशा" की तरह "लुटा-पिटा" "हताश" सोच रहा है कमबख्त "आंसू" भी अब "इलीट" हो गए है बिना "कैमरा" देखे "आते" ही नहीं है,"कैमरा" देखा नहीं की "जिसकी" देखो "उसकी" "आत्मा" "कुरते" के नीचे से "डाइव" मार कर "बाहर" आ जाती है और "आंसू" लगे "बहने".......यहाँ तक तो "ठीक" था भाई साब, मगर "खबर" पढ़ता हूँ की "ग्लोबल एम्प्लाई इंगेजमेंट इंडेक्स" ने अपने "सर्वे" मे पाया की "वफ़ादारी" में "भारतीय कर्मचारी" सबसे "आगे" है...... "शीतकालीन सत्र" से पहले ऐसा "सर्वे".......इसे कहते है कि "गाँव बसा नहीं,कुत्ते पहले रो दिए".....कसम से "तबियत" "भन्ना" गयी "अपनी"..."जी" में आया की "इसको" भी "कोर-कमेटी" में "भर्ती" करवा दूँ, क्या हुआ जो "अगले" ने "ब्लॉग" बंद कर दिया कम से कम "बयानों" पर "ना-इत्तफाकी" का "सिलसिला" तो "जारी" रहेगा,"बजता" रहे "बैकग्राउंड" में "गाना"..."ओये "राजू" प्यार मत करियो,"दिल" "टूट" जाता है....." मगर क्या करियेगा भाई साब, अपना "मुल्क" है ही ऐसा, "पेट्रोल" के "दाम" "आठ आने" बढे नहीं कि "सरकार" से "समर्थन" वापसी कि "धमकी", "हो-हल्ला","जनता से हमदर्दी का स्वांग" सब कुछ और "पौने दो रुपया" "कम" हुआ तो "कुछ नहीं", सिर्फ "सन्नाटा"......! बाहर जितना भी "बीप" "बीप" करो, "घर" के "अन्दर" आते ही "पैर पकड़ कर माफ़ी मांगने" कि बात करने लगो, और अगला "वक़्त" आने पर "विचार" करने का "आश्वासन" दे दे बस "इतना" ही काफी है .... वैसे भी "मोम" का "पुतला" अब सिर्फ "तुसाद" के "म्यूजियम" में ही नहीं "रालेगन" में भी "बनता" है !!! एनी वे "मौसम" बदल रहा है..."घना" "कोहरा" छाया है..."ठंढ" भी "बढ़" गयी है लेकिन इस बार "गर्मी" लाने के लिए "चौराहों" पर "अलाव" नहीं, "ड्राइंग-रूम" में "सनी लिओने" "उपस्थित" है ! "कमीने","रास्कल","डर्टी पिक्चर" "आज" के "दौर" का "सौन्दर्यशास्त्र" है ! अब "फूलों" कि "दुनिया" में "राधा-कृष्ण" कि "फूलों कि होली" भला "कोई" क्यों "देखेगा"...सुना है कि "यू.पी." के "चार" टुकड़े होने वाले है....ही ही ही जाने क्यों भाई साब एक "पुराना गाना" याद आ रहा है...सुनाता हूँ ..मगर "संभल" कर "रिमिक्स वेर्जन" है.....अभी अभी किया है ज़रा "गौर" से सुनियेगा....इस "दिल" के "टुकड़े" कई "थाउजेंट" हुए, वन "हिअर" गिरा,वन "देयर" गिरा........वन "हिअर" गिरा,वन "देयर" गिरा........वन "हिअर" गिरा,वन "देयर" गिरा.......
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