तो भाई साहब!खा लिया भरपेट "खिचड़ी?"इस बार तो दो दिन लगातार खाई होगी,अब ये अलग बात है की "डकार" लेने के पहले ही "ढाई रुपये की बढ़ोतरी" सुनकर मुंह "खुला का खुला" ही रह गया होगा!इसे कहते है"महंगाई की खिचड़ी में पेट्रोल का तड़का"!अभी समझ में आ रहा है "भीष्म पितामह"ने "उत्तरायण "में प्राण क्यों त्यागे थे,अरे ये ही दिन दिखाना था तो "दक्षिणायन"क्या बुरा था!वैसे भाई साहब एकबात तो है, "उत्तरायण" हो या "दक्षिणायन"अपनी तो नैया है "राम" के "भरोसे"......"राम" बोले तो "पुरुषो में उत्तम" यानि "पुरुषोत्तम"!कसम मीडिया की भाई साहब,अगला "जेल" में है और "सबसे पहले का खुलासा" करने की "पतंग" हर "चैनल" पर उड़ रही है!पुरानी कहावत है,किस्मत ख़राब हो तो "ऊंट" पे बैठ के बाज़ार निकलो फिर भी "कुत्ता" काट लेता है,और अगर "किस्मत" तेज़ हो तो"मुनाफ"को भी एक "ओवर" में "दो विकेट" मिल जाते है और "हारी" हुई बाज़ी"रोमांचक" "जीत"हो जाती है वर्नाआपको तो पता ही है इस मुल्क में "गैर जमानती वारेंट" जारी होने पर भी "जज" न्यायलय में हाजिर नहीं होते!दिव्या,शीलू,शशि,आरुषि.....ये सिर्फ नाम नहीं भाई साहब हमारी व्यवस्था के वो चेहरे है जहाँ 'पुरुषोत्तम"और"आनंद"के नए "मायने" सामने आते है!अपने काग्रेसी "युवराज" कहा करे "जुगाड़"व्यवस्था बदलनी होगी लेकिन ऐसी "आदर्श सोसाइटी" का "सपना" ,"सपना" ही रह जाता है,"आबंटन" उन्ही का होता है जिनका "जुगाड़" होता हैऔर अगर जुगाड़ फ़ैल तो बिल्डिंग ध्वस्त........!
आपने सुना नहीं बयान, की "महंगाई" इस लिए "बढ़ी" है की लोगों की "क्रय शक्ति"में "बढ़ोत्तरी" हुई है...सही है भाई तभी तो हर "चीज़" बिक रही है और "खरीददार" भी "मौजूद: है.....और "आम आदमी??" वो बेचारा चुपचाप "सौरव गांगुली" की तरह "बेरोजगार" "परिवार" की तर्ज़ पर "यमला पगला दीवाना" बना है!आप भी "जन्मदिन" पर घोषित "योजनाओ" के लिए "जुगाड़" तलाशो और 55 किलो के "केक" की "मिठास" महसूस करो,क्योकि "लोकगीतों" का "मीठा स्वर" तो "ख़ामोशी" से चला गया वैसे भी ज़माना "रई रई रई " का नहीं "टिंगू पिया" का है......!!!!
आपने सुना नहीं बयान, की "महंगाई" इस लिए "बढ़ी" है की लोगों की "क्रय शक्ति"में "बढ़ोत्तरी" हुई है...सही है भाई तभी तो हर "चीज़" बिक रही है और "खरीददार" भी "मौजूद: है.....और "आम आदमी??" वो बेचारा चुपचाप "सौरव गांगुली" की तरह "बेरोजगार" "परिवार" की तर्ज़ पर "यमला पगला दीवाना" बना है!आप भी "जन्मदिन" पर घोषित "योजनाओ" के लिए "जुगाड़" तलाशो और 55 किलो के "केक" की "मिठास" महसूस करो,क्योकि "लोकगीतों" का "मीठा स्वर" तो "ख़ामोशी" से चला गया वैसे भी ज़माना "रई रई रई " का नहीं "टिंगू पिया" का है......!!!!
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