Sunday, July 3, 2011

हम "बोलेगा" तो "बोलोगे" कि "बोलता" है....

कसम "संप्रग" सरकार की भाई साब, सच सच बताइयेगा की वो कौन है जो "मैडम" का "समर्थन" नहीं लेता है ! "उनकी" छोडिये जिनके पास "फैसिलिटी" है,जिनके "पास" नहीं है "वो" भी "किसी" न "किसी" "मैडम" का "समर्थन" तलाश करते "मिल" ही जायेंगे ! अब "आप" ही "बताइए" अगर "अगले" ने "कह" ही दिया कि "मेरी व्यक्तिगत राय है कि "लोकपाल"  के "दायरे" में आना चाहिए" तो इतनी हाय तौबा क्यों ? भाई सही है "मैडम" कि "मैडम" ही जाने.....मगर नहीं जिनकी "अपने" "घर" में भी "मैडम" के सामने "नहीं" चलती है वो भी "फडफडा" रहे है सिर्फ पांच के सामने क्यों बोले? लो कर लो बात पार्टी का निशान है "पंजा" सो पांच के सामने ही तो बोलेंगे ! वैसे भी "इम्पोर्टेंट" ये है कि बोले तो....लेकिन "प्रॉब्लम" तो "ये" है कि आपको भी "आईसीसी" कि तर्ज़ पर "आपत्ति" है कि "रनर" नहीं मिलेगा... अब "बोल" कर दिखाओ "मै" हूँ मज़बूत "प्रधानमंत्री" ! अब "समझ" में आ रहा है भाई साब अगला "चुप" क्यों रहता है क्योंकि  बकौल "प्राण साब" हम "बोलेगा" तो "बोलोगे" कि "बोलता" है....एनी वे "डोपिंग" में फंसा हर "खिलाडी" कहता है कि वो "निर्दोष" है ! अरे जिस "मुल्क" में "जाति" के "आधार" पर "जनगणना" हो      वहां 300 "टुकड़े"  करने वाली "मा-रिया" को "हिरोइन" बनाया ही जायेगा! सुना नहीं आपने "पुरुलिया" के दोषी का "प्रत्यर्पण" "डेनमार्क" इसलिए नहीं करेगा कि भारतीय "जेलों" कि हालत "खस्ता" है ! ये तो वही बात हुई "वन-महोत्सव" पर हर साल "लाखों" पेड़ लगाये जाते है मगर "वो" जाते कहाँ है,"नहीं" पता ! कसम " एंग्रीओल्ड  मैन" कि "जी" में आया कह ही दूँ  "बुड्ढा होगा तेरा बाप" मगर वो कहते है ना "पवित्र रथ " के आगे "झाड़ू" लगाते रहो उधर "दंगों" से जुड़े "कागजात" "नष्ट" हो जायेंगे !आप "डी.के.बोस" गाते रहो, लोकपाल पर मतभेद जारी रहेगा ! डीज़ल-पेट्रोल के दाम बढ़ते रहेंगे !हम हर दिन "दस" से "पांच' कि "चक्की" में पिसते रहेंगे ! बहुत कुछ "हम" पीछे 'छोड़ते" जायेंगे,बहुत कुछ "हमें" पीछे "छोड़ता" जायेगा...देखा नहीं आपने कितनी "ख़ामोशी" से "चवन्नी" चली गयी और "साथ" में ले गयी "शगुन" में "सवाया" का हमारा "संस्कार"...चूरन कि पुडिया,बेर-इमली का पैकेट,पांच लेमनजूस,पांच गोलगप्पे,आलू की टिकिया.....दरअसल वो "चवन्नी" नहीं पूरी एक "पीढ़ी" का "बचपन" थी जो "चली" तो गयी मगर "जिंदा" है उस "पीढ़ी" की "यादों" में,"संवेदनाओं" में,"ज़ज्बातों" में.....! नया "सत्र" शुरू हो गया है ! "बारिश" की ताज़ी "बूंदों" के साथ "स्कूल" की "ड्रेस" में एक नयी पीढ़ी "चहचहाती" हुई हर "सुबह" "रास्तों" को "गुलज़ार" कर रही है! "जिंदगी" के "मसले" तो अपनी "जगह" रहेंगे ही "आइये" इनके साथ "हम" भी "जिंदगी" को "जी" लें...."बूंदों" का बना "प्यारा" सा "समंदर", "लहरों" से "भीगी" छोटी सी "बस्ती" ! चलो "ढूंढे" "बारिश" में "बचपन", "हाथ" में लेकर, "कागज़" की "कश्ती' !!!!           

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