Sunday, November 11, 2012

जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना कि अँधेरा धरा पर कही रह न जाये....

"खुशियाँ" मनाइए "भाई साब", "फेस्टिवल" "सीज़न" आ गया है ! चारो तरफ "आफर्स" कि "बहार" है ! नई "कोर कमेटी" का "गठन" हो रहा है ! दीन-हीन-श्रीहीन-चौतरफा "आरोपों" से घिरा "नेतृत्व" भी "सूरजकुंड" से "संवाद" कर रहा है ! "मोदी" के बुलाने पर "सिद्धू"  "बिग-बॉस 6" से बाहर आ गए है ! "राजनीति" कि "चौसर" पर हर "शकुनि" अपने-अपने "दुर्योधन" को "दावं" लगाने के लिए "उकसा" रहा है ! "डिस्काउंट" के इस सीज़न में "चरित्र" भी "अछुता" नहीं बचा है ! अच्छा अब आप ही बताइए जिस मुल्क में "स्वामी विवेकानंद" कि तुलना "दाउद" से हो वहाँ लोग "दीपावली" का अर्थ "श्री राम" कि "अयोध्या" वापसी के बजाय "दुर्योधन" के "दांव" से लगाए तो "गलत" क्या है ! वैसे भी "भगवान राम" इस बार "अयोध्या" आते समय "सहमे" ही रहेंगे ,जाने कौन सा "धोबी" किसकी "पत्नी" को "50 करोड" कि "गर्लफ्रैंड" कह दे और किसकी पत्नी को "यू ट्युब" पर होने का दावा  कर दे ! बहरहाल "आपरेशन" के बाद "ध्रतराष्ट" कि "आँखे" खुल गयी है और वो हर हफ्ते "आधी-अधूरी" जानकारी  के बजाय सचमुच "सबूत" लाने को कह रहा है ! वैसे भी "खुद" को "डेंगू" का "मच्छर" कह देने से "सामने" वाले के "प्लेटलेट्स" कम नहीं होने वाले,बल्कि "बम" के "धमाके" भी "फुलझड़ी" का "मज़ा" देने लगते है ! ज़माना बदल चुका है भाई साब,अब "द्रोपदी" साडी नहीं पहनती है और "धर्मराज" "शेयर मार्केट" में "ट्रेडिंग" करते है, रहा सवाल "आम आदमी" का, तो वो "मनहूस" अपने "हाथ" में "के.वाई.सी." फार्म लिए किसी "गैस-एजेंसी" के बाहर खड़ा होगा ! खील-मिठाई-पटाखे कि छोडिये, "मुंडेर" पर "जगमगाते" "दीयों" में "भरने" के लिए "तेल" खरीदने के लिए अपनी "जेबे" "टटोल" रहा होगा....जैसे ही "मौका" मिलेगा कभी "टोपी" लगा कर "जन-लोकपाल" के पीछे, तो कभी "योग" करते हुए "काले धन" कि "वापसी" के पीछे इस "आशा" में दौड़ रहा है कि उसकी "दरिद्रता" दूर हो जायेगी ! जबकि वो नहीं जानता है कि "दरिद्र" को हमेशा "नारायण" से जोड़ा गया है और "श्री" यानि "लक्ष्मी जी" को "उल्लू" से, और इस समय "चारो" ओर "उल्लुओं" कि "पूजा" कि "तैयारी" चल रही है ! "हंस" बेचारा "चुपचाप" एक "कोने" में अपनी "वीणा" के  "तार" कसते "आँखों" में "आंसू" लिए "सोच" रहा है....सृज़न है अधूरा अगर विश्व भर में, कही भी किसी भी द्वार पर है उदासी,मनुजता पूर्ण नहीं तब तक, के जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी,चलेगा सदा नाश का खेल यूँ ही,भले ही दिवाली यहाँ रोज आये,जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना कि अँधेरा धरा पर कही रह न जाये..... "दीप पर्व" कि "आप" सभी को "मंगलकामनाएं" !!!!!