Sunday, May 29, 2011

..........."लक" बड़ा या "टैलेंट"?

भाई साब आज पहली बार "आर्थोडाक्स टाईप" की "बीबी" मिलने पर अफ़सोस करते हुए यही सोच रहा था कि "लक"  बड़ा या "टैलेंट"? दरअसल कितनी बार "उसे" समझाया कि "पोलटिक्स" ज्वाइन कर लो,तुम्हारा टैलेंट "घर" में "वेस्ट" हो रहा है मगर हम कोई "धोनी" तो है नहीं जो हमारे "लक" के आगे सबका "टैलेंट" फ़ैल हो जायेगा ! अगली रेलवे,बैंक,विशिष्ट बी.टी.सी.में ही "जॉब" तलाशती रही और "फाइनली" उसी में "संतुष्ट" भी है ! अच्छा अब आप ही बताइए,उसके माँ बाप ने नाम "आँख कि पुतली" (कनिमोझी) नहीं रखा तो क्या हुआ,हमने तो उसे हमेशा "आँख कि पुतली" कि तरह रखा है ! अगर मेरी  "बात" मानी होती तो "आज" मुझ सा "लकी" भला कौन होता....मेरे "अखबारी ज्ञान" के मुताबिक लगभग 214 करोड़ हाथ में और बीबी जेल में....मगर वाह री किस्मत,तू तो "कोमा" के "पेशेंट" को भी "प्लेन क्रेश" करके मारती है !छोड़िये भाई साब, बेवजह "सुषमा स्वराज" बनने से कोई फायदा नहीं है ! वैसे भी इस मुल्क में "लक"और "टैलेंट" के अपने "मायने" है ! हाईस्कूल-इंटर में बाज़ी मरने वाली लड़कियों का "टैलेंट" ना जाने किस "लक" के चलते कही गुम हो जाता है वहीँ "आतंकी" का "लक" अपनी सुरक्षा में ही 10 करोड़ "खर्च" करा लेता है ! देश के सर्वोच्च "इंजीनियरिंग" संस्थान के "शिक्षण स्तर" पर "टिप्पड़ी" करना अगले का "टैलेंट" है और उसे सुनना हम सबका "...लक" है !"चोटिल" "कंधे" के साथ "क्रिकेट" खेलते रहना भी "गंभीर" "टैलेंट" है और इसी वजह से किसी को "कप्तानी"मिलना "लक"है ! आप खुद ही देखिये ना,जिसे देखो वही "एवेरेस्ट" पर चढ़ा जा रहा है ! कल "पत्रकारिता दिवस" है ! कल से ही एक न्यूज़ चैनल पर "रतन का रिश्ता" शुरू हो रहा है ! अब आप "डिसाइड"करो ये "टैलेंट" है या "लक"" ! मीडिया कि "भाषा" में ये "टी.आर.पी."है ! आप कहते रहो की "इक्नोमिक्स" उनका "टैलेंट" है पर बढती"महंगाई" पर "काबू" ना कर पाने के बावजूद "मुल्क" का "मुखिया" बना रहना उनका "लक" है !  एनी वे ,"परीक्षाफलों" के इस "मौसम" में बहुत सारे नौनिहालों ने "टैलेंट" दिखाया है ! उन्हें ज़रूरत है "हमारे" और आपके "गुडलक" की...... क्योंकि हम  सभी को पता है की "इन्सान" की "तरक्की" में 80 % "टैलेंट" और 20 %  "लक " का हाथ होता है!लेकिन अगर यही 20 % "लक" न हो तो 80 % "टैलेंट" बेकार हो जाता है....तेज़ "धूप" के बाद "उमस","उमस"  के बाद "बारिश" ! "मौसम" कितने ही "रंग" हमें "दिखाता" है और "सिखाता"  भी है की यही "जिंदगी" है ! जहाँ एक चीज़ "ख़त्म" होती है , वहीँ से एक नयी "शुरुआत" भी होती है .....आप सभी के "टैलेंट" को हमारा "गुडलक" !!!!!!!!!!!!           

Sunday, May 22, 2011

.....हमका "पीनी" है, "पीनी", है, हमका "पीनी" है

अच्छा भाई साब कसम से,आजकल के बच्चे भी ना,सवाल पूछते है कि "लसित मलिंगा" कि "यार्कर",ज़रा सा "चूके" नहीं कि या तो "पैर" का "पंजा" गया या फिर "मिडिल स्टंप" ! अब आप ही बताओ,है कोई जवाब,कि सारी उम्र "अहिंसा" का पाठ "पढ़ाने" वाले "बापू" हमेशा अपने साथ "लाठी"क्यों रखते थे? क्यों हो गए ना आप भी "येदियुरप्पा"...हमने तो "सवाल" सुनते ही फ़ौरन "राष्ट्रपति शासन" लगाने कि सिफारिश कर दी,और मन ही मन कहा "और कर-नाटक" ! अब हर जगह को "भट्ठा-परसौल" नहीं बनाया जाता है !"शायर" पहले ही "फरमा" चुका है "इस "राख़" के "ढेर" में ना "आग" है ना "शोला" ,मगर आप हो कि राख़ में भी "हड्डियाँ"तलाश कर "फोरेंसिक"जाँच कि मांग कर देते हो ! अब "आप" कि भी अपनी "मजबूरी" है, "कम्बखत" "आम आदमी" कि "हड्डियाँ" होती ही है "जाँच" और "मुद्दों"के लिए ! एनी वे, "टेंशन" मत लीजिये, ये दुनिया का "जंतर-मंतर" है ! नाम "अग्निवेश" है तो  "अमरनाथ" पर "टिप्पड़ी" भी जलती हुई ही करेंगे,और "आप" तो "शेन वार्न" भी नहीं हो जो "माफ़ी" मांग कर "जुर्माना" अदा कर दोगे !अरे, जिस मुल्क में "मोस्ट वांटेड" कि "लिस्ट" में भी "गलतियाँ" हो वहां "दबंग"को "राष्ट्रीय पुरस्कार" मिलना ही है...कसम "चुलबुल पाण्डेय" कि, क्या "नेशनल करेक्टर"   दिखाया   है  "फिल्म" में, और क्या "राष्ट्रीयता" से "ओत-प्रोत" गीत  गाया है......हमका "पीनी" है, "पीनी", है, हमका "पीनी" है ! अब "आप" कहा  करो "ओलम्पिक" में "कांस्य पदक" जीतने का "मतलब" ये नहीं होता कि "शादी" के "कार्ड" पर "राज चिन्ह" छपवा लो ! भाई साब "बुरा" "वक़्त" हो तो "रामदेव" कि "गोली"भी "गले" में "अटक" जाती है ! २०% शेअर रखने वाली "कनिमोझी"को जेल और ६०% शेअर  रखने वाले बाहर ! भईया, अब "आप" ही बताओ  ऐसी "मनमोहन" "ईमानदारी" किस "काम" कि जब आपको "भ्रष्टों" का "अगुआ" कहा जाये .....जाने दीजिये भाई साब,इस "सवाल" का "जवाब" आज तक "नहीं" मिला है कि जब "पेड़ों" पर "आम" लदे हो,"आंधी" तभी "क्यों" आती है....! गर्मी कि छुट्टियाँ हो गई है !बच्चो से कहा "इस" बार किसी "अच्छी" जगह "घूमने" चलेंगे ! फ़ौरन "जवाब" आया... रहने दीजिये "तिहाड़" जाने कि "आपकी" "हैसियत" नहीं है ...और हम "खिसियाये" से सोचते रहे कि "तपती-जलती" गर्मी में भी "अमलतास-गुलमोहर" के "पीले-लाल" "फूलों" से "लदे" "पेड़ों" के नीचे "सरकंडे" कि "लग्गी" बना कर "तोड़ी" गयी "जंगल-जलेबी" का स्वाद तो "उस" "मासूम" बचपन के साथ ही "खो" गया है ! "इस" "समझदार" बचपन के लिए तो सिर्फ एक शेर अर्ज़ है....होठों का मासूम तबस्सुम,क्योँ अश्कों में ढल जाता है ! इन बच्चो को घर कि बातें, जाने कौन बताता है !!!!          

Sunday, May 15, 2011

...आदमी टूटा हुआ ख्वाब है फरिश्तों का

अच्छा सच में भाई साब,"कुछ" लोगों की "आदत" ही होती है "रुदाली" होने की ! उनको "ऐशवर्या" को देखकर "अभिषेक" नहीं,"सलमान-विवेक" याद आते है ! पुरानी कहावत है की "शादी" में कितनी भी "बेहतरीन" विदाई क्यों ना कर दो,"फूफा" का "मुंह" "टेढ़ा" ही रहेगा ! आपको तो बस "वजह" चाहिए "स्यापा" करने की लिए ! "पाँच रुपये"  पेट्रोल के बढ़ गए तो इतनी हाय तोबा ? "क़र्ज़" लेकर "कार" खरीदी उसका  "ज़िक्र" तक नहीं ! ये तो वही "बात" हुयी की जब तक "पार्टी" में रहे तब तक "नेताजी",पार्टी से "बाहर" हुए तो "डान" !ये अपने मुल्क की "डेमोक्रेसी" है भाई साब ! "चुनावों" में "अम्मा" "दीदी" एक कर देने से "जनता" की "तकदीर" नहीं बदलती है ! सब एक जैसे है........"माकपा" "भाकपा".....!! (डोंट टेक अदरवाइज़,ये हमारी "राजनीतिक पार्टियों" के "नाम" है, सिर्फ "साउंड" से "फील" थोडा "अनकमफर्ट" देते है ,...झामो,वामो....झामुमो.....)
 एनी वे हम "फरमा" रहे थे की "भटठा-परसौल" में "राजनीतिक युवराज" के  "धरना" देने से सिर्फ "सुर्खिया" मिलती है "समाधान" नहीं !जिस मुल्क के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक-और बच्चे "पढने"  "पढ़ाने"  नहीं "मिड-डे मील"खाने जाते हो  वहां "एन.डी" का "डी.एन.ए." करा लेने से क्या "हासिल" होगा ! देखा नहीं "उद्योग नगरी" पटरी से उतर गयी है ! "उच्चतम न्यायलय" को "न्याय" से ज्यादा "निर्देश" देने पड़ रहे है ! "ओरेंज कैप" किसको मिली ये सबको पता है मगर "राष्ट्रीय खेल" के "कप्तान" का "नाम" कितनो को "पता" है ?....लो मै भी न आपके साथ "स्यापा" करने लगा ...छोड़ो जी, "जिंदगी" बेहद "खूबसूरत" है..इसी लिए "अम्मा" को "चाय" पे बुलाया है ! "दीदी"ने रंग जमाया है ! "कर्नाटक" में "नाटक" जारी है.....कुल मिला कर यहाँ "अक्षय कुमार" की "कामेडी" "हिट" है, "महा अक्षय" बनकर "हारर" करने की कोशिश "सुपर फ्लॉप" है ! "आमिर" को नई "आईटम गर्ल" की तलाश है ! आप भी बेवजह "इलेक्ट्रोनिक चैनलों" और "राजनीतिज्ञों" के बहकावे में मत आइये ...भरोसा रखिये कल को "पेट्रोल" के लिए भी "क़र्ज़" मिलने लगेगा ! बैंक है न ! एक "किश्त" और सही....वैसे भी आम आदमी की "जिंदगी" में सिर्फ "किश्ते" ही तो है जो उसके "ख्वाबों" को "जिंदा" रखे है और इसी "उम्मीद" में "आम आदमी"  "किश्तों" में "जीता" चला जा रहा है की उसके "सपने" भी "सच" होंगे एक दिन.....बकौल नीरज साब....." क़र्ज़ रो रो के भरा,उम्र की सब किश्तों का, और सम्मान किया वक़्त के सब रिश्तों का ! फिर भी कुछ कमी है मुझमे तो माफ़ कर दो, आदमी टूटा हुआ ख्वाब है फरिश्तों का !!!!     

Sunday, May 8, 2011

......अरे हाँ, आज तो "मदर्स डे" है !

कोई कुछ भी कहे, पर आप यकीन  मानिये भाई साब,पूरी दुनिया में हमारी "इंटेलिजेंस" का  कोई मुकाबला  नहीं है !अब ये अलग बात है की हम दिखावे में "बिलीव" नहीं करते है इस लिए "अक्सर" हमारा सारा "टेलेंट" धरा का धरा रह जाता है ! सुना नहीं आपने अपने थल सेनाध्यक्ष का बयान "ऐसी  कार्यवाही करने में हम भी सक्षम है"! क्यों आ गया न आपको यकीन!कसम "चुलबुल पाण्डेय" की "एबटाबाद" में जितनी गोली "कमांडोज"ने नहीं चलाई होगी उससे "ज्यादा" तो हमने "लादेन" "कसाब" पर तडातड "एस.एम.एस." फारवर्ड कर डाले है ! है कोई "मुकाबला" हमारी "इंटेलिजेंस" का ? हाँ ,ये अलग बात है की ये सुन कर "मनवा" में हूक सी उठती है कि "अगले" कि "हवेली" में "गेंद" चली जाये तो "गेंद" के बदले "सौ" "पचास" का "नोट" दे देता था ! कसम "मनरेगा" की,वक़्त रहते पता चल जाता तो "दो-चार" हज़ार हम भी "झटक" लाते मगर वाह री  किस्मत,"पुणे वारीअर" बनना भी "बंगाल टाइगर" की ही "किस्मत "में लिखा होता है !यहाँ तो आप अपनी "अधिग्रहीत ज़मीन" का "मुआवजा" भी मांगोगे तो पुलिस की "गोली" मिलेगी...... बहरहाल आप हमारे "ना" "पाक" इरादों  को छोडिये आपने देखा नहीं "पाक" को ही नहीं पता था की "अगला "उनकी "मिलिट्री ट्रेनिंग कैंप" के साये में रह रहा था....! ओये होए...इसे कहते है "मासूमियत" "भोलापन" फ़िल्मी स्टाइल  में कहें  तो "तुम्हारी अदाओं पे मै वारी-वारी" ! उस पर "तुर्रा"  ये की "कोई और जुर्रत ना करे" ! वह मियां, खूब कही "उनका" इश्क इश्क, "हमारा" इश्क.....!एनी वे,वो कहते है ना की सिर्फ "स्कर्ट" पहना देने से "बैडमिंटन"का स्तर नहीं "सुधर"  जायेगा !कुछ नियम कायदे भी होते होते!अरे हमारे "मुल्क"  की तो "बात" ही निराली है ! यहाँ "इंजीनियरिंग" का "परचा" भी "लीक" होता है और "इंजीनियर"  की "हत्या" में "उम्र कैद" भी ......अरे हाँ, आज तो "मदर्स  डे" है !"टी.वी.स्क्रीन" से लेकर "फेसबुक" के "स्टेट्स"  तक "माँ" के लिए भावनात्मक लाइने,विचार,और जज्बात  "छलक" रहे है ये और बात है की इसी "मुल्क" में हर साल  "एक लाख" महिलाएं "माँ" बनने के दौरान "दम" तोड़ देती है ! अपनी "संस्कृति" में गाय,नदी ,धरती तक को "माँ" मानने वाली  "परम्परा" तो कब का "दम" तोड़  ही चुकी है ! आज के दौर में  तो "माँ" के "नाम" पर "सभी" को "मुनव्वर राना" के "शेर" ही "याद" आते है ! और सच में "माँ" की याद.....वो तो सिर्फ "दुआओं" की "ज़रूरत" के "वक़्त" ही आती है.....!!!! फुर्सत में हूँ इस लिए शेर अर्ज करता हूँ...."एडियों के जर्ब से नदी खारी हो गयी,सर्दियों की रात  बेवा पर भारी हो गई! की थी जिसने परवरिश,गैरों के बर्तन मांझ  कर,वो बुढिया कई बेटों पर भारी हो गई......!!"  "हैप्पी मदर्स डे" !!!    

Sunday, May 1, 2011

...हम करें तो करेक्टर ढीला है!!!


