Sunday, March 23, 2014

“इश्क” भी “लिखना” चाहूँ तो “इन्कलाब” लिखा जाता है....



कसम विकिलीक्स कि भाई साब, जब से रागिनी के एमएमएस कि पंच लाइन”, दो में ज्यादा” “मज़ा है सुना है तब से मनवा भी मीडिया कि तरह क्रन्तिकारी हो गया है ! ऊँगली पर से स्याही पोंछकर दो-दो बार वोटडालने को बेताब हो रहा है ! पुरानी पार्टीछोड कर नयी पार्टी का दामन थाम कर गा रहा है साडी के फाल सा कभी मैच किया रे, छोड दिया दिल कभी कैच किया रे ! अब आप कहोगे ये इथिकल नहीं है ! भाई साब, राजनीति में मान-अपमान” “मलेशियाई विमान कि तरह लापता हो चुका है ! ऐसे में हाशिए पर जाने से बेहतर है कि बाड़मेर से निर्दल ही परचा भर दो, कम से कम पार्टी एडजेस्ट करने को तो कहेगी, वैसे भी मार्च क्लोजिंग में बैलेंस शीट मिलाने के लिए एडजेस्टमेंट किया ही जाता है ! आपको पता ही है कि इस समय में पूरे देश में गुजरात है और कहते है कि गुजरात में विदेश जैसा है ! उधर  काशी में बाबा विश्वनाथ अवाक है, राजनीति कि शुरुआत में ही उनका जयकारा किसी का नारा बन गया है ! कहते है कि पूरे देश में लहर है लेकिन चर्चा में घरके भीतर कि कलह ही है ! वोटरों के पहले खुद के ही कार्यकर्ता उम्मीदवारों के लिए नोटा का इस्तेमाल कर रहे है ! देखते रहिये अप्रैल कि मूर्खता इस बार मई तक खिंचेगी ! वोटतो हमारे हाथ में कान्हा कि माखन-रोटी है, जिसे कोई ना कोई कौवा  ही छीनेगा ! वैसे भी हम जैसे मनहूस मतदाताओ का पैरोल शुरू हो गया है ! मई-जून से फिर सजाएं शुरू ! यही है अपना रंग-रंगीला परजा-तंतरभाई साब ! खैर आज शहीदे-आज़म भगत सिंह” “सुखदेव राजगुरुकि पुण्य-तिथि है, डाक्टर राम मनोहर लोहिया कि जयंती है ! कहते है हमारा मुल्क सोने कि चिड़िया था ! “खरा सोना यानि हमारे संस्कार संस्कृति सभ्यता” “आदर्श” “मूल्य” ......मगर अब नहीं रहे, रहेंगे भी कैसे क्योंकि अब हमारे यहाँ सोने कि चिड़ियानहीं रहती है और जो रहती है वो कहती है बेबी डॉल मै सोने की और हमारा मुल्क उसी में खुश होकर झूमता है....देखा भाई साब, कर डी ना मनहूसो वाली बात, क्या करूँ रगों में अभी भी कही भगत सिंह जिंदा’ है सो रोक नहीं पाता हूँ ! अपनी श्रद्धा से आपको भी जोड़ता हूँ....बकौल शहीदे-आज़म”..... मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ है कलम मेरी, इश्क भी लिखना चाहूँ तो इन्कलाब लिखा जाता है !!!