Sunday, August 28, 2011

मै भी अन्ना,तू भी अन्ना,सारा देश है अन्ना....

चलो भाई साब,  सब  लोग अपने अपने हाथे कै "अक्षत" फैंको, जैसे इनके दिन "बहुरे" वैसे सबके दिन "बहुरे" ! फाईनली "तेरहवें" दिन "अनशन" समाप्त हुआ मगर आप कहीं मत जाइएगा,हम अभी "हाज़िर" होते है बस एक "ब्रेक"  के बाद...ऐसा "हम" नहीं खुद "अन्ना" कह रहें है क्योंकि "जीत" अभी "बाकी" है मेरे "दोस्त"...कसम "राजकुमार हिरानी" की पूरे मुल्क पर इस समय " मुन्नागिरी" से ज्यादा "अन्नागिरी"  का रंग चढ़ा है ..मै भी अन्ना,तू भी अन्ना,सारा देश है अन्ना  और बतर्ज़ "अमौसा का मेला" फेम "डॉ.कैलाश गौतम"....औ अन्ना बेचारे ...टेंशन में ...क्लिअर कर रहे है ..सिर्फ टोपी पहनने से कोई अन्ना नहीं बन जाता है ...मगर क्या करियेगा "मंच" से ही "आप की कचहरी" का "उत्साहवर्धक" फरमान जारी होता है "जो आप को टोपी पहनने की कोशिश करे अब  आप भी उसे टोपी पहना दो ...अन्ना वाली" ! "सड़क" की "बात" "संसद" ने मान ली है तो ऐसा कुछ तो होगा ही ...पुरानी कहावत है की "मक्खी" पूरे "खूबसूरत" "जिस्म" को छोड़ कर सिर्फ "ज़ख्म" पर ही बैठती है, सो "आप" तो ये भी कहोगे की "संसद' में "हाथी-साईकिल" का रुख "असहमत" था,इसलिए "इकरा" और "सिमरन" के हाथों से "पेय" पिलवाया !  अपना मुल्क "उत्सवधर्मिता" पसंद है भाई साब, "मंदिर" बनाने के नाम पर, "वर्ल्ड कप" जितने की ख़ुशी में हम तो "जश्न" मनाने निकल ही पड़ते है ! यहाँ "बेकार" की "बातें" मत कीजिये "बुरा" लगेगा.... "झंडे" लहराते,"नारे" लगाते अपने "घर" लौटते लोग तो "मंच" से सुने गए "गानों" की "रिंगटोन" भी  "तलाश" करने लगे है... ! कुल मिलाकर, बच्चों ने "रामलीला मैदान" में "अगस्त क्रांति" देख ली और रहा सवाल "सरकार" और "अन्ना" का  तो "दोनों" पारम्परिक "पत्र-व्यवहार" ही करते रहे,अब ये अलग बात है की "गैर सरकारी संगठन" "हाईटेक टेक्नोलोजी" का इस्तेमाल करते रहे ! ये "जन-लोकपाल" का अपना अपना "स्टाइल" है भाई साब,उस दिन "मुन्ना भाई" "सर्किट" से अपनी "फिल्म" का "डायलोग" दुबारा कह रहे थे...ए "सर्किट" अभी 65 % "ख़त्म" होने की "उम्मीदें" बढ़ गयी है,रहा "सवाल" 35 % का तो उसके लिए "अन्ना" ने कुछ  कहा ही नहीं है ......बहरहाल एक 74 वर्ष की "क्षीण काया" ने इस "मुल्क" में एक बार फिर "साबित" कर दिया है की अगर आपके पास "अड़ियल नैतिकता" और "भूखा" रहने की "विलक्षण प्रतिभा" है तो आप "सदन" की "संप्रभुता" पर भी दबाव बना सकते है वैसे जो भी हो अन्ना ने "जन-जाग्रति" लाने का जो काम किया है वो "अद्भुत" है ! चलते-चलते "रामलीला मैदान" से "अन्ना" के"टोपी" लगाये लोगों से यही "अपील" की है की अगर "अन्ना" बनना है तो आचार,विचार,निष्कलंक जीवन,त्याग और अपमान सहने की शक्ति पैदा करो...अब देखना ये है की "रामलीला मैदान" से "फेसबुक की वाल" और "ट्विटर" तक सर पर "टोपी" लगाये कितने "अन्ना" और "बनते"...माफ़ कीजियेगा "बनने" की "कोशिश" करते है...रहा सवाल "हमारा" तो भाई साब, अपनी भी एक "अदद" "सिविल सोसाईटी" है और अपना भी वही नारा है "पहले" तुम्हे  "सुधारेंगे" फिर "हम" तो "सुधर" ही जायेंगे ! "पाप" की शाश्वतता पर "भारत भूषण जी" की एक कविता है जिसमे "पाप" कहता है ..."जन्म" ना लेता जो मै "धरा" पर,तो ये "धरा" बनी "मसान" होती! ना "मंदिरों" में "मृदंग" बजते,ना "मस्जिदों" में "अज़ान" होती ...मगर फिर भी "मन" कर रहा है इसलिए सिर्फ "अन्ना" के "ज़ज्बे" और "सोच" को प्रणाम!!!!               

Sunday, August 21, 2011

....संभवामि युगे-युगे !!!!!!!!!!

सीरिअसली भाई साब,आजकल मै कुछ "ज्यादा" ही "वन्दे-मातरम" हूँ ! "कुछ ज्यादा" इसलिए क्योंकि "पूरा" वन्दे-मातरम" आता नहीं है, यू नो "अधजल गगरी  छलकत जाये" वैसे भी इस मुल्क में पूरी "बात" पता होना   "ज़रूरी" भी नहीं है ! इन फैक्ट मुझे  एक अदद  "नत्थाकी तलाश है  जो कह सके की "खटोला" यहीं बिछेगा..."पास" "हमारा" वाला ही होगा ....वो भी "फलां" तारीख तक.... "संशोधन" भी "हमीं" से पूछकर होगा.... "अपने" वाले पर आप "जनता" की  "राय" भी मत मांगो...."समय" की "बर्बादी" है ....फ़ौरन "खारिज" कर दो.....बस बाकी का "काम" तो "चौबीस घंटे" चलने वाले "खबरिया चैनल" पूरी कर ही देंगे ! इतना बड़ा एक्सपोज़र मिलने पर "दो-चार" "मयूजिक कम्पोज़र" "एक-आधा" कवि मुफ्त में खुद ही जायेंगे ! पब्लिक को "गाँधी टोपी" "तिरंगा" मिल ही जायेगा ! करने के लिए  "मैदान" के नाम पर  "रामलीला" है ही ..."बैक ड्रॉप" पर "बापू" की "बड़ी" सी "तस्वीर" लगा देनी है...अब आप कहोगे कि "गाँधी" का "कद" तो बहुत बड़ा था..सो व्हाट, "भ्रष्टाचार" के विरुद्ध "आन्दोलन" से "बड़ा" थोड़े था ! आप कहोगे कि लोगों के विभिन्न "मुद्दों" पर असंतोष को "हवा" देकर "लोकतंत्र" को "हाईजैक " कर लेना क्या "उचित" है ! खामोश हो जाइये भाई साब, इस समय "ईमानदार" सिर्फ वही है जो "आन्दोलन" के "पक्ष" में है, बाकी जो भी "विपक्ष" में है या "आन्दोलन" के "तरीके" से "सहमत" नहीं है सब "भ्रष्ट" है ! बाढ़,सेंसेक्स,महाभियोग कि कार्यवाही,माहि कि दुर्गति..सब गई "आइसक्रीम" खाने ! अच्छा है 91-92 वाले "भगवा" आन्दोलन के दौरान "खबर" के बजाये "जो बिकेगा-वही दिखेगा"  "लाइव" दिखाने वाले नहीं थे वर्ना मुल्क आज तक अपने रिसते हुए ज़ख्मो से खून साफ़ कर रहा होता !माफ़ कीजियेगा भाई साब, हर "बारिश" में "कृष्ण" नहीं  जन्मते है,सन 74 में भी "कालेज छोड़ो" का नारा सुना था !आन्दोलन के बाद मेरे कई नवजवान साथी सिर्फ इसलिए "बेरोजगार" रह गए क्योंकि उनके पास "नौकरी" के लिए "पढाई" नहीं थी ! दोनों आंदोलनों में "जनभावना"  इससे ज्यादा ही थी  और आज दोनों "जननायकों" के साथ कितने लोग  है.... खैर जाने दीजिये अपने प्यारे "इमोशनल" मुल्क में सिर्फ इतना कहना चाहूँगा की शायद ही कोई हो "भ्रष्टाचार" के विरुद्ध ना हो ! इस "आन्दोलन" ने वो "जागरण" कर दिया है कि अब सशक्त "जन-लोकपाल" "जन-भावना" के अनुरूप बनकर ही रहेगा और उससे "प्रभावित" या "लाभान्वित" कोई एक "सरकार" नहीं बल्कि सभी "सरकारें" होगी... चलते-चलते "निदा फाजली" साब का शेर अर्ज़ करता हूँ ...अपना गम ले के,कहीं और न जाया जाये  ! घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये ! बाग़ में जाने के भी आदाब हुआ करते है,किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाये !! जन्माष्टमी कि मंगलकामनाएं...पार्श्व में स्वर गूंज  रहा है..यदा यदा ही धर्मस्य....संभवामि युगे-युगे !!!!!!!!!!

Sunday, August 14, 2011

इस बार का "फुर्सतनामा" स्वतंत्रता के नाम.....

वो क्या है भाई साब,हम तो "आज़ादी" के बाद की "पैदाइश" है, इसलिए "रक्षा बंधन" के दिन खाई "मिलावटी" "मिठाई" में भी "स्वाद" तलाश लेते है ! "सेंसेक्स" के गिरने से हम "भयभीत" नहीं होते, बल्कि "खरीददारी" का सही "समय" मान लेते है ! "चिल्" "कूल" "डूड" वाली पीढ़ी "मिस काल" से "जन-लोकपाल" को अपना "समर्थन" और "मैसेज" से "स्वतंत्रता-दिवस" "सेलिब्रेट" कर लेती है ! अब आप तो ठहरे "आम हिन्दुस्तानी" जो हर बात में "अनशन" का "बहाना" ढूंढ़ लेते हो ! "अगला" इतने दिनों से "सरकार" चला रहा है और "आप" कहते हो की 79 साल की उम्र में किस "मुहँ" से "झंडा" फहराओगे ! कसम से भाई साब,ऐसे ही नहीं "सुप्रीम कोर्ट" ने कह दिया है कि "फर्जी" "मुठभेड़" वाले पुलिस कर्मी को "फांसी" हो ! एक सदाबहार गाने कि पैरोडी सुनाता हूँ " रोने वालो को रोने का बहाना चाहिए....आप तो ये भी कहोगे 64 साल पहले हमने "अंग्रेजो" को हरा कर "आज़ादी" पाई थी और इस साल "बर्मिंघम" में हम "अंग्रेजो" से हार गए है ! पुरानी "कहावत" है भाई साब, "वक़्त" ख़राब हो तो "योग गुरु " को भी "रामलीला मैदान" से भागना पड़ता है ! "धोनी" हर बार "सिरीज" नहीं "जीत" सकता है ! "अड़ियल अन्ना" कि तरह "दिल्ली पुलिस" कि "शर्तों" को "खारिज" करके "पी.एम." को "कड़ा" "ख़त" लिखने से मजबूत "जन-लोकपाल" नहीं बनेगा ! ये "जिंदगी" कि "क्रिकेट" है, यहाँ "पटरा" पिचों पर "चौके-छक्के" मारकर "चिअरलीडर्स" के "ठुमके" लगवाकर "पैसा" तो "कमाया" जा सकता है लेकिन असली "टेस्ट"   तो "स्विंग" लेती "गेंदों" के सामने होता है !  "अंग्रेजों की गुलामी" और "संवैधानिक सरकार" को एक ही "तराजू" में "तोलना" "गांधीवाद" नहीं है ! आज "गाँधी" "तिलक" "भगत सिंह" "बिस्मिल"  "अशफाक" .....सोचते होंगे क्या हमने "इन्ही" लोगों के लिए  अपना "लहू" बहाया था ! हम लोग "इमोशनल" लोग है भाई साब, जो "दिमाग" से नहीं "दिल" से सोचते है लेकिन "याद" रहे हमारा "मोहभंग" भी बहुत "जल्दी" होता है ! "महंगाई" :बेरोज़गारी" "भ्रष्टाचार" के बीच भी जब हम "लाल-किले" की "प्राचीर" से "लहराते" "तिरंगे" को देखते हुए "विकास"के लुभावने "वादों" को "सुनते" है तो भी ना तो अपने "मुल्क" पर "गुस्सा" आता है और ना ही हमारा "विश्वास" कम होता है हाँ ये ज़रूर है कि जिस भी दिन हमारे "विश्वास" को "ठेस" पहुंचेगी तो उस दिन  हमें किसी "जन-लोकपाल" की "ज़रुरत" नहीं होगी बल्कि जिस "जन" कि "ज़रुरत" है, "वो" हमारे "भीतर" है और "वो" वही है, जिससे मिलकर "जन-मन-गण" बना है.....क्या बोलते है "आप", बना है ना  जयहिंद !! "स्वतंत्रता दिवस" कि "मंगलकामनाएं" !!!!!!!!            