अच्छा भाई साब,सच-सच बताइयेगा ढाई अरब लोगों ने "शाही शादी" का "नज़ारा" देखा या या फिर "वो" देखा जो "बकिंघम पैलेस" की "बालकनी" में दिखा...वो तो कहिये गलतियाँ रिपीट  करने में अपना कभी विश्वास नहीं रहा,दूसरे "वो' कभी तैयार नहीं होगी वर्ना घर की बालकनी पर खड़े होकर ऐसा ही कुछ "शाही कारनामा" करने का अपना भी इरादा था ! यू नो,रातों रात "पापुलर" होने का इससे बेहतर "मौका" अपने को दुबारा नहीं मिलेगा....अब "आप" ही बताइए वो "कौन" है जो "पापुलर"नहीं होना चाहता? "शाही शादी" को देख कर ही ये "ख्याल" आया की "घोटालों" पर तो "क्रीमीलेयर"... बोले तो "कार्पोरेट सेक्टर" की "मोनोपली" है ! उसके बारे में "आम आदमी" "सपना" भी नहीं देख सकता है! हाँ ,वो "शाही स्टाइल" ज़रूर adopt कर सकता है!मुल्क गवाह है की पहले भी "मीका पाजी" से लेकर "रिचर्ड गेर -शिल्पा" "मंडेला-शबाना" "चार्ल्स-पद्मिनी"....एक लम्बी "पापुलर" फेहरिस्त है ...! अब आप ठहरे "सिविल सोसाईटी"  के "प्राउड"  मेम्बर तो पूछोगे..इससे क्या आपकी भी  "रिसेप्सन पार्टी" सुबह तक चलेगी?और हम ठहरे "आदर्श  सोसाईटी" के "मेंबर" सो फ़ौरन तड़प कर मत चूको "चौहान" की तर्ज़ पर कहेंगे ,क्यों नहीं चलेगी? जब "विश्व कप" जीतने पर कपडे उतरने का ऐलान करने वाली को "खतरों के खिलाडी-४" में चुन लिया जाता है तो फिर "बिग-बॉस" के  अगले  सीजन के लिए "हम" क्या  "बुरे" है और हाँ "सम्भावना"है की कल "एस.एम.एस."करके "आप" ही हमें जिताओ...मगर वो कहते है ना की "आज" के दौर में "लक्ष्मण" जैसा "देवर" हो तो "भाभी" भी बुरा मान  जाती है ! यहाँ  तो "मौत" से पहले "ताबूत" का "आर्डर" दे दिया जाता है ! संत की "परम्परा" नहीं "सम्पति"पर "नज़र" रहती है !बकौल आदरणीय सलमान खान " हम करें तो करेक्टर ढीला  है ! सुना नहीं,रेलवे ने कहा है की "खिलाडी" को "धक्का" नहीं दिया गया उसने खुद ही  "आत्महत्या" की कोशिश की थी ! "बडबोले योग-गुरु" के खिलाफ  इस बार "संतों" ने "हल्ला" बोला है ! "जिंदगी"  और "आई.पी.एल." में ज्यादा "फर्क" नहीं है !"ओरेंज  कैप" हमेशा  "सर" बदलती रहती है ! पुणे के "कलमाड़ी" पर "अरबो"के "घोटाले" का "आरोप" है और वही उनके पडोसी "अहमदनगर"के "अन्ना" भ्रष्टाचार के विरुद्ध "आवाज़" है....! "तपती" गर्मी में सडको पर "तारकोल" डालता "मजदूर" हो या फिर "गरीबी"से तंग आकर " खुदकशी" करता "किसान"..."भ्रस्टाचार" और "आवाज़" से बढ़कर उसके लिए इस "महंगाई" में "बच्चो" के लिए दो जून की "रोटी" और दो गज "कपडा" ही "शाही जिंदगी" है,उसे किसी से कोई "शिकवा" नहीं है ! ये हमारा "मुल्क" है भाई साब....कहाँ  तो तय था चरागाँ हरेक घर के लिए! कहाँ चिराग मयस्सर नहीं, शहर के लिए !! ना हो कमीज़ तो पावों से पेट ढँक लेंगे,ये लोग कितने मुनासिब है इस सफ़र के लिए !!!! "श्रमिक दिवस" पर मेहनतकश "मजदूरों" को "सलाम"...अब तो इनके "हिस्से" में यही "बचा" है....