कसम से भाई साब,आजकल "मनवा" कुछ "बौराया बौराया" सा रहता है!अब अगर आप भी ठहरे "हमारे' जैसे "आर्थोडोक्स"टाइप कि चीज तो तड से "बयान" जारी कर दोगे कि ये तो "वासंतिक" लक्षण है,वर्ना आज के दौर में तो इसे "साईन ऑफ़ जांडिस" बताने वालो कि"लम्बी" लाइन मिल जाएगी वो ज़माने गए भाई साब,जब "पीली सरसों" और "आम" के "बौर" कि "खुशबु" के साथ "मौसम" की "मादकता" बता देती थी की "वसंत"आ गया लेकिन अभी तो "माल" में लगी "सेल" से ही "वसंत" आने का "पता" चलता है! अब"उत्सवो" के इस "मौसम" में "पीले" कपडे पहन कर "माँ सरस्वती" के "श्लोक" पढने के परम्परा, "अवार्ड" समारोहों में "ताना-कशी" की "कला" में बदल चुकी है!आप लगाते रहो "अनचाही कॉल" पे "प्रतिबन्ध" ये "मोबाइल पोर्टिबिलिटी" का ज़माना है! "कामदेव" के "तीर" के जगह "काशी" का "उत्सव" "तलवार"पर "फरसे" से वार करता है......"जिंदगी" के "वर्ल्ड कप" में "अम्बुश मार्केटिंग" हमेशा चलती रहती है,प्रतिबन्ध "गुटखे" पर नहीं "प्लास्टिक पॉउच" पर लगता है !हमारे यहाँ "राजा" गिरफ्तार होता है!"देसीगर्ल" के यहाँ "छापा" पड़ता है!"धर्मगुरु" के यहाँ "विदेशी मुद्रा" मिलती है!पुरानी कहावत है "घुंघट" के अंदर "लिपस्टिक" नहीं 'फबती" है,अब आप भी "हुस्न-अ-मुबारक" कहना छोड़ दीजिये..."होलिका" बुआ का "काउंट डाउन" शुरू हो चुका है, "काला" धन और "सफ़ेद"पोशो की दुनिया में "वासंती" "पीलेपन" को "तलाशने" कि "कोशिश" करना "बेमानी' है....."मुहब्बत" के इस "मादक" "मौसम" में "विलायती बाबा" को "मुहब्बत" का "मसीहा" मानने वालो से क्या कहना??...फिर भी 'दिल" है की नहीं मानता....कहा ना,आजकल कुछ "बौराया बौराया" सा रहता है या फिर "आप" कह सकते है .....ये "मौसम" का "जादू" है मितवा.....सो आप "सभी" के लिए "वासंती" "मौसम" के नाम .....
नयन लगे हो रहो पे,सुलझी लट फिर से सुलझाऊ!!
कैसे हुई मै बावरी ,इसका मुझे ध्यान नहीं!
जो फागुन में आन मिलो ,प्रिये मै बसंती हो जाऊ !!!!
आदरणीय,
ReplyDeleteआज हम जिन हालातों में जी रहे हैं, उनमें किसी भी जनहित या राष्ट्रहित या मानव उत्थान से जुड़े मुद्दे पर या मानवीय संवेदना तथा सरोकारों के बारे में सार्वजनिक मंच पर लिखना, बात करना या सामग्री प्रस्तुत या प्रकाशित करना ही अपने आप में बड़ा और उल्लेखनीय कार्य है|
ऐसे में हर संवेदनशील व्यक्ति का अनिवार्य दायित्व बनता है कि नेक कार्यों और नेक लोगों को सहमर्थन एवं प्रोत्साहन दिया जाये|
आशा है कि आप उत्तरोत्तर अपने सकारात्मक प्रयास जारी रहेंगे|
शुभकामनाओं सहित!
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
(देश के सत्रह राज्यों में सेवारत और 1994 से दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन, जिसमें 4650 से अधिक आजीवन कार्यकर्ता सेवारत हैं)
फोन : 0141-2222225 (सायं सात से आठ बजे के बीच)
मोबाइल : 098285-02666
लेख पढके बसंती हो गए जी| धन्यवाद|
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने.....बधाई...
ReplyDeletehttp://veenakesur.blogspot.com/
aap ka swagat hai
ReplyDeletejai baba banaras------
जो शौक था उस से रोटी नहीं मिली और जिस से रोटी मिली वो शौक नहीं था. जितनी क्षमता थी उस से ज्यादा ही मिला या यूं कहें कि जितना जब भी मिला उसी को ज्यादा मान लिया. बहुत छोटी है जिंदगी और छोटी छोटी खुशियों में ही बसती है जिंदगी. जीवन की आपाधापी में कुछ अहसास अनकहे सबके रह जाते हैं. उस अनकहे को कहने की कोशिश हम सब करते हैं कभी न कभी. बस इतना
बसंत की बधाई....गावोँ में अभी भी कुछ बसंत बाकी है....
ReplyDeleteचन्दर मेहेर
lifemazedar.blogspot.com
शुक्रिया।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteपढ़कर मन बसंती हो गया
आभार
शुभ कामनाएं
आप सभी सुधिजनो का उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद !! उम्मीद करता हूँ के पुरानी पोस्ट पर भी आपकी नज़र जाएगी....!!!!!
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट है। धन्यवाद।
ReplyDeleteबौराया मन बहुत कुछ कह गया जो अच्छा लगा
ReplyDeleteohhhh to basant ki aaosh me aap bhi aa gaye hai
ReplyDeletethanx to all for ur encouragement... n ha chandan agar essi andaaz ko aagosh me aana kahte hai to mai dua karunga ke mulk me sabhi log vasant ke aagosh me aa jaaye.....hai na?????
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteहिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसका अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । धन्यवाद सहित...
http://najariya.blogspot.com/
dhanyvaad!!!!aapki salaah ke liye!aasha hai mere naye post par bhi aapke vichaar milenge.... post kar chuka hu.har ravivaar ek nayi post likhne ka eraada hai.
ReplyDeleteइस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDelete