Monday, January 24, 2011

......झोले में उसके एक संविधान है!!!

माफ़ कीजियेगा भाई साब,मुझे आप जैसे "मनहूस" कत्तई "पसंद" नहीं है जो "बेवजह" हर "मुद्दे" पर "महेश भट्ट" बनने की "कोशिश' करते रहते है!अरे,अब "आप" ही बताइए, आप की "दाल" में कितना "पानी" है या "भाभी" के" पैरों" में पहने "बिछुए"(क्योकि "भाभी' के पास "जेवर" के "नाम" पर यही "बचा' है ना)"असली'है या "नकली"?किसी ने "पूछा" है?नहीं ना?तो फिर काहे को "दूसरो"की बिरयानी में "कंकर"फ़ेंक रहे है!लेकिन नहीं,वो कहते है ना कि "मक्खी" पूरे खूबसूरत "जिस्म" को छोड़ कर सिर्फ "ज़ख्म" पर ही बैठती है!अरे ला तो रहे है "स्वित्ज़रलैंड"से "धन" वापस,अब "नाम" जान के क्या करोगे "आप"?कसम "येदियुरप्पा" कि,इतनी भी "अक्ल" नहीं है "आपको" कि "अभियोजन"कि "स्वीकृति" मिलने और "कुर्सी" छोड़ने में कोई "रिश्ता' नहीं होता,मगर हे "बिग-बॉस 4 के "लोकल वर्जन" आप तो ठहरे "फ्रंट लाइन" (पाक टी.वी.शो)के "एंकर" टाइप कि "चीज़" जो "मसाज"में भी "बीना"वजह "मुद्दा" तलाश रहे हो....अभी "समझ" में आ रहा है क्यों  आप जैसो को "न्याय" दिलाने के लिए  पहले "करेक्टर सार्टिफिकेट"देना होगा, तभी "पंजीकरण' होगा!
अपना अपना "सोचने" का "तरीका" है भाई साब,"विश्व कप" जीतने कि "उम्मीदें" सिर्फ "मध्यक्रम" की "असफलता"से "ख़त्म" नहीं हो जाती बल्कि "विराट" "युसूफ-चलता " पर भी "भरोसा" करना ही होगा,देखिये ना, कोई "अवार्ड" समारोहों में "होस्ट" बनकर,तो कोई "अवार्ड" "जीतकर" भी "लेने" ना जाकर "चर्चा" में बना ही रहता है!जिंदगी के "धोबीघाट" पर कोई "तीसमार खान" नहीं होता है और "जो" है उन्हें "गणतंत्र दिवस" पर "हाथी" पर बैठाकर "परेड" कराने कि "रस्म-अदायगी " के बाद "हम" भूल जाते है कि वो "कहाँ " है?क्या "कर" रहे है?हर "समाज" कि तरह "हमें" भी "बहादुर" चाहिए लेकिन उनको मिलने वाली "सुविधाओ" पर "कब्ज़ा" कुछ और ही "किस्म" के "बहादुरों" का होता है.......मै भी "आप" जैसा ही "मनहूस" हूँ ना,तभी तो "बेवजह"  "मुद्दा" तलाश लिया है कि "आँखों" के "सामने" "अपराध" होते देखकर भी "लोग" "खामोश" क्यों रहते है?
जाइये भाई साब,"लोकतंत्र" में सभी "स्वतंत्र" है!आप भी जाकर "लाल चौक"पर "तिरंगा" फहराने कि "कोशिश' कीजिये,"अमन- चैन" कि "कोशिशें' करना तो "सरकार" कि "ज़िम्मेदारी" है बकौलशायर..वो आदमी नहीं मुकम्मल बयान है, माथे पे उसके चोट का गहरा निशान है!सामान कुछ नहीं फटेहाल है मगर,झोले में उसके एक संविधान है!!!

Sunday, January 16, 2011

अपनी तो नैया है "राम" के "भरोसे".

 तो भाई साहब!खा लिया भरपेट "खिचड़ी?"इस बार तो दो दिन लगातार खाई होगी,अब ये अलग बात है की "डकार" लेने के पहले ही "ढाई रुपये की बढ़ोतरी" सुनकर मुंह  "खुला का खुला" ही रह गया होगा!इसे कहते है"महंगाई की खिचड़ी  में पेट्रोल का तड़का"!अभी समझ में आ रहा है "भीष्म पितामह"ने "उत्तरायण "में प्राण क्यों त्यागे थे,अरे ये ही दिन दिखाना था तो "दक्षिणायन"क्या बुरा था!वैसे भाई साहब एकबात तो है, "उत्तरायण" हो या "दक्षिणायन"अपनी तो नैया है "राम" के "भरोसे"......"राम" बोले तो "पुरुषो में उत्तम" यानि "पुरुषोत्तम"!कसम मीडिया की भाई साहब,अगला "जेल" में है और "सबसे पहले का खुलासा" करने की "पतंग" हर "चैनल" पर उड़ रही है!पुरानी कहावत है,किस्मत ख़राब हो तो "ऊंट" पे बैठ के बाज़ार निकलो फिर भी "कुत्ता" काट लेता है,और अगर "किस्मत" तेज़ हो तो"मुनाफ"को भी एक "ओवर" में "दो विकेट" मिल जाते है और "हारी" हुई बाज़ी"रोमांचक" "जीत"हो जाती है वर्नाआपको तो पता ही है   इस मुल्क में "गैर जमानती वारेंट" जारी होने पर भी "जज" न्यायलय में हाजिर नहीं होते!दिव्या,शीलू,शशि,आरुषि.....ये सिर्फ नाम नहीं भाई साहब हमारी व्यवस्था के वो चेहरे है जहाँ 'पुरुषोत्तम"और"आनंद"के नए "मायने" सामने आते है!अपने काग्रेसी "युवराज" कहा करे "जुगाड़"व्यवस्था बदलनी होगी लेकिन ऐसी "आदर्श सोसाइटी" का "सपना" ,"सपना" ही रह जाता है,"आबंटन" उन्ही का होता है जिनका "जुगाड़" होता हैऔर अगर जुगाड़ फ़ैल तो बिल्डिंग ध्वस्त........!
 आपने सुना नहीं बयान, की "महंगाई"  इस लिए "बढ़ी" है की लोगों की "क्रय शक्ति"में "बढ़ोत्तरी" हुई है...सही है भाई तभी तो हर "चीज़" बिक रही है और "खरीददार" भी "मौजूद: है.....और "आम आदमी??" वो बेचारा चुपचाप "सौरव गांगुली" की तरह "बेरोजगार" "परिवार" की तर्ज़ पर "यमला पगला दीवाना" बना है!आप भी "जन्मदिन" पर घोषित "योजनाओ" के लिए "जुगाड़" तलाशो और 55 किलो के "केक" की "मिठास" महसूस करो,क्योकि "लोकगीतों" का "मीठा स्वर" तो "ख़ामोशी" से चला गया वैसे भी ज़माना "रई   रई रई " का नहीं "टिंगू पिया" का है......!!!!

Sunday, January 9, 2011

" जस्ट चिल चिल........."

                                                                                                                         
 कसम "क्वात्रोची" की भाई साहब,पहली बार जिंदगी में सुकून मिला की "बे-कार"होना भी स्टेटस सिम्बल है,कम से कम कोई 'ड्राईवर" तो नहीं रखना पड़ता है,वर्ना पता भी नहीं चलता है की कब अगले ने "क्लोज़र"रिपोर्ट पेश कर दी और हम बेवजह "बोफ़ोर्स" हो गए!
ये कलियुग का"डेली सोप "है भाई  साहब, यहाँ "तपस्या" "वैम्प" और "इच्छा" " "मोरल" होती है!ओपनिंग करके पचासा  बनाने वाले "गंभीर" की 11 करोड़ में,और मैच बचाने वाले "लक्ष्मण" की "नीलामी" पौने दो करोड़ में होती है!sms के पैसे आपके खर्च होते है और बिग बॉस की विनर श्वेता बनती है !
ये जिंदगी का "रिअलिटी शो" है,जहाँ "स्क्रिप्ट" नहीं लिखी जाती!हर "एन.डी".का "डी.एन.ऐ."नहीं होता!हर "विधायक" की किस्मत में "रुपम"नहीं होती!बकौल शायर "और भी गम है ज़माने में मोहब्बत के सिवा ......"आप ठंढ एन्जॉय करो!
वैसे कहते भी है "मौत,मौसम,और महबूबा का स्वागत हमेशा बाहें फैला के करना चाहिए"....!!!जाइये  भाई साहब ये सब अमीरों  के चोचले है!जो जम गई "डल झील" पर भी "क्रिकेट"खेलते है!दरअसल जिनके पास पैसा है, उनके लिए  ठंढ "रूमानियत" लेकर आती है और जिनके पास नहीं है उन की "जान" पे "बन" आती है!आप अपने"कमरे" में "हीटर" जला के "झलक दिखला जा" देखो,हम इधर "कूड़ा"पन्नी""टायर"जला कर "तापतेp हुए "एन्जॉय"करते है की "मनरेगा" की "दिहाड़ी" 120 रुपये हो गई है..... अरे  हाँ,"बाय द वे"  "बुधवार" को "स्वामी विवेकानंद जी" की" जयंती" है,.....चलो! अगले "साल" मना  लेंगे अभी "सौ" रुपये का का "पोस्टल आर्डर" लेकर "फॉर्म" भर ले हमें "शिक्षक" बनाने का "सपना" तो उन्ही का था वर्ना बुरा मान जायेंगे.........अब आप भी "बेवजह" "टेंशन" ना लो ज़माना "विवेक" का नहीं "सलमान" का है SO जस्ट चिल चिल चिल........!!!!!!!