Sunday, August 7, 2011

...हम दोस्ती,अहसान,वफ़ा सब भूल चुके है..........

कसम "करण जौहर" की भाई साब,सन 1998 ,के बाद हर साल "अगस्त" के पहले "रविवार" के दिन "मनवा" में "हूक" सी उठती  है ...यू नो "कुछ कुछ होता है" टाइप की....काश ये हमारे ज़माने में "रिलीज" हुई होती तो कम से कम "दो-चार" को तो "हम" भी "राखी" बाँधने के पहले ही "फ्रैंडशिप बैंड " पहना देते मगर नहीं "तनख्वाह" पाने वाले की किस्मत में "पैकज" कहाँ....खैर हमारे "ज़माने" में भले ही ये  "फैसेलिटी" न रही हो लेकिन ये "आज" का "दौर" है जहाँ "अहसासों" को "जताने" का दिन भी "मुक़र्रर" है ! "शायर" फरमाता रहे ...."मुहब्बत" के लिए कुछ "ख़ास" दिल "मखसूस" किये जाते है,ये वो "नगमा" है जो हर "साज़" पे "गाया' नहीं जाता ! अगला कहेगा उठाओ अपना "हारमोनियम" "तबला" "पेटी" कमबख्तों, तुम "सात जन्मों" की "बात" करते हो,यहाँ हम "लिव-इन" बोले तो "साथ-साथ" रहने की "बात" करते है....खैर "खिसियाये" "टीम अन्ना" के "सदस्यों" की तरह "संसद भवन" के बाहर "लोकपाल-विधेयक" की "प्रतियां" फाड़ने से कुछ नहीं होने वाला ! क्यूंकि यहाँ  "दिल्ली" और "कर्नाटक" के "मुख्यमंत्रियों" में वही "फर्क" है जो "अवैध खनन" और "कामनवेल्थ घोटाले" में! रेल पटरियों पर भले "हादसे" होते रहे मगर अगला अपने "कमरे" को पाने के लिए "बरामदे"में ही बैठ कर "मंत्रालय" चला लेगा! आप भले ही "महानायक" हो लेकिन एक "मुख्यमंत्री" की "तारीफ" की तो "दूसरा" आपको फ़ौरन "नापसंद" कर देगा ! ये "जिंदगी" है...."मानसून सत्र" "शांति" से चले इसके लिए "ज़रूरी" है कि ना तुम "2G" पर बोलो न हम "कर्नाटक" पर ! "वक़्त" बदलते देर नहीं लगती भाई साब, आपकी "पुअर & स्टैंडर्ड" "रेटिंग" कभी भी AAA से AA + हो सकती है ! देखा नहीं आपने "जंतर-मंतर" के बदले अब "वरुण" "अनशन" के लिए अपनी "छत" "ऑफर" कर रहे है ! इस मुल्क में "मनरेगा" के लिए नए "दिशा निर्देश" जारी करने से कुछ नहीं होने वाला ! दो साल बाद "वन-डे" के बाद के लिए चुनोगे तो अगला "सन्यास" का "ऐलान" कर ही देगा !ये नया "ज़माना" है भाई साब,यहाँ हर "चीज़", हर "दिन" मुक़र्रर है ! हमारे ज़माने में "दोस्ती" का "मतलब" साथ में "बेर" तोडना, "कंचे" खेलना,"बारिश" में भीगना, "किताबों" पर एक दूसरे की तस्वीरें बनाना,और "हेडमास्टर" के सामने दोस्त को "मानीटर" बनवाने के लिए खुद "बीमार" पड़ जाने का "नाटक" करना था.....दोस्ती तो आज भी "जिंदा" है.."मोबाइल" के "मैसज" में,"फेसबुक" के "वाल" पर, "सिनेमा" के "परदे" पर और हाँ "फ्रैंडशिप बैंड " में.."कमाल" तो ये है की "आज" इस "दोस्ती" में "हम" भी "शामिल" है अब ये "अलग" बात है कि "आज" की "दोस्ती" को शायद "हम" "समझ" नहीं पा रहे है ...."दिल चाहता है" और "सेनोरिटा" की धुन के बीच से कहीं एक पुरानी "ग़ज़ल" के "बोल" भी  सुनाई दे रहें है...हम दोस्ती,अहसान,वफ़ा सब भूल चुके है,जिंदा है मगर जीने की अदा भूल चुके है....हैप्पी फ्रैंडशिप डे !!!!!!!!!!!!